बस्तर का वह गांव, जो कभी माओवादियों की गतिविधियों का सबसे सक्रिय केंद्र हुआ करता था, अब आजादी के 78 वर्षों बाद पहली बार मोबाइल नेटवर्क से जुड़ गया है। यह उपलब्धि केवल तकनीकी सहूलियत भर नहीं है, बल्कि विश्वास बहाली, सरकारी पहुंच, और आधुनिक विकास का एक ऐतिहासिक कदम है। सरकार की दूरसंचार विस्तार योजना के तहत इस दुर्गम क्षेत्र में टावर की स्थापना की गई है, जिससे पहली बार ग्रामीणों को मोबाइल नेटवर्क की सुविधा प्राप्त हुई है।

ये बदलाव सिर्फ नेटवर्क आने तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे गांव की सामाजिक-आर्थिक संरचना को नई दिशा देने वाला साबित हो रहा है। जहां कभी शाम होते ही गांव की सड़कें वीरान हो जाती थीं, वहीं अब मोबाइल टावर की लाइट के नीचे युवाओं को इंटरनेट चलाते, वीडियो कॉल करते और ऑनलाइन जानकारी लेते देखा जा सकता है। दियाकोवर ट्रेडिंग की विशेष रिपोर्ट में हम आपको बताते हैं कि कैसे मोबाइल नेटवर्क ने इस गांव में बदलाव की एक नई शुरुआत की है।
माओवाद के साये से डिजिटल इंडिया की रौशनी तक — एक लंबी यात्रा
इस गांव का नाम वर्षों तक डर, दहशत और माओवादियों की हिंसक घटनाओं से जोड़ा जाता रहा है। सुरक्षा बलों के लिए भी यहां तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण था। ग्रामीण विकास योजनाएं तो दूर, सरकारी कर्मचारी भी कई वर्षों तक यहां कदम रखने से हिचकते थे।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों और सरकार के संयुक्त प्रयासों ने हालात बदलने शुरू किए। सड़कें बनीं, स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचीं, और अब दूरसंचार विभाग ने गांव में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा देकर विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम रखा है।
स्थानीय ग्रामीणों ने दियाकोवर ट्रेडिंग को बताया कि उन्हें पहले फोन पर बात करने के लिए 3-5 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर चढ़ना पड़ता था। कई बार तो जंगल की सीमा तक जाना पड़ता था, जहां खतरों की आशंका हमेशा बनी रहती थी।
मोबाइल नेटवर्क आने से ग्रामीणों का जीवन तेजी से बदल रहा
1. सरकारी योजनाओं तक अब आसान पहुंच
मोबाइल नेटवर्क आने के बाद अब ग्रामीण आसानी से CSC, आधार सेवाएं, DBT योजनाएं, पेंशन आवेदन, राशन कार्ड अपडेट और विभिन्न पोर्टल्स पर अपनी जानकारी देख सकेंगे।
सरकारी योजनाओं की जानकारी पहले काफी कठिनाई से मिलती थी, लेकिन अब लोग मोबाइल पर ही अपडेट ले पा रहे हैं।
2. शिक्षा में डिजिटल संसाधनों की शुरुआत
गांव के बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा का दरवाज़ा अब खुल चुका है। शिक्षक भी अब डिजिटल सामग्री का उपयोग कर पढ़ा पाएंगे, और छात्र मोबाइल के नेटवर्क से e-learning प्लेटफॉर्म तक पहुंच बना पा रहे हैं।
3. स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी
दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नेटवर्क एक बड़ा सहारा बना है।
अब ग्रामीण टेलीमेडिसिन, व्हाट्सएप पर डॉक्टर से परामर्श और आपातकालीन मदद आसानी से पा सकेंगे।
4. रोजगार और आजीविका के नए अवसर
मोबाइल नेटवर्क आने से अब युवा ऑनलाइन जॉब पोर्टल, स्किल ट्रेनिंग ऐप, ऑनलाइन मार्केटिंग, यूट्यूब, रिल्स आदि की दुनिया से जुड़ पाएंगे।
स्थानीय उत्पाद — जैसे लौकी कला, ताड़ के पत्तों के उत्पाद, जंगल की औषधियां — अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से बाजार तक पहुँच सकते हैं।
5. सुरक्षा में मदद
ग्रामीणों ने बताया कि पहले घटना होने पर पुलिस को सूचना देना बेहद मुश्किल था।
अब गांव में मोबाइल नेटवर्क होने से आपातकालीन संपर्क संभव हुआ है।
यह बदलाव सुरक्षा और विश्वास से जुड़ा अहम पहलू माना जा रहा है।
मोबाइल नेटवर्क टावर के पास ग्रामीणों की भीड़ — तस्वीर खुद कह रही है कहानी
दियाकोवर ट्रेडिंग की टीम जब गांव पहुंची, तो मोबाइल टावर के पास युवक-युवतियों और बुजुर्गों की भीड़ दिखाई दी। सबके हाथ में फोन, चेहरे पर उत्साह, और आंखों में उम्मीद नजर आई।
गांव के एक बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा—
“बाबू, अब हम भी दुनिया से जुड़ गए। पहले तो ऐसा लगता था कि हम किसी और देश में रहते हैं।”
एक स्कूली छात्रा बोली—
“अब हम ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं। पहले टीचर के फोन से ही वीडियो दिखाया जाता था, अब हम भी खुद देख सकते हैं।”
सरकार की योजना — बस्तर में 4G से 5G की ओर कदम
दूरसंचार विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बस्तर संभाग में करीब 250 से अधिक गांवों तक नेटवर्क पहुंचाने का लक्ष्य है।
इस गांव में 4G टावर लगाया गया है, और आने वाले समय में 5G तकनीक भी लाने की तैयारी है। सरकार का उद्देश्य है कि देश का अंतिम व्यक्ति भी डिजिटल भारत के फायदों से वंचित न रहे।
डिजिटल इंडिया का असली असर – गांव की सोच में सकारात्मक परिवर्तन
मोबाइल नेटवर्क ने न सिर्फ सुविधा दी है, बल्कि लोगों की सोच में भी बदलाव लाना शुरू कर दिया है। जहां पहले विकास को लेकर संदेह था, अब उम्मीद है। जहां डर था, अब आत्मविश्वास है।
जहां अलगाव था, अब जुड़ाव है।
दियाकोवर ट्रेडिंग के नजरिए से यह बदलाव सिर्फ नेटवर्क टावर का लगना नहीं, बल्कि एक ऐसे गांव की यात्रा है जो अंधेरे से निकलकर डिजिटल रोशनी की ओर कदम रख चुका है।
