
AYUSHMAN BHARAT YOJNA: आयुष्मान भारत योजना को झटका, कई प्राइवेट अस्पताल योजना से हो रहे अलग, गरीब मरीजों की बढ़ेगी मुश्किलें।
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (PM-JAY) को बड़ा झटका लगा है। देश के कई निजी अस्पताल अब इस योजना से अलग होने का निर्णय ले रहे हैं, जिससे गरीब और जरूरतमंद मरीजों को मिलने वाली निःशुल्क इलाज की सुविधा पर संकट गहरा सकता है।
🔹 प्राइवेट अस्पताल क्यों हो रहे अलग?
प्राइवेट अस्पतालों का कहना है कि उन्हें आयुष्मान भारत योजना के तहत मिलने वाले भुगतान बहुत कम हैं और भुगतान मिलने में भी काफी देरी होती है। इसके चलते अस्पतालों को आर्थिक घाटा उठाना पड़ रहा है। कुछ अस्पतालों का यह भी कहना है कि इलाज की लागत और सरकार द्वारा निर्धारित दरों में बहुत बड़ा अंतर है, जिससे उनकी सेवाओं की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
🔹 मरीजों पर क्या असर पड़ेगा?
इस योजना के तहत 10 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को प्रति वर्ष ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिलता है। लेकिन यदि प्राइवेट अस्पताल इससे हटते हैं, तो इन लाभार्थियों को इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ेगा, जहां पहले से ही भारी भीड़ और संसाधनों की कमी है।
🔹 डॉक्टरों और विशेषज्ञों की राय:
कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते सरकार ने अस्पतालों की समस्याओं का हल नहीं निकाला, तो यह योजना अपने उद्देश्य से भटक सकती है। इससे गरीब वर्ग के लोगों की टेंशन और दिक्कतें दोनों बढ़ेंगी।
🔹 सरकार की प्रतिक्रिया:
सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान फिलहाल नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार इस स्थिति की समीक्षा कर रही है और जल्द ही कुछ बड़े निर्णय लिए जा सकते हैं ताकि अस्पताल दोबारा योजना से जुड़ें और मरीजों को नुकसान न हो।
आयुष्मान भारत’ जैसी योजना गरीबों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। लेकिन अगर इससे निजी अस्पताल हटते रहे, तो इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो पहले से ही आर्थिक तंगी और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। जरूरत है कि सरकार और प्राइवेट अस्पताल आपसी बातचीत से इस समस्या का हल निकालें।