
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले केंद्र सरकार ने राज्य की जनता को एक बड़ी सौगात दी है। शिक्षा के क्षेत्र में यह ऐतिहासिक फैसला बिहार के भविष्य को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। सरकार ने घोषणा की है कि राज्य के 19 जिलों में नए केंद्रीय विद्यालय (Kendriya Vidyalaya) खोले जाएंगे। इनमें सीतामढ़ी, कटिहार, भभुआ, मधुबनी, शेखपुरा, मधेपुरा, पटना, अरवल, पूर्णिया, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, दरभंगा, भागलपुर, नालंदा और गया समेत अन्य जिले शामिल हैं।
बिहार में शिक्षा सुधार की बड़ी पहल
बिहार लंबे समय से शिक्षा सुधार की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। राज्य में छात्रों की सबसे बड़ी समस्या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच की रही है। केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) देशभर में अपनी उच्चस्तरीय शिक्षा प्रणाली, अनुशासन और सर्वांगीण विकास के लिए जाना जाता है। ऐसे में बिहार के विभिन्न जिलों में केंद्रीय विद्यालय खुलना लाखों छात्रों के लिए सुनहरे भविष्य की गारंटी मानी जा रही है।
इन नए विद्यालयों से न केवल ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को भी राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा का लाभ मिलेगा।
किन जिलों में खुलेंगे नए केंद्रीय विद्यालय?
केंद्र सरकार ने जिन जिलों में केंद्रीय विद्यालय खोलने का फैसला लिया है, उनमें शिक्षा का बुनियादी ढांचा अभी भी मजबूत नहीं है। यह कदम वहां के छात्रों को नई उम्मीद देगा।
नए विद्यालय जिन 19 जिलों में खुलेंगे उनकी सूची इस प्रकार है –
सीतामढ़ी
कटिहार
भभुआ
मधुबनी
शेखपुरा
मधेपुरा
पटना
अरवल
पूर्णिया
भोजपुर
मुजफ्फरपुर
मुंगेर
दरभंगा
भागलपुर
नालंदा
गया
इस घोषणा से ग्रामीण बिहार से लेकर शहरी क्षेत्रों तक शिक्षा का स्तर ऊँचा उठेगा।
बिहार चुनाव से पहले केंद्र सरकार का मास्टरस्ट्रोक
विशेषज्ञों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले यह फैसला भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का रणनीतिक कदम है। शिक्षा का मुद्दा बिहार की राजनीति में हमेशा से अहम रहा है। एनडीए सरकार चाहती है कि इस फैसले का सीधा असर चुनावी समीकरणों पर पड़े।
बिहार में बड़ी संख्या में मध्यम वर्ग और युवा वर्ग है जो शिक्षा और रोजगार को सबसे बड़ी प्राथमिकता मानते हैं। केंद्रीय विद्यालयों की सौगात देकर केंद्र सरकार ने इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।
छात्रों और अभिभावकों में खुशी
घोषणा के बाद बिहार के विभिन्न जिलों में छात्रों और अभिभावकों के बीच खुशी का माहौल है। कई लोगों ने इसे बिहार के लिए ऐतिहासिक फैसला बताया है।
सीतामढ़ी की रहने वाली एक अभिभावक ने कहा – “हमारे बच्चे अब अपने जिले में ही केंद्रीय विद्यालय की पढ़ाई कर पाएंगे। हमें उन्हें बाहर भेजने की मजबूरी नहीं होगी।” वहीं मुजफ्फरपुर के एक छात्र ने कहा – “केंद्रीय विद्यालय की शिक्षा हमें प्रतियोगी परीक्षाओं में आगे बढ़ने में मदद करेगी।”
रोजगार और बुनियादी ढांचे को भी बढ़ावा
जहां एक ओर केंद्रीय विद्यालयों से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी, वहीं दूसरी ओर इससे शिक्षकों और स्टाफ के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। इन स्कूलों के लिए आधुनिक भवन, प्रयोगशाला, खेल मैदान और पुस्तकालय जैसी सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। इससे बिहार में शिक्षा का आधारभूत ढांचा और मजबूत होगा।
शिक्षा विशेषज्ञों की राय
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय विद्यालयों का विस्तार बिहार के लिए मील का पत्थर साबित होगा। केंद्रीय विद्यालय न सिर्फ पढ़ाई के लिए बल्कि खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियों और तकनीकी शिक्षा के लिए भी जाने जाते हैं। इससे बिहार के बच्चे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होंगे।
विपक्ष का रुख
हालांकि विपक्षी दलों ने इस घोषणा को चुनावी ‘गिफ्ट’ करार दिया है। राजद और कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अगर सरकार को शिक्षा की इतनी ही चिंता थी तो यह कदम पहले उठाना चाहिए था। लेकिन फिलहाल केंद्र सरकार के इस ऐलान से बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
बिहार में 19 नए केंद्रीय विद्यालय खुलना शिक्षा जगत के लिए क्रांतिकारी कदम है। इससे लाखों बच्चों को बेहतर भविष्य मिलेगा और राज्य की शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। साथ ही यह फैसला विधानसभा चुनाव 2025 में वोटों के बड़े मुद्दे के रूप में भी उभर सकता है।