
50 हजार की आबादी अब भी पुल का इंतजार कर रही है।
15 किलोमीटर की दूरी तय करने में डेढ़ घंटे की नाव यात्रा, बारिश में रोते हैं ग्रामीण
आजादी के 77 साल बाद भी करीब 50 हजार लोगों को पुल का इंतजार है। गंडक नदी पर पुल नहीं होने के कारण इन लोगों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। गांव से बाज़ार, अस्पताल, स्कूल या सरकारी दफ्तर तक महज़ 15 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए लोगों को डेढ़ घंटे तक नाव की सवारी करनी पड़ती है।
गर्भवती महिलाएं और मरीज सबसे ज्यादा परेशान
नदी पार करना बारिश के मौसम में और भी खतरनाक हो जाता है। नाव पलटने का डर हमेशा बना रहता है। कई बार तो लोग नदी किनारे बैठकर बारिश रुकने का इंतजार करते हैं और भावुक होकर रो पड़ते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को अस्पताल ले जाना बेहद जोखिम भरा हो जाता है।
स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों की भी बड़ी चुनौती
नदी के दूसरी ओर स्कूल-कॉलेज होने की वजह से छात्र रोज नाव से सफर करते हैं। तेज धूप, बारिश और सर्दी में भी यही नाव उनकी एकमात्र सहारा है। कई छात्र-छात्राएं शिक्षा बीच में ही छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
नेताओं ने किया वादा, लेकिन पुल नहीं बना
ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय नेता आते हैं, वादा करते हैं कि “सरकार बनने के बाद पुल जरूर बनेगा”, लेकिन जीतने के बाद कोई मुड़कर नहीं देखता। कई बार पुल निर्माण के लिए प्रस्ताव की बात आई, लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं हुआ।
गांव वालों की गुहार:
ग्रामीणों की सरकार से एक ही मांग है—“हमें अब और इंतजार नहीं करना है, हमें पुल चाहिए।”