
काबुल/नई दिल्ली।
अफगानिस्तान में देर रात आए भूकंप ने बड़ी तबाही मचाई। दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में धरती इतनी जोर से हिली कि कई घर पलभर में मलबे में तब्दील हो गए। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 9 लोगों की मौत और 15 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। घायलों का इलाज नजदीकी अस्पतालों में जारी है। वहीं, भूकंप के झटके पाकिस्तान और भारत के उत्तरी हिस्सों तक महसूस किए गए। दिल्ली-एनसीआर में भी लोगों ने धरती हिलती देख घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित जगहों की ओर रुख किया।
भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.0 मापी गई है। अफगानिस्तान का यह इलाका पहले से ही भूकंप संवेदनशील माना जाता है। कई बार यहां पर धरती हिलने से बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हुआ है।
अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा नुकसान
भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी पहाड़ी इलाके में बताया जा रहा है। रात करीब 10 बजे आए इन झटकों ने वहां के कई जिलों में हाहाकार मचा दिया।
कई घर जमींदोज हो गए।
ग्रामीण इलाकों में लोगों को बाहर निकलने तक का मौका नहीं मिला।
अब तक 9 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
15 से अधिक लोग घायल हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
अफगानिस्तान की आपदा प्रबंधन एजेंसी ने कहा है कि राहत और बचाव दल मौके पर पहुंच चुके हैं। घायलों को अस्पतालों तक पहुंचाया जा रहा है।
पाकिस्तान और भारत में भी असर
अफगानिस्तान में आए इस भूकंप का असर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और भारत तक भी देखा गया।
पाकिस्तान के पेशावर, खैबर पख्तूनख्वा और इस्लामाबाद में झटके महसूस हुए।
भारत में जम्मू-कश्मीर, पंजाब और दिल्ली-एनसीआर में लोगों ने धरती को हिलते हुए महसूस किया।
दिल्ली और आसपास के इलाकों में लोग डर के कारण रात को ही घरों से बाहर निकल आए।
विशेषज्ञों के अनुसार, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान था, लेकिन इसकी गहराई अपेक्षाकृत कम होने के कारण पड़ोसी देशों में भी इसका असर महसूस हुआ।
भूकंप के खतरे और संवेदनशील इलाका
भूवैज्ञानिकों का कहना है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान का यह इलाका भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है।
यहां टेक्टॉनिक प्लेट्स के टकराव के कारण बार-बार धरती हिलती रहती है।
पिछले एक दशक में कई बार विनाशकारी भूकंप आए हैं।
2015 में आए भूकंप में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी।
हाल ही में 2022 में आए भूकंप में हजारों लोगों की जान चली गई थी।
भारत में अलर्ट
भारत में भले ही किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों ने लोगों को सावधानी बरतने की अपील की है।
ऊंची इमारतों और घनी आबादी वाले इलाकों में जोखिम ज्यादा रहता है।
भूकंप आने पर घबराने के बजाय तुरंत सुरक्षित जगह की ओर बढ़ना चाहिए।
खुले मैदान या मजबूत दीवार वाले कोने में शरण लेना सबसे सुरक्षित माना जाता है।
स्थानीय लोगों की आपबीती
अफगानिस्तान के प्रभावित इलाके के स्थानीय लोगों ने कहा कि झटके इतने तेज थे कि लोग संभल ही नहीं पाए।
“हम घर में थे और अचानक सब कुछ हिलने लगा। दीवारें दरक गईं और छत गिर गई। हम जैसे-तैसे बाहर निकले, लेकिन पड़ोस के घर के लोग मलबे में दब गए।”
अंतरराष्ट्रीय मदद की संभावना
अफगानिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है। राहत कार्यों के लिए संसाधन सीमित हैं। ऐसे में संभावना है कि पाकिस्तान और भारत समेत अन्य देश अंतरराष्ट्रीय सहायता की पेशकश करें।
संयुक्त राष्ट्र भी ऐसी आपदाओं में अफगानिस्तान को मदद देता रहा है।
विशेषज्ञों की राय
भूकंप विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में भी इस क्षेत्र में बड़े झटके आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
छोटे झटके अक्सर बड़े भूकंप का संकेत होते हैं।
भूगर्भीय असंतुलन लगातार बढ़ रहा है।
सरकारों को आपदा प्रबंधन की तैयारी पहले से करनी होगी।
अफगानिस्तान का यह भूकंप एक बार फिर याद दिलाता है कि प्रकृति की ताकत इंसान से कहीं ज्यादा है। 9 लोगों की मौत और 15 से ज्यादा घायल होने की पुष्टि हो चुकी है। पाकिस्तान और भारत में भले ही बड़ा नुकसान न हुआ हो, लेकिन लोगों ने धरती हिलते ही दहशत महसूस की। ऐसे हादसे इस बात का सबूत हैं कि हमें आपदा प्रबंधन और तैयारियों को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए।