
पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मी तेज होती जा रही है। इसी बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने एक बड़ी घोषणा करते हुए बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी राज्य की लगभग 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
यह ऐलान ऐसे समय में आया है जब सभी प्रमुख राजनीतिक दल—चाहे वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) हो या महागठबंधन—अपनी सीटों की रणनीति और गठबंधन समीकरणों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। AIMIM का यह कदम सीमांचल समेत कई इलाकों में समीकरणों को बदल सकता है।
ओवैसी की पार्टी ने दिखाई बड़ी राजनीतिक महत्वाकांक्षा
अख्तरुल इमान ने साफ कहा कि AIMIM अब बिहार की राजनीति में केवल “सीमांचल की पार्टी” बनकर नहीं रहना चाहती। उन्होंने कहा,
“इस बार AIMIM बिहार के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगी। हमारी तैयारी पूरी है और पार्टी 100 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है। जनता हमें विकल्प के रूप में देख रही है।”
अख्तरुल इमान का यह बयान साफ संकेत देता है कि पार्टी अब सीमांचल के बाहर भी अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश में है। पिछले चुनावों में AIMIM ने सीमांचल की कुछ सीटों पर बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन अब उसका लक्ष्य पूरे बिहार में राजनीतिक प्रभाव बढ़ाना है।
2020 के चुनाव में मिली थी 5 सीटों पर सफलता
अगर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की बात करें तो AIMIM ने सीमांचल इलाके में पांच सीटों पर जीत हासिल कर सभी को चौंका दिया था। किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जैसे जिलों में ओवैसी की पार्टी ने मजबूत पकड़ बनाई थी। हालांकि बाद में पार्टी के चार विधायक आरजेडी (RJD) में शामिल हो गए थे, लेकिन उस चुनाव में AIMIM ने यह साबित कर दिया था कि वह बिहार की राजनीति में एक प्रभावशाली ताकत बन सकती है।
इस बार पार्टी उस सफलता को दोहराने के साथ-साथ और ज्यादा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है।
सीमांचल पर फिर से टिकी नजर, लेकिन अब नजर पटना और मगध पर भी
AIMIM के नेताओं का कहना है कि पार्टी सीमांचल की पारंपरिक सीटों के अलावा इस बार पटना, गया, नालंदा और भोजपुर जिलों की कुछ सीटों पर भी फोकस करेगी। पार्टी का मानना है कि इन इलाकों में भी अल्पसंख्यक और दलित मतदाता उसे समर्थन दे सकते हैं।
पार्टी की रणनीति के अनुसार, उम्मीदवार चयन प्रक्रिया को अंतिम चरण में ले जाया जा रहा है। AIMIM ने दावा किया है कि उम्मीदवारों को स्थानीय स्तर पर जनता की पसंद और क्षेत्रीय मुद्दों को ध्यान में रखकर चुना जाएगा।
राज्य के मुख्य मुद्दों पर भी बोले अख्तरुल इमान
अख्तरुल इमान ने कहा कि बिहार में आज भी बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। उन्होंने कहा,
“बिहार की जनता आज बदलाव चाहती है। AIMIM विकास, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी। हमारी राजनीति नफरत नहीं, विकास की राजनीति होगी।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अब तक के शासन में गरीबों और पिछड़ों की आवाज दबाई गई है। AIMIM चाहती है कि इन तबकों को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाया जाए।
महागठबंधन और एनडीए दोनों पर साधा निशाना
AIMIM ने महागठबंधन और एनडीए दोनों पर तीखा हमला बोला। अख्तरुल इमान ने कहा कि दोनों ही गठबंधनों ने बिहार की जनता को सिर्फ झूठे वादे दिए हैं। उन्होंने कहा कि AIMIM किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी और स्वतंत्र रूप से चुनाव मैदान में उतरेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर AIMIM 100 सीटों पर चुनाव लड़ती है, तो यह कई सीटों पर महागठबंधन, खासकर आरजेडी और कांग्रेस, के लिए सिरदर्द बन सकती है। सीमांचल के अलावा शहरी मुस्लिम बहुल इलाकों में भी पार्टी का प्रभाव बढ़ सकता है।
ओवैसी जल्द करेंगे बिहार दौरा
सूत्रों के अनुसार, असदुद्दीन ओवैसी आने वाले दिनों में बिहार का दौरा करने वाले हैं। वे सीमांचल से लेकर पटना तक कई जनसभाएं करेंगे। पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि ओवैसी खुद उम्मीदवारों के नामों पर अंतिम मुहर लगाएंगे।
ओवैसी के दौरे से पहले AIMIM के प्रदेश स्तर के नेता जनसंपर्क अभियान शुरू कर चुके हैं। पार्टी कार्यकर्ता घर-घर जाकर अपनी नीतियों की जानकारी दे रहे हैं।
विश्लेषकों की राय: AIMIM बदलेगी कई सीटों का समीकरण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि AIMIM अगर 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारती है, तो कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले देखने को मिल सकते हैं। खासतौर पर सीमांचल और पूर्वी बिहार के जिलों में पार्टी का प्रभाव महागठबंधन के वोट बैंक को सीधे प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा, कुछ सीटों पर AIMIM के कारण भाजपा को भी अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि ओवैसी की रणनीति आगामी चुनाव में किस हद तक असर दिखा पाती है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले AIMIM का यह ऐलान न केवल राजनीतिक माहौल को गरमा रहा है, बल्कि सभी बड़े दलों के लिए नई चुनौतियां भी खड़ी कर रहा है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी अब राज्य की राजनीति में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पूरी ताकत झोंकने को तैयार है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या AIMIM 2020 की सफलता को दोहरा पाएगी या फिर इस बार राज्य के बड़े गठबंधनों के बीच उसकी राजनीति कमजोर पड़ जाएगी।