
Bhadrapada 2025: आज से शुरू हुआ भाद्रपद माह, जानें इस पवित्र मास में क्या करें और किन कार्यों से रहें दूर।
भाद्रपद माह 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह, जिसे भादो भी कहा जाता है, आज से आरंभ हो गया है। यह महीना वर्षा ऋतु के अंतिम चरण में आता है और प्रकृति में बदलाव के साथ-साथ धार्मिक उत्सवों, व्रत-उपवास और आध्यात्मिक साधना का विशेष समय माना जाता है। इस महीने में भक्ति और श्रद्धा का वातावरण चारों ओर फैला रहता है।
भाद्रपद माह में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी, अनंत चतुर्दशी, गणेश विसर्जन और कई अन्य प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं। यह समय भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति, पुण्य लाभ और मानसिक शांति प्राप्त करने का सुनहरा अवसर होता है।
भाद्रपद माह का महत्व
भाद्रपद माह धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अत्यंत पवित्र माना गया है। इस समय व्रत, पूजा-पाठ, दान-पुण्य और सत्संग में शामिल होने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस महीने में किए गए पुण्य कर्मों का फल कई गुना बढ़कर मिलता है।
भाद्रपद माह में क्या करें शुभ कार्य
व्रत और उपवास रखें: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हरितालिका तीज, अनंत चतुर्दशी जैसे पर्वों पर व्रत रखने से शुभ फल मिलता है।
भगवान श्रीकृष्ण और गणपति की पूजा करें: इस महीने विशेष रूप से श्रीकृष्ण और गणेश जी की आराधना करना अत्यंत लाभकारी होता है।
दान-पुण्य करें: अन्न, वस्त्र और जरूरतमंदों को सहयोग देने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।
सत्संग और भजन-कीर्तन करें: मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
गंगाजल स्नान: पवित्र नदियों में स्नान करना या घर पर गंगाजल से स्नान करना शुभ माना जाता है।
भाद्रपद माह में किन कार्यों से बचें
दूसरों की निंदा, अपमान या कटु वचन बोलने से बचें।
मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
झूठ बोलना और किसी का दिल दुखाना अशुभ माना जाता है।
इस समय आलस्य और समय की बर्बादी से बचें।
आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम
भाद्रपद माह केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक रूप से भी विशेष होता है। वर्षा ऋतु के अंतिम चरण में वातावरण शुद्ध और ठंडा हो जाता है, खेतों में हरियाली और नदी-तालाबों में जल की प्रचुरता देखने को मिलती है। यह समय मन, शरीर और आत्मा के संतुलन का प्रतीक है।
भद्रापद माह भक्ति, आस्था और सेवा का महीना है। इस समय सकारात्मक कर्म, दान-पुण्य और ईश्वर भक्ति से जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य आता है। इस पावन अवसर पर हमें अच्छे कर्म करने और बुराइयों से दूर रहने का संकल्प लेना चाहिए।