
भागलपुर। बिहार के भागलपुर जिले में इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां चोरी के आरोप में पकड़े गए एक युवक के साथ ग्रामीणों ने ऐसी क्रूरता की, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। आरोप है कि भीड़ ने युवक को पकड़ने के बाद बुरी तरह पीटा और फिर उसके गुप्तांग में पेट्रोल डाल दिया। इस घटना के बाद आरोपी युवक की हालत गंभीर हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
घटना कैसे हुई?
यह घटना भागलपुर जिले के [सटीक थाना क्षेत्र का नाम, यदि उपलब्ध हो] में घटी। जानकारी के मुताबिक, 22 वर्षीय युवक पर गांव में चोरी करने का आरोप लगाया गया था। बताया जा रहा है कि बीती रात गांव में एक घर से सामान चोरी हुआ था, जिसके बाद ग्रामीणों ने संदिग्ध युवक को पकड़ लिया। गुस्साई भीड़ ने बिना पुलिस को सूचना दिए युवक को पेड़ से बांध दिया और उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ग्रामीणों ने पहले उसे बेरहमी से पीटा, फिर किसी ने पेट्रोल की बोतल लाकर उसके गुप्तांग में डाल दी। इसके बाद युवक बेहोश हो गया और उसकी हालत बिगड़ने लगी।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और युवक को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि युवक की हालत नाजुक बनी हुई है और उसे बेहतर इलाज के लिए भागलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया है।
भागलपुर एसपी ने कहा, “यह घटना अत्यंत निंदनीय है। दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल चार लोगों को हिरासत में लिया गया है और अन्य की पहचान की जा रही है।”
परिजनों का क्या कहना है?
पीड़ित के परिजनों का कहना है कि युवक को बेगुनाह फंसाया गया है। उनका दावा है कि उनके बेटे ने कोई चोरी नहीं की, बल्कि व्यक्तिगत रंजिश के कारण उस पर झूठा आरोप लगाया गया और उसके साथ बर्बरता की गई।
मां ने रोते हुए कहा, “उसे मारना था तो पुलिस को सौंप देते, लेकिन जो उन्होंने किया वह दरिंदगी है। हम न्याय की मांग करते हैं।”
ग्रामीणों का पक्ष
वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से गांव में चोरी की घटनाएं बढ़ गई थीं। बीती रात एक घर में नकदी और जेवर चोरी हुए, जिसके बाद लोगों ने इस युवक को संदिग्ध मानकर पकड़ लिया। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भीड़ का गुस्सा बेकाबू हो गया और घटना बेहद दुखद है।
कानूनी पहलू और भीड़तंत्र की बढ़ती घटनाएं
भारत में किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। चोरी का आरोप लगना और अपराध साबित होना, दोनों में बड़ा अंतर है। भीड़तंत्र या मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं लोकतंत्र और कानून व्यवस्था के लिए खतरा हैं।
हाल के वर्षों में बिहार समेत कई राज्यों में भीड़ के द्वारा संदिग्धों को पीटने या प्रताड़ित करने के मामले सामने आए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं कानून के प्रति अविश्वास और त्वरित न्याय की मानसिकता को बढ़ावा देती हैं।
प्रशासनिक रुख
भागलपुर प्रशासन ने घटना पर संज्ञान लेते हुए क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है। अधिकारियों का कहना है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
जिलाधिकारी ने कहा, “हम लोगों से अपील करते हैं कि किसी भी संदिग्ध को पकड़ने पर पुलिस को सूचना दें, खुद कानून हाथ में न लें। दोषियों पर कठोर कार्रवाई होगी।”
सोशल मीडिया पर आक्रोश
घटना की खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई, लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कई यूजर्स ने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। वहीं कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि जब तक इस तरह की भीड़तंत्र की मानसिकता पर सख्त कानून नहीं बनेगा, तब तक ऐसी घटनाएं रुकेंगी नहीं।
चिकित्सा स्थिति
डॉक्टरों के अनुसार, पेट्रोल जैसे रासायनिक तत्व के संपर्क में आने से गंभीर आंतरिक चोटें हो सकती हैं। पीड़ित को गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) में भर्ती किया गया है और उसकी हालत फिलहाल स्थिर नहीं बताई जा रही।
घटना का प्रभाव और जनसंदेश
यह घटना न केवल एक व्यक्ति के जीवन को बर्बाद कर गई, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है। चोरी जैसे अपराधों की जांच और सजा का अधिकार केवल पुलिस और न्यायालय को है। भीड़ के हाथों न्याय हमेशा अन्याय में बदल जाता है।
क्या कहता है कानून?
भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत किसी को भी शारीरिक यातना देना या जान से मारने की कोशिश करना गंभीर अपराध है। इस मामले में दोषियों पर धारा 307 (हत्या का प्रयास), 326 (खतरनाक हथियार से गंभीर चोट पहुंचाना) और अन्य प्रासंगिक धाराओं में मामला दर्ज किया जा सकता है।भागलपुर की यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि समाज को भी आईना दिखाती है कि न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर किसी को सजा देना किस हद तक अमानवीय हो सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन कितनी तेजी और सख्ती से कार्रवाई करता है और पीड़ित को न्याय दिलाने में कितना समय लगता है।