
पटना। बिहार की सियासत इस वक्त चुनावी बयार से सराबोर है। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति को मजबूत करने में जुट गए हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी चुनावी रणनीति को और धारदार बनाने के लिए अपने ही ‘चाणक्य’ को मैदान में उतार दिया है। पार्टी का मानना है कि इस बार की लड़ाई आसान नहीं है, लेकिन अगर रणनीति फूलप्रूफ हो तो जीत सुनिश्चित की जा सकती है।
BJP का मिशन बिहार
BJP ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए विशेष रणनीतिक टीम बनाई है। इस टीम का नेतृत्व पार्टी के केंद्रीय स्तर के वरिष्ठ नेताओं के हाथ में है, जिन्हें अक्सर “BJP के चाणक्य” कहा जाता है। उनका मुख्य उद्देश्य है – सीटों का बारीकी से आकलन करना, बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करना और जातीय समीकरणों को साधना।
सूत्रों के अनुसार, यह रणनीतिक टीम हर जिले और विधानसभा क्षेत्र में ‘माइक्रो मैनेजमेंट’ पर काम कर रही है। बूथ समितियों को सक्रिय करने से लेकर सोशल मीडिया पर नैरेटिव गढ़ने तक, हर स्तर पर योजना बनाई गई है।
जातीय समीकरण पर पैनी नजर
बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों पर टिकी रहती है। यही वजह है कि BJP ने अपनी रणनीति बनाते समय जातियों के गणित पर विशेष ध्यान दिया है। पार्टी का प्रयास है कि पारंपरिक वोट बैंक के साथ-साथ नये मतदाताओं को भी साधा जाए। पिछड़ी जातियों (OBC), अति पिछड़ी जातियों (EBC) और दलित समुदाय में पकड़ मजबूत करने की दिशा में विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।
पार्टी का मानना है कि अगर इन वर्गों का भरोसा कायम रखा गया तो विपक्ष के लिए मुकाबला कठिन हो जाएगा।
संगठन की मजबूती – BJP की रीढ़
BJP के रणनीतिकार जानते हैं कि संगठन ही जीत की कुंजी है। इसलिए बूथ स्तर पर हर कार्यकर्ता को सक्रिय किया गया है। ‘पन्ना प्रमुख’ मॉडल को एक बार फिर से लागू करने की योजना है। हर कार्यकर्ता को मतदाता सूची का एक हिस्सा दिया जाएगा ताकि वे व्यक्तिगत स्तर पर लोगों से संपर्क कर सकें।
इसके अलावा, सोशल मीडिया टीम को भी पूरी तरह से एक्टिव मोड में कर दिया गया है। फेसबुक, ट्विटर (X), इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पार्टी की उपलब्धियों और विपक्ष की कमजोरियों को लगातार प्रचारित किया जा रहा है।
NDA में तालमेल की कोशिश
BJP की सबसे बड़ी चुनौती सिर्फ विपक्ष ही नहीं बल्कि अपने सहयोगियों के साथ तालमेल बिठाना भी है। जेडीयू और अन्य सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग को लेकर वार्ता जारी है। पार्टी का लक्ष्य है कि NDA के भीतर किसी तरह का असंतोष न पनपे और गठबंधन एकजुट होकर मैदान में उतरे।
रणनीतिक टीम ने साफ कहा है कि अगर NDA एकजुट रहा तो विपक्ष की कोई भी चाल सफल नहीं होगी।
विपक्ष पर नजर
BJP के ‘चाणक्य’ विपक्ष की रणनीति पर भी बारीकी से नजर रखे हुए हैं। राजद, कांग्रेस और वाम दलों की ओर से मिल रहे संकेतों को देखते हुए BJP ने अपने अभियान को आक्रामक बनाया है। खासकर तेजस्वी यादव की रैलियों और युवाओं को साधने की कोशिश पर पार्टी लगातार पलटवार कर रही है।
BJP का फोकस युवाओं और पहली बार वोट करने वाले मतदाताओं पर भी है। रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा जैसे मुद्दों को प्रमुखता दी जा रही है ताकि युवा वर्ग प्रभावित हो।
चुनावी नारा और प्रचार रणनीति
इस बार BJP का प्रचार अभियान पूरी तरह से विकास और सुशासन पर आधारित है। “डबल इंजन सरकार” का नारा दोहराया जा रहा है। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को भी हर स्तर पर भुनाने की कोशिश हो रही है।
प्रधानमंत्री की रैलियां, रोड शो और वर्चुअल सभाओं की रूपरेखा तैयार हो चुकी है। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री और स्टार प्रचारकों की टीम भी हर क्षेत्र में तैनात की जाएगी।
BJP की जीत की रणनीति – पांच स्तंभ
1. बूथ स्तर पर मजबूती – हर वोटर तक सीधा संपर्क।
2. जातीय संतुलन साधना – हर वर्ग के मतदाताओं को जोड़ना।
3. सोशल मीडिया नैरेटिव – विपक्ष की कमजोरियों को उजागर करना।
4. NDA में तालमेल – सहयोगी दलों को साथ लेकर चलना।
5. मोदी फैक्टर – प्रधानमंत्री की लोकप्रियता को भुनाना।
बिहार में इस बार का चुनाव दिलचस्प होने वाला है। एक ओर विपक्ष लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है, तो दूसरी ओर BJP ने अपने ‘चाणक्य’ की अगुवाई में जीत की फूलप्रूफ प्लानिंग तैयार कर ली है। यह देखना अहम होगा कि क्या यह रणनीति मैदान में कारगर साबित होती है या विपक्ष की रणनीति बाजी मार लेती है।
फिलहाल इतना तय है कि बिहार की जनता इस चुनाव में एक बार फिर राजनीति के कई नए समीकरणों को जन्म देती नजर आएगी।