
Ahemdabad plane crash: “पापा चाहिए, पैसा नहीं…” विमान हादसे में पिता को खोने वाली फाल्गुनी की गुहार ने सबकी आंखें नम कर दीं।
अहमदाबाद विमान हादसे ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस भयावह त्रासदी में 265 लोगों की जान चली गई, और पीछे रह गईं सिर्फ यादें, आंसू और टूटे हुए सपने। उन्हीं में से एक हैं फाल्गुनी – एक बेटी, जिसने इस हादसे में अपने पिता को खो दिया।
“आप एक करोड़ दे रहे हैं, मैं दो करोड़ दूंगी… बस मेरे पापा लौटा दो”
फाल्गुनी की ये मार्मिक पुकार उस समय सामने आई, जब वह अपने पिता की मौत पर सरकार और एअर इंडिया की चुप्पी पर सवाल उठा रही थीं। गम और गुस्से से भरे हुए शब्दों में उसने कहा –
“मैं एक करोड़ नहीं चाहती, मैं दो करोड़ देने को तैयार हूं, बस कोई मेरे पापा को लौटा दे।”
यह कहते हुए उसकी आवाज़ कांप रही थी, आंखों से आंसू बह रहे थे और पूरा माहौल भावुक हो गया।
“मेरे पापा की क्या गलती थी जो इस फ्लाइट में बैठे?”
फाल्गुनी सवाल उठाती हैं –
“किसी को तो जवाब देना होगा कि मेरे पापा की क्या गलती थी? वो देशभक्त थे, एअर इंडिया पर उन्हें गर्व था। उन्होंने हमेशा कहा कि ये हमारी शान है। लेकिन क्या देशभक्ति का इनाम मौत है?”
वो कहती हैं कि अगर सुरक्षित उड़ान नहीं भरवा सकते तो एअर इंडिया को बंद कर देना चाहिए।
“पैसों से पलंग तो खरीद लेंगे, लेकिन नींद कैसे आएगी?”
फाल्गुनी की यह बात उन सभी के दिल को छू गई जो यह सोचते हैं कि मुआवजे से जीवन की क्षति की भरपाई हो सकती है। उन्होंने कहा,
“जो प्यार मेरे पापा मुझे देते थे, वो कोई नहीं दे सकता। पैसा तो बहुत कुछ दे देगा, लेकिन उस प्यार की जगह कभी नहीं ले सकता।”
“10 मिनट की देरी से बची एक जान”: भूमि की कहानी
जहां एक ओर कई परिवारों का भविष्य इस हादसे में उजड़ गया, वहीं एक महिला भूमि की किस्मत ने उन्हें मौत के मुंह से बचा लिया।
भूमि ने बताया कि उनकी फ्लाइट भी वही थी, जो क्रैश हुई, लेकिन ट्रैफिक के कारण वो समय पर एयरपोर्ट नहीं पहुंच सकीं।
“अगर मैं 10 मिनट पहले पहुंच जाती, तो आज शायद मैं ज़िंदा न होती,” भूमि ने कांपती आवाज़ में कहा।
वो बताती हैं कि जैसे ही उन्हें हादसे की खबर मिली, उनका शरीर सुन्न हो गया।
“भगवान ने मुझे बचा लिया, लेकिन जो चले गए उन्हें कोई नहीं लौटा सकता।”
यह हादसा एक चेतावनी है कि तकनीक, जिम्मेदारी और मानव जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है। फाल्गुनी की पुकार सिर्फ एक बेटी की नहीं, बल्कि हर उस इंसान की आवाज़ है जो चाहता है कि सिस्टम जवाबदेह हो।