
Deoghar: देवघर के स्टेशन रोड स्थित शनि मंदिर का आय व्यय के हिसाब किताब की उठ रही है मांग।
चढ़ावा सहित दान पेटी के पैसे का नहीं है कोई हिसाब किताब।
मुख्य पुजारी की है चक्कलस।
देवघर। अचानक से कोरोना काल के भयावह रूप और त्रासदी के बाद देश के प्रायः सभी मंदिर मठों में श्रद्धालुओं की संख्या में गजब का इज़ाफ़ा हुआ है, और इसके साथ ही मंदिरों में चढ़ावा भी बढ़ा है। वहीं कुछ लोग जो दूर देश के मंदिरों में दर्शन के लिए नहीं पहुंच पाते हैं तो उनकी आस्था अपने गली मोहल्ले के मंदिर मठों में बढ़ जाती है।
और वे लोग सभी धार्मिक आयोजन भी सम्पन्न करवाने में जुट जाते हैं। वैसे तो सभी विख्यात मंदिरों में आय व्यय का हिसाब किताब और लेखा जोखा होता है, पर बाबा नगरी अवस्थित बैधनाथ धाम रेलवे स्टेशन के शनि मंदिर का हाल इससे इतर है?
वैसे यह मंदिर काफी विख्यात हो चुका है और आये दिन विशेष अवसरों में इस मंदिर प्रांगण स्थित हनुमान मंदिर, साईं मंदिर, दुर्गा मंदिर आदि देवी देवताओं के लिए विशेष भोग और चढ़ावा की परम्परा रही है।
विशेष भोग के लिए श्रद्धालु प्रायः अपने खर्चे से ही इसकी व्यवस्था करते हैं पर स्थानीय श्रद्धालुओं में यह बात भी घर कर गयी है कि आख़िर इस शनि मंदिर के चढ़ावे का कोई हिसाब किताब क्यों नहीं होता?
आख़िर, चढ़ावे के अलावे मंदिर के दान पेटी, और चंदा के माध्यम से हुई आय का कोई पता क्यों नहीं चलता है। जबकि मंदिर के मुख्य पुजारी भी कभी इस बात को नहीं उठाते हैं, और न ही इस ओर गम्भीरता दिखाते हैं।
वहीं एक श्रद्धालु ने अपनी नाम नहीं प्रकाशित करनें के शर्त पर कहा कि इस मंदिर के पुजारी यहां के सभी चढ़ावे पर अपना आधिपत्य जमाए हुए हैं, मंदिर मेंटेनेंस और विशेष अवसर पर युद्ध स्तर पर चंदा कलेक्शन किया जाता है पर आज तक इसका कोई हिसाब किताब नहीं होता है।
वहीं कुछ श्रद्धलुओं ने कहा कि इस मंदिर में हम लोग समय समय पर अच्छी चढ़ावा देते हैं पर वह पैसा कहां जाता है कोई नहीं जान सका?
इस लिए इस मंदिर के चढ़ावे का आय व्यय का हिसाब बहुत जरूरी है नहीं तो निश्चित तौर पर श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आएगी या फिर चढ़ावा बंद हो जाएगा।
बहरहाल नियम के अनुसार किसी भी विख्यात मंदिर में आय व्यय का हिसाब किताब बहुत जरूरी है।