
बड़कागांव: NTPC कंपनी के अधिकारी और ग्रामीणों के बीच झड़प, पत्थरबाजी से तनाव।
हजारीबाग जिला के बड़कागांव प्रखंड में मंगलवार को NTPC कंपनी के अधिकारियों और स्थानीय ग्रामीणों के बीच जोरदार झड़प हो गई। जानकारी के अनुसार, कंपनी की ओर से कोयला खदान क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण और खनन कार्य को लेकर कुछ अधिकारी व कर्मी मौके पर पहुंचे थे। इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने काम रुकवाने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विवाद उस समय बढ़ गया जब कंपनी अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों ने कार्य शुरू करने की कोशिश की। इससे नाराज ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की और पथराव कर दिया। अचानक हुई पत्थरबाजी से मौके पर अफरा-तफरी मच गई। NTPC कर्मी और अधिकारी सुरक्षा घेरे में वहां से हटे।
घटना की सूचना मिलते ही बड़कागांव थाना पुलिस, जिला बल और रैपिड एक्शन फोर्स मौके पर पहुंची। पुलिस ने हालात को नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग और लाठीचार्ज किया। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद स्थिति पर काबू पाया जा सका। हालांकि, मौके पर तनाव का माहौल अभी भी कायम है और पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है।
ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में उचित मुआवजा और पुनर्वास योजना लागू नहीं कर रही है। उनका कहना है कि प्रभावित परिवारों को रोजगार और आवास देने का वादा भी पूरा नहीं हुआ है। वहीं, कंपनी पक्ष का कहना है कि अधिग्रहण और पुनर्वास की प्रक्रिया नियमों के तहत की जा रही है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व माहौल बिगाड़ रहे हैं।
घटना में दोनों पक्षों के कई लोग घायल हुए हैं। घायल ग्रामीणों का इलाज बड़कागांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में किया जा रहा है, जबकि दो गंभीर रूप से घायल कर्मियों को हजारीबाग सदर अस्पताल रेफर किया गया है।
पुलिस ने अभी तक किसी की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है, लेकिन मौके पर मौजूद अधिकारियों का कहना है कि पत्थरबाजी और हिंसा में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है और वीडियो फुटेज खंगाले जा रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन ने अपील की है कि लोग शांत रहें और किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें। वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।
बड़कागांव क्षेत्र में NTPC की पंकरी बरवाडीह कोल माइंस परियोजना लंबे समय से विवादों में रही है। जमीन अधिग्रहण, मुआवजा, रोजगार और पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर यहां कई बार आंदोलन हो चुके हैं। 2016 में भी इसी तरह का संघर्ष हुआ था, जिसमें कई लोग घायल हुए थे।
इस बार हुई झड़प ने एक बार फिर से सरकार, कंपनी और ग्रामीणों के बीच चल रहे टकराव को उजागर कर दिया है। अब देखना होगा कि प्रशासन किस तरह इस विवाद का समाधान निकालता है और क्या प्रभावित लोगों की शिकायतों का निपटारा हो पाता है।