
भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े ढांचे को और मज़बूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सीआरपीएफ (CRPF) और आईटीबीपी (ITBP) के पूर्व महानिदेशक अनीश दयाल सिंह को नया उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy NSA) नियुक्त किया गया है। अनीश दयाल सिंह ने अपने करियर का लगभग 30 साल खुफिया ब्यूरो (IB) में बिताया और अब उन्हें आंतरिक सुरक्षा मामलों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई है। उनकी यह नियुक्ति भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा रणनीति में अहम भूमिका निभाने वाली है।
अनीश दयाल सिंह का करियर सफर
अनीश दयाल सिंह 1988 बैच के IPS अधिकारी हैं। उन्होंने खुफिया ब्यूरो (IB) में करीब तीन दशक तक अपनी सेवाएं दीं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने विभिन्न सुरक्षा अभियानों और खुफिया तंत्र को मज़बूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके बाद उन्हें केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के महानिदेशक का दायित्व सौंपा गया। इन दोनों अर्धसैनिक बलों में रहते हुए उन्होंने संगठन को तकनीकी, रणनीतिक और परिचालन स्तर पर कई सुधार दिए।
डिप्टी NSA की भूमिका और जिम्मेदारी
भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के तहत कई महत्वपूर्ण विभाग काम करते हैं। डिप्टी NSA की भूमिका रणनीतिक, आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों को लागू करने में अहम होती है। अनीश दयाल सिंह को आंतरिक मामलों का प्रभार दिया गया है, जिसका मतलब है कि वे देश के अंदरूनी सुरक्षा ढांचे, आतंकवाद निरोधक रणनीतियों, सीमा प्रबंधन और खुफिया इनपुट के बेहतर उपयोग पर काम करेंगे।
क्यों अहम है यह नियुक्ति?
भारत की सुरक्षा चुनौतियां लगातार बदल रही हैं। ड्रोन हमले, साइबर अपराध, सीमा पार से घुसपैठ और आंतरिक उग्रवाद जैसी समस्याओं से निपटने के लिए रणनीतिक और अनुभवी नेतृत्व की आवश्यकता होती है। अनीश दयाल सिंह का खुफिया ब्यूरो में लंबा अनुभव उन्हें इस पद के लिए सबसे उपयुक्त बनाता है।
CRPF और ITBP में योगदान
सीआरपीएफ के महानिदेशक रहते हुए उन्होंने बल को आधुनिक हथियारों और तकनीक से लैस करने की दिशा में कदम बढ़ाए। वहीं, आईटीबीपी में उन्होंने ऊंचाई वाले सीमावर्ती इलाकों में तैनात जवानों की ट्रेनिंग और आधारभूत संरचना को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। उनकी कार्यशैली हमेशा परिणाम-उन्मुख और नवाचार पर आधारित रही है।
भविष्य की चुनौतियां
नए डिप्टी NSA के रूप में अनीश दयाल सिंह के सामने कई अहम चुनौतियां होंगी। इनमें जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा की स्थिति को और बेहतर बनाना, साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना, तथा आंतरिक खुफिया तंत्र को और प्रभावी बनाना शामिल है। इसके अलावा, देश में बढ़ते साइबर खतरे और ड्रोन तकनीक से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना भी उनकी प्राथमिकताओं में होगा।
सरकार का विश्वास
सरकार ने इस नियुक्ति के जरिए यह संकेत दिया है कि सुरक्षा नीति में अनुभव और खुफिया विशेषज्ञता को प्राथमिकता दी जा रही है। अनीश दयाल सिंह का ट्रैक रिकॉर्ड साफ-सुथरा और प्रभावी माना जाता है।
अनीश दयाल सिंह की डिप्टी NSA के रूप में नियुक्ति न सिर्फ उनके अनुभव की पहचान है बल्कि भारत की सुरक्षा नीतियों को और सशक्त बनाने की दिशा में अहम कदम है। खुफिया ब्यूरो में उनके 30 साल के अनुभव और अर्धसैनिक बलों के नेतृत्व में उनकी सफल भूमिका से उम्मीद की जा रही है कि वे देश की आंतरिक सुरक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।