
@Deoghar: त्रिदिवसीय सेमिनार के अंतिम दिन पांचजन्य के बाद निकला प्रभात फेरी
देवघर-आनंद मार्ग प्रचारक संघ देवघर के त्रिदिवसीय सेमिनार के अंतिम दिन सुबह पांचजन्य के बाद प्रभात फेरी में बाबा नाम केवलम कीर्तन राजा बगीचा से टावर चौक तक किया गया।मुख्य प्रशिक्षक आचार्य परमानंद अवधूत ने बताये की आज का आलोच्य विषय समाज को एकताबद्ध करने का सर्वोत्तम उपाय है कृषि विप्लव इसी विषय पर आचार्य जी ने बोलते हुए कहा कि कृषि में आमूल चूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है विस्तार से चर्चा करते हुए कहां के कृषि को उद्योग का दर्जा देना होगा तभी आमूल चूल परिवर्तन संभव है।
इसी आलोक में उन्होंने कहा कि समाज को एकताबद्ध करने के लिए व्यष्टि तथा समाज के उन्नयन तथा समृद्धि साधन हेतु विभिन्न संप्रदाय के जीवन यात्राओं के बीच जिस-जिस क्षेत्र में मेल तथा एक्य मौजूद है केवल मात्र उन्हें सब बिंदुओं पर अधिक उत्साह प्रदान करना होगा। यह स्वाभाविक है कि समाज में पोषक परिछद, आचार-व्यवहार, सांस्कृतिक खाद्याभ्यास, भाषा प्रभृति विषयो में अंतर है और रहेगा।
लेकिन इन सब अंतरों पर अगर अप्रयोजनीय रूप से अधिक महत्व दिया जाय तो सामाजिक समस्याएं बढ़ती जाएगी और उसके सामाजिक संहति नष्ट हो जायेंगे।किसी देश की प्रगति देश की एकता पर निर्भर करती है। विभेद सृष्टिकारी शक्तियों को दूर रखने के लिए हमें निम्नलिखित तीन विन्दुओँ पर विरामहीन संग्राम चलाना होगा सामाजिक-आर्थिक अधिक्षेत्र समाज में कुछ लोग अत्यधिक धनी हैं और जनसाधारण का एक विराट अंश अत्यधिक गरीबी में पल रहे हैं।
स्वाभाविक रूप से ही एक दृढ समाजव्यवस्था का निर्माण करने के लिए सामाजिक-आर्थिक विषमता को सम्पूर्ण रूप से निर्मूल करना होगा।मानस भावावेश का अधिक्षेत्र मानसिक क्षेत्र में भी कुछ-कुछ विषय हैं जो विभिन्न भाषाभाषी जनगोषठीयों को एकता के बंधन में बांध कर रखता है। जिस प्रकार उत्तर भारत की समस्त भाषाएँ तथा दक्षिण भारत की कुछ भाषाएं संस्कृत से उदभुत हुआ है तथा विकास प्राप्त किया है।
इस अवस्था में संस्कृत पठन-पाठन का विरुद्धाचरण करना किसी के लिए भी उचित नहीं होगा। इसे सामान्य बात के रूप में समझ में आ सकता है लेकिन उत्साहित करने पर यह भारतीय समाज को एकता के बंधन में बाँधने के लिए एक विराट हेतु का काम करेगा।आध्यात्मिक भावावेग का अधिक्षेत्र
सम-आध्यात्मिक उत्तराधिकार तथा सम-आध्यात्मिक लक्ष्य का भावावेग है जो जांसाधारण को स्थायी रूप से एकता के बंधन आबद्ध कर सकते हैं।
सामाजिक-आर्थिक तथा मानसिक भावावेग के विषय समूह सामाजिक एक्य तथा संहति सृष्टि के लिए काफी प्रयोजनीय है इसमें कोई संदेह नहीं लेकिन ये सब सृष्ट भावावेग नितांत ही सामयिक तथा क्षण स्थायी हैं। इसके बाद सेमिनार के विषय में परिचर्चा की गयी। डिट स्तर के सेमिनार के कार्यक्रम की घोषणा की गयी। आचार्य विश्वस्वरूपांनंद अवधूत जी एवं आचार्य नवारुनानन्द अवधूत सेमिनार की सारांश का विवरण प्रस्तुत किया।
रिजनल सेक्रेटरी आचार्य व्रजगोपालनंद अवधूत ने सेमिनार की समाप्ति की घोषणा की एवं आचार्य वज्रदत्तानंद अवधूत ने सबों को धन्यवाद ज्ञापन किये। इस अवसर पर आचार्य कृपानंद अवधूत,अवधूतिका आनंद लीना आचार्या, ब्रह्माचारिणी समप्रीति आचार्या एवं सैकड़ो भक्तजन भक्ति की संचर धारा में सरावोर हुए।