
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है। सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों को मजबूत करने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुनाव अभियान को धार देने के लिए बड़ी घोषणा की है। पार्टी ने चुनाव अभियान समिति का गठन कर दिया है और इसमें कई वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है। यह कदम साफ करता है कि भाजपा ने बिहार की चुनावी जंग को पूरी ताकत से लड़ने की तैयारी कर ली है।
BJP ने थामी कमान
बिहार की राजनीति हमेशा से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं का केंद्र रही है। इस बार भी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गर्मी बढ़ चुकी है। भाजपा ने चुनाव अभियान समिति का गठन कर अपने कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है कि संगठन पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है।
चुनाव अभियान समिति का गठन भाजपा के लिए अहम इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि इस बार सत्ता की राह आसान नहीं है। महागठबंधन भी अपनी रणनीति पर काम कर रहा है और विपक्ष भाजपा को कड़ी चुनौती देने के मूड में है।
चुनाव अभियान समिति का गठन
भाजपा ने जिन नेताओं को चुनाव अभियान समिति में शामिल किया है, वे संगठन और जनाधार दोनों में मजबूत माने जाते हैं। समिति की कमान एक वरिष्ठ नेता को सौंपी गई है, जबकि विभिन्न जिलों और क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले नेताओं को इसमें जगह दी गई है।
समिति का मुख्य उद्देश्य है –
चुनावी रैलियों और जनसभाओं की रणनीति बनाना
बूथ स्तर तक संगठन को सक्रिय करना
युवाओं और महिलाओं को जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाना
सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग कर प्रचार को और प्रभावी बनाना
पूरी लिस्ट पर डालिए नज़र
भाजपा ने जारी की गई सूची में सभी क्षेत्रों और वर्गों का संतुलन साधने की कोशिश की है। इसमें राज्य स्तर के नेताओं के साथ-साथ संगठन के ज़मीनी कार्यकर्ताओं को भी अहम जिम्मेदारी दी गई है।
समिति में शामिल प्रमुख नाम:
1. अध्यक्ष: वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री (नाम जल्द घोषित किया जाएगा)।
2. सदस्य:
प्रदेश अध्यक्ष
पूर्व उपमुख्यमंत्री
पार्टी के संगठन महामंत्री
विभिन्न प्रकोष्ठों के प्रमुख
महिला मोर्चा और युवा मोर्चा के प्रतिनिधि
कुछ सांसद और विधायक
प्रमुख जिलाध्यक्ष
भाजपा का प्रयास है कि इस चुनाव अभियान समिति के जरिए हर वर्ग तक संदेश पहुंचे कि पार्टी सभी को साथ लेकर चलने वाली है।
विपक्ष पर भी नज़र
भाजपा के इस कदम के बाद महागठबंधन की ओर से भी सक्रियता बढ़ना तय है। राजद, जदयू और कांग्रेस मिलकर भाजपा को घेरने की कोशिश करेंगे। महागठबंधन भी आने वाले दिनों में अपनी चुनावी समिति और स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की रणनीति जहां संगठन पर आधारित है, वहीं विपक्ष जातीय समीकरणों और क्षेत्रीय मुद्दों पर दांव खेल सकता है। ऐसे में मुकाबला कांटे का होने वाला है।
चुनावी समीकरण और मुद्दे
बिहार चुनाव 2025 में कई अहम मुद्दे केंद्र में रहेंगे।
बेरोजगारी और रोजगार सृजन
शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था
किसान और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के हालात
केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का असर
कानून व्यवस्था और विकास कार्य
भाजपा की कोशिश होगी कि वह केंद्र सरकार की योजनाओं और प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का फायदा उठाए। वहीं विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर जनता को साधने की रणनीति बनाएगा।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार भाजपा का यह कदम समय रहते चुनावी मोर्चे पर उतरने का इशारा है। समिति का गठन कार्यकर्ताओं को सक्रिय करेगा और चुनावी अभियान को रफ्तार देगा। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि भाजपा ने संगठनात्मक मजबूती पर फोकस करके विपक्ष को कड़ी चुनौती दी है।
जनता की उम्मीदें
चुनाव केवल दलों की लड़ाई नहीं बल्कि जनता की उम्मीदों का भी मंच होता है। बिहार की जनता इस बार रोजगार, शिक्षा और विकास जैसे मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दे रही है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी मतदाता तक चाहते हैं कि नई सरकार आने वाले वर्षों में उन्हें स्थिरता और प्रगति का रास्ता दिखाए।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले भाजपा ने चुनाव अभियान समिति बनाकर सियासी जंग की शुरुआत कर दी है। समिति में सभी क्षेत्रों और वर्गों का प्रतिनिधित्व देकर पार्टी ने यह संदेश दिया है कि वह संगठित होकर मैदान में उतरेगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष भाजपा की इस रणनीति का कैसे मुकाबला करता है।