
*Deoghar: जून पोखर मोहल्ले में प्रतिबंधित मांस के विवाद ने उग्र रूप लिया, पुलिस छावनी में तब्दील हुआ इलाका*
देवघर। शुक्रवार सुबह नगर थाना क्षेत्र के जून पोखर मोहल्ले में एक व्यक्ति के घर के सामने प्रतिबंधित मांस रखने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया, जिससे पूरा मोहल्ला तनावपूर्ण स्थिति में ला दिया। इस घटना की जानकारी जैसे ही मोहल्ले के लोगों को हुई, सैकड़ों की संख्या में लोग मौके पर जुट गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
मामला बढ़ने के साथ दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ने लगा, जिसके कारण पुलिस को मौके पर पहुंचने के लिए मजबूर होना पड़ा।
घटना के प्रारंभ में मोहल्ले के कुछ निवासियों ने देखा कि एक व्यक्ति के घर के सामने प्रतिबंधित मांस रखा गया था। यह जानकारी धीरे-धीरे मोहल्ले के अन्य लोगों तक पहुंची, जिससे कुछ ही समय में भारी संख्या में लोग एकत्र होने लगे। देखते ही देखते, मोहल्ले में स्थिति गर्म होने लगी और दोनों समुदायों के बीच विवाद बढ़ता गया। माहौल को शांत करने के लिए नगर पुलिस ने तुरंत सक्रियता दिखाते हुए दीवा गश्ती वैन को घटनास्थल पर भेजा, लेकिन वहां पहले से ही असामाजिक तत्वों के समूह ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था।
लोग पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे और गाली-गलौज भी की। इस दौरान पुलिस के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। स्थिति को गंभीर होते देख, पीसीआर वैन के अधिकारियों ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सूचना दी। जानकारी मिलते ही नगर थाना प्रभारी और अन्य पुलिसकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे, लेकिन तब तक घटनास्थल पर हजारों लोग जुट चुके थे। प्रदर्शनकारी सड़क पर बैठकर विरोध करने लगे और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
मौके पर पहुंचे नगर थाना प्रभारी ने भीड़ को शांत करने के प्रयास किए, लेकिन उग्र भीड़ ने उनकी बातों को नजरअंदाज किया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। पुलिस के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन स्थिति और अधिक उग्र हो गई।
इसके बाद, मामले की गंभीरता को देखते हुए, नगर थाना प्रभारी ने देवघर पुलिस अधीक्षक अजीत पीटर डुंगडुंग को सूचित किया।
पुलिस अधीक्षक के आदेश पर, जैप 5 के जवानों को घटनास्थल पर भेजा गया। इसके बाद, पूरे मोहल्ले को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया। हर गली और चौराहे पर पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। प्रशासन ने स्थिति को काबू करने के लिए अधिक से अधिक पुलिस बल की तैनाती की और पूरे इलाके को चारों ओर से घेर लिया।
इस बीच, अनुमंडल अधिकारी ने भी घटनास्थल का दौरा किया और मामले की गंभीरता को देखते हुए ढंडाधिकारी को मामले की जांच के लिए नियुक्त किया। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि स्थिति पर पूरी तरह से काबू पाया जाए। एसडीओ ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन उग्र भीड़ ने उनकी बातों को भी नकार दिया।
**लाठी चार्ज और ड्रोन कैमरे की कार्रवाई**
विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रशासन ने लाठी चार्ज करने की बात की। अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अशोक कुमार सिंह ने लाठी चार्ज की स्थिति बनने पर इसकी तैयारी शुरू कर दी। उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने ड्रोन कैमरा भी उड़ाया। यह कदम सुरक्षा के लिहाज से उठाया गया था, ताकि भीड़ में शामिल उग्र तत्वों की पहचान की जा सके और उन्हें नियंत्रित किया जा सके। ड्रोन कैमरे से इस घटना के दौरान कुछ लोगों की पहचान की जा रही है, जो भीड़ को उकसा रहे थे और शांति व्यवस्था को भंग कर रहे थे।
प्रशासन की सख्ती के बावजूद, विरोध प्रदर्शन करते हुए कुछ लोग पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। उनका कहना था कि पुलिस ने बिना किसी ठोस कारण के उन्हें परेशान किया है और उनका विरोध उनके धर्म और संस्कृति से जुड़ा हुआ है। वहीं, पुलिस और प्रशासन का कहना था कि स्थिति को नियंत्रित करना जरूरी था और कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
**मामले की जांच और प्रशासन की कार्रवाई**
प्रशासन ने स्पष्ट किया कि मामले की जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही प्रशासन ने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसे मामलों को सुलझाने के लिए बेहतर कदम उठाए जाएंगे। जिला प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि किसी भी समुदाय का नाम लेकर किसी प्रकार की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
अभी तक की जांच में यह पाया गया है कि घटना एक असामाजिक तत्व के कारण बढ़ी, जिसने जानबूझकर माहौल को गर्माया। पुलिस प्रशासन ने इसे लेकर पहले ही सतर्कता बरतने का निर्णय लिया था। अब प्रशासन और पुलिस की ओर से इस मामले की पूरी जांच की जा रही है, ताकि इस तरह के विवादों से बचा जा सके और शांति व्यवस्था को बनाए रखा जा सके।