
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस पार्टी, जो लंबे समय से राज्य में अपने खोए जनाधार को वापस लाने की कोशिश कर रही है, आज एक बड़ी रणनीतिक बैठक करने जा रही है। यह बैठक कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक होगी जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई दिग्गज नेता शामिल होंगे।
चुनावी रणनीति पर फोकस
सूत्रों के अनुसार, यह बैठक बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बुलाई गई है। कांग्रेस का फोकस इस बार न केवल महागठबंधन के तहत सीट बंटवारे पर रहेगा, बल्कि चुनावी रणनीति और संगठनात्मक मजबूती पर भी होगा।
पार्टी की चिंता यह है कि पिछले चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा था। ऐसे में इस बार पूरी तैयारी और एकजुटता के साथ उतरना पार्टी की प्राथमिकता होगी।
बिहार में कांग्रेस की स्थिति
बिहार की राजनीति लंबे समय से जेडीयू, आरजेडी और बीजेपी के इर्द-गिर्द घूमती रही है। कांग्रेस अक्सर इन दलों की छाया में सिमटकर रह जाती है। हालांकि, महागठबंधन में शामिल होकर पार्टी ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने की कोशिश की है।
2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 19 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन पार्टी संगठन और नेतृत्व की कमजोरी साफ झलकी। यही कारण है कि इस बार कांग्रेस सक्रिय भूमिका निभाना चाहती है।
खड़गे और राहुल गांधी की मौजूदगी
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा राहुल गांधी भी इस बैठक में मौजूद रहेंगे। राहुल गांधी हाल ही में देशभर में युवाओं और किसानों के मुद्दों को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। माना जा रहा है कि उनकी मौजूदगी से कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ेगा और चुनावी रणनीति को धार मिलेगी।
प्रियंका गांधी वाड्रा की भागीदारी भी चर्चा में है। वे खासकर महिला मतदाताओं और युवाओं को जोड़ने पर जोर दे सकती हैं।
इस बैठक में मुख्य रूप से निम्न मुद्दों पर चर्चा होगी –
1. महागठबंधन में सीट बंटवारे की रणनीति
2. बिहार में संगठन की मजबूती और बूथ लेवल पर तैयारी
3. युवाओं, किसानों और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को चुनावी एजेंडा बनाना
4. सोशल मीडिया और डिजिटल प्रचार की योजना
5. बीजेपी और एनडीए की रणनीति का मुकाबला करने की तैयारी
बिहार की राजनीतिक जंग
बिहार में इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और बीजेपी अलग राह पर हैं। ऐसे में आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन के लिए यह एक बड़ा मौका है।
आरजेडी पहले से ही राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और अगर कांग्रेस मजबूती से साथ देती है तो महागठबंधन का पलड़ा भारी हो सकता है। हालांकि, सीट बंटवारे और नेतृत्व के मुद्दे पर मतभेद सामने आने की आशंका भी जताई जा रही है।
कांग्रेस की चुनौती
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपना जनाधार बढ़ाना है। पार्टी को न केवल गठबंधन में सम्मानजनक सीटें चाहिए, बल्कि हर सीट पर मजबूत उम्मीदवार भी उतारने होंगे।
बिहार में युवाओं और बेरोजगारी का मुद्दा सबसे बड़ा है। कांग्रेस इन मुद्दों को चुनावी प्रचार में प्रमुखता से उठाने की तैयारी कर रही है।
राष्ट्रीय राजनीति से जुड़ाव
यह बैठक सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डाल सकती है। कांग्रेस चाहती है कि बिहार चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले एक मजबूत संदेश दिया जाए।
राहुल गांधी और खड़गे दोनों ही इस चुनाव को पार्टी पुनर्जीवन का अवसर मानते हैं।
सोशल मीडिया पर कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस इस बार सोशल मीडिया को भी हथियार बनाने जा रही है। पार्टी युवाओं तक पहुंचने के लिए डिजिटल कैंपेन पर जोर देगी।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पहले से ही ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर सक्रिय रहते हैं। अब बिहार कांग्रेस भी इसी राह पर चलते हुए डिजिटल प्रचार अभियान चलाने की योजना बना रही है।
कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस कार्यसमिति की यह बैठक बेहद अहम है। इसमें लिए गए फैसले न केवल बिहार में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी की दिशा तय कर सकते हैं।
अगर कांग्रेस सही रणनीति अपनाती है और महागठबंधन में तालमेल बना लेती है, तो इस बार वह चुनावी नतीजों में बड़ा बदलाव ला सकती है।