अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर विवाह पंचमी के अवसर पर होने वाले ‘धर्म ध्वज’ ध्वजारोहण को लेकर आमंत्रण विवाद गरमाता जा रहा है। अयोध्या के सांसद और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अवधेश प्रसाद ने दावा किया कि उन्हें इस महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यक्रम में न्योता नहीं दिया गया, जिस पर BJP ने तुरंत पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि सांसद मुद्दे को बेवजह राजनीतिक रंग दे रहे हैं। यह मामला अब राजनीतिक और धार्मिक दोनों ही स्तरों पर चर्चा का विषय बन चुका है।

सांसद अवधेश प्रसाद का आरोप—“चुनिंदा लोगों को बुलाया, जनप्रतिनिधियों का अपमान”
अवधेश प्रसाद ने कहा कि राम मंदिर से जुड़े किसी भी बड़े आयोजन में अयोध्या के जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं बल्कि पूरे देश की आस्था का विषय है। उन्होंने कहा कि—
“अयोध्या में ऐसा कार्यक्रम हो रहा है और सांसद को ही न्योता न मिले, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। यह मतदाताओं का भी अपमान है जिसने मुझे यहां तक पहुंचाया।”
उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रस्ट और सरकार मिलकर कार्यक्रम को चुनिंदा लोगों तक सीमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धर्म और राजनीति को अलग रखा जाना चाहिए, लेकिन यहां राजनीतिक हित साधने के लिए आमंत्रण सूची बनाई जा रही है।
BJP का पलटवार—“नाटक करने की आदत, विरोध के लिए मुद्दे ढूंढ रहे हैं”
सांसद के आरोपों पर BJP नेताओं ने सख्त प्रतिक्रिया दी। पार्टी ने कहा कि अवधेश प्रसाद अनावश्यक विवाद पैदा कर रहे हैं। स्थानीय भाजपा नेताओं ने कहा—
“राम मंदिर कार्यक्रम में किसे बुलाना है, इसका निर्णय ट्रस्ट करता है, न कि सरकार। सांसद साहब बेवजह नाटक कर रहे हैं। उन्हें मंदिर ट्रस्ट पर राजनीतिक आरोप लगाने से पहले सत्य जान लेना चाहिए।”
भाजपा ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी हमेशा राम मंदिर के मुद्दे पर विरोध की राजनीति करती रही है और अब जब मंदिर तैयार हो चुका है, तो सपा नेता आखिरकार नाराजगी दिखाकर सुर्खियां बटोरना चाहते हैं।
ट्रस्ट से स्पष्टीकरण—“सूची सीमित, व्यवस्था के कारण हर किसी को आमंत्रण संभव नहीं”
वहीं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से भी बताया गया कि ध्वजारोहण समारोह में आमंत्रित किए जाने वाले लोगों की संख्या सीमित है। सुरक्षा, व्यवस्था और प्रोटोकॉल के कारण हर जनप्रतिनिधि को नहीं बुलाया जा सकता। हालांकि, ट्रस्ट ने किसी विशिष्ट नेता को जानबूझकर बाहर करने की बात से इनकार किया।
ट्रस्ट सूत्रों ने कहा कि विवाह पंचमी पर मंदिर परिसर में भारी भीड़ की संभावना है, इसलिए प्रशासन ने भी सीमित आमंत्रण की ही सलाह दी है।
विवाद का बढ़ना राजनीतिक माहौल का संकेत
धर्म ध्वज ध्वजारोहण का आयोजन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। विवाह पंचमी के अवसर पर यह कार्यक्रम राम-सीता विवाह की पवित्र स्मृति को समर्पित है। ऐसे में इस कार्यक्रम का राजनीतिक विवाद में बदलना अयोध्या के भविष्य के राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले चुनावों को देखते हुए अयोध्या का हर मुद्दा राजनीति से जुड़ सकता है। सांसद अवधेश प्रसाद का यह आरोप भी उसी राजनीतिक माहौल का हिस्सा माना जा रहा है जिसमें भाजपा और सपा दोनों ही अपनी-अपनी रणनीति के तहत बयानबाज़ी कर रहे हैं।
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया—“राजनीति नहीं, आस्था पर ध्यान दें”
अयोध्या में स्थानीय लोगों ने कहा कि इस पवित्र अवसर को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कई व्यापारियों और श्रद्धालुओं ने कहा कि—
“धर्म ध्वज का ध्वजारोहण राम भक्तों के लिए खुशी का मौका है। इस पर राजनीति होना दुखद है।”
कुछ लोगों ने यह भी कहा कि अगर सांसद को आमंत्रण नहीं मिला है तो ट्रस्ट को स्पष्ट रूप से इस बारे में जानकारी देनी चाहिए थी ताकि गलतफहमी न हो।
धार्मिक और प्रशासनिक तैयारी पूरी
विवाह पंचमी पर राम मंदिर शिखर पर धर्म ध्वज फहराने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई है। समारोह में संत-धर्माचार्य, ट्रस्ट पदाधिकारी, विशिष्ट अतिथियों और प्रशासनिक अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है।
धर्म ध्वज की ऊंचाई, उसकी डिज़ाइन और पूजा विधि से संबंधित सभी अनुष्ठानों को वैदिक परंपरा के अनुसार पूरा किया जा रहा है।
विवाद के बावजूद उत्साह बरकरार
हालांकि आमंत्रण विवाद ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है, लेकिन अयोध्या में श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ है। शहर में विवाह पंचमी से पहले ही राम भक्तों की भीड़ बढ़ने लगी है। दुकानों, गलियों और मंदिर परिसर में त्यौहार जैसा माहौल है।
अवधेश प्रसाद ने कहा—“आस्था पर चोट न हो, सम्मान बनाए रखें”
सांसद ने दोहराया कि उनका उद्देश्य विवाद खड़ा करना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि अयोध्या के जनप्रतिनिधियों को सम्मान मिले। उन्होंने कहा—
“मैं राम भक्त हूं। मेरी आस्था अडिग है। परंपरा और जनभावना का सम्मान होना चाहिए।”
ध्वजारोहण के इस पवित्र कार्यक्रम से पहले राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ने माहौल गरमा दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कार्यक्रम के दिन कौन-कौन आमंत्रित सूची में शामिल होगा और क्या यह विवाद आगे भी राजनीतिक रंग लेगा या खत्म हो जाएगा।
