
असीम मुनीर की अमेरिका में परमाणु चेतावनी: “अगर हम डूबे… आधी दुनिया को अपने साथ लेकर जाएंगे” – भारत ने कहा, “यह पुरानी आदत, हम नहीं झुकेंगे”
इस सप्ताह, पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने एक प्रतिष्ठित अमेरिकी कार्यक्रम में “यदि हमें लगता है कि हम डूब रहे हैं… तो हम आधी दुनिया को अपने साथ ले जाएंगे” जैसी टिप्पणी की, जो एक खुले परमाणु युद्ध की धमकी के रूप में देखी जा रही है ।
यह घटना अमेरिका के फ्लोरिडा में टैंपा में हुई, जहां यह पहली बार था कि किसी पाकिस्तानी उच्च सैन्य अधिकारी ने विदेशी धरती से इस तरह के उग्र बयान दिए ।
बस यहीं नहीं—मुनीर ने “10 मिसाइलों” से सिंधु नदी पर भारत द्वारा बनाए जा रहे बांधों को तबाह करने की चेतावनी भी दी ।
इस बयान ने सुरक्षा विशेषज्ञों और कूटनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है।
1. बयान की पृष्ठभूमि और संदर्भ
यह धमकी असमय और संवेदनशील समय में आई, जब दुनिया नागासाकी पर परमाणु हमले की वर्षगांठ मना रही थी ।
मुनीर की यात्रा यह दूसरी बार थी जब वे अमेरिका आए थे, और ट्रम्प प्रशासन के साथ बढ़ते सैन्य संपर्क की पृष्ठभूमि में ये बयान विशेष अहमियत रखते हैं ।
एक विश्लेषक ने इसे मुनीर की रणनीति बताया—जिससे पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सशक्त रूप से प्रस्तुत किया जा सके ।
2. भारत की तीखी प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने बयान की कड़ी निंदा की, इसे ‘न्यूक्लियर ब्लैकमेल की पुरानी आदत’ करार दिया—विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत किसी धमकी के आगे नहीं झुकेगा ।
एक प्रवक्ता ने इसे “गैर-जिम्मेदाराना” और “खतरनाक” कहते हुए कहा कि इस तरह की बयानबाज़ी अंतरराष्ट्रीय स्थिरता को बाधित करने वाली है ।
संसद में भी प्रश्न उठे—कैसे एक थर्ड-फ्रेंडली देश, यानी अमेरिका, की धरती से ऐसी धमकी की अनुमति मिली? और क्या इससे भारत-अमेरिका संबंधों पर असर पड़ेगा? ।
3. अंतरराष्ट्रीय और मीडिया प्रतिक्रियाएं
एक पूर्व अमेरिकी पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने मुनीर की तुलना “’सूट पहनने वाले ओसामा बिन लादेन’” से की, यह बयान मुनीर की उग्रता को दर्शाता है ।
कूटनीतिक विशेषज्ञों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस तरह की बयानबाज़ी पर संज्ञान लेने और पाकिस्तान पर दबाव बनाने का अनुरोध किया है ।
मीडिया रिपोर्ट्स में भी यह प्रश्न उठ रहे हैं—क्या ट्रम्प की चुप्पी संकेतक है? और क्या भारत को चिंतित होना चाहिए?
असीम मुनीर की अमेरिका में दिए गए बयान ने क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर नई चिंता पैदा कर दी है। यह टिप्पणी ना केवल कट्टरता की ओर संकेत है, बल्कि यह परमाणु हथियारों के खतरनाक राजनीतिक इस्तेमाल को दर्शाती है।
भारत की प्रतिक्रिया ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा, और यह स्थिरता बनाए रखना उसकी प्राथमिकता है।
यह घटना उभरते भू-राजनीतिक बदलावों—जैसे अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्ते, पाकिस्तान में सैन्य भूमिका, और परमाणु नीति—पर भी प्रकाश डालती है।
आगे की राह में यह देखना अहम होगा कि—क्या अमेरिका या अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस तरह की बयानबाज़ी पर प्रतिक्रिया देंगे, और क्या इससे कूटनीतिक या सैन्य कदम उठाए जाते हैं?