
Deoghar: कान्हा घर पर अकेले ना रह जाए इसीलिए संग में लाया कावड़ यात्रा पर।
देवघर। बंगाल की रहने वाली एक महिला कृष्ण भक्ति में लीन है और भगवान कृष्ण को लेकर कावड़ यात्रा कर रही है इसे आप गिरधर के मीरा कह लें या राधा इन्हें आप देवकी कह लें या यशोदा प्रेम निश्चल है और इस कावड़ यात्रा में कृष्ण को अपनी गोद में लेकर प्रभु को महादेव के दर्शन करने ले जा रही है।
सावन के महीने में कावड़ यात्रा कर रही यह महिला कृष्ण की भक्ति में लीन है कृष्ण को अपने सीने से लगाए कावड़ यात्रा कर रही इस महिला को आप गिरधर के मीरा और राधा कह लें या लड्डू गोपाल की देवकी या यशोदा, प्रेम निश्चल है कृष्ण से ऐसी प्रीत है कि बंगाल की रहने वाली लखीदास अपने पति के साथ कावड़ यात्रा करने निकली है लेकिन घर में और कोई सदस्य नहीं होने के कारण इन्हें घर में अकेला नहीं छोड़ा और अपने साथ कावड़ यात्रा में ले आई लखीदास अपने पति निरंजन दास के साथ कावड़ यात्रा कर रही है
कृष्ण को कभी अपने सीने से लगाकर तो कभी अपने कंधे पर बैठ कर कावड़ यात्रा कर रही है गिरधर की मीरा लखी दास बताती है कि घर में कोई सदस्य नहीं है ऐसे में इनके कृष्ण की सेवा करने वाला कोई नहीं होता और कृष्णा को अकेले नहीं छोड़ सकते थे इसलिए इन्हें भी साथ लेकर कावड़ यात्रा कर रही है और मन में इच्छा है कि उनके साथ लड्डू गोपाल भी भगवान भोले के दर्शन करें
लख्खी दास बंगाल के रहने वाली श्रद्धालु बंगाल के रहने वाले दंपति लखी दास और उनके पति निरंजन दास के पुत्र बाहर रहते हैं और दंपति घर पर अकेले कृष्ण की इस मूर्ति को नहीं छोड़ना चाहते थे क्योंकि रोजाना यह दंपति कृष्ण की सेवा और उनकी भक्ति किया करते थे
ऐसे में कावड़ यात्रा के चार से पांच दिन कृष्ण की मूर्ति घर में अकेले रह जाती इसलिए दोनों ने निर्णय लिया कि कृष्ण को अपने साथ लेकर कावड़ यात्रा करेंगे और आज कृष्ण की इस मूर्ति को कभी अपने गोद में तो कभी अपने सीने से लगाए दंपति कृष्ण को कावड़ यात्रा कर रहे हैं।
सावन के महीने में कावड़ यात्रा के दौरान भगवान शिव को खुश करने के लिए आकर्षक कावड़ और झांकियां निकाली जाती है लेकिन कृष्ण की इस मीरा की दीवानगी कांवरिया पथ पर चर्चा का विषय बनी हुई है