
पटना। लोकसभा चुनाव 2025 से पहले बिहार की राजनीति गरमा गई है। खासकर जब बात राघोपुर विधानसभा सीट की होती है, तो यह सीट सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति का ध्रुवीय केंद्र बन जाती है। इस सीट से राजद (RJD) और अब INDIA गठबंधन की सबसे बड़ी उम्मीदें जुड़ी रहती हैं। तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) इस सीट से लगातार चुनाव जीतते आए हैं और उन्हें लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक विरासत का असली वारिस माना जाता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या राघोपुर में INDIA गठबंधन के पास तेजस्वी यादव से बेहतर कोई उम्मीदवार मौजूद है? यही जानने के लिए एक ताजा कैंडिडेट सर्वे 2025 सामने आया है।
राघोपुर की राजनीतिक पृष्ठभूमि
राघोपुर विधानसभा सीट वैशाली जिले में आती है। यह सीट लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की राजनीतिक पहचान से जुड़ी रही है। लालू यादव ने यहां से जीत दर्ज कर राजनीति की धारा को मोड़ा था। बाद में राबड़ी देवी और फिर तेजस्वी यादव इस सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे।
2015 और 2020 दोनों चुनावों में तेजस्वी यादव ने विपक्षी लहरों के बावजूद राघोपुर को मजबूती से अपने पाले में रखा। यही कारण है कि आज भी इस सीट को “राजद का गढ़” कहा जाता है।
सर्वे में क्या कहा गया?
हाल ही में किए गए बिहार कैंडिडेट सर्वे 2025 के मुताबिक, राघोपुर सीट पर अभी भी जनता की पहली पसंद तेजस्वी यादव ही बने हुए हैं।
सर्वे में 1000 से ज्यादा लोगों से राय ली गई।
इनमें से लगभग 62% लोगों ने कहा कि तेजस्वी ही सबसे मजबूत उम्मीदवार हैं।
वहीं 18% मतदाताओं का मानना है कि अगर INDIA गठबंधन यहां किसी नए चेहरे को उतारता है तो मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है।
जबकि 20% मतदाताओं ने खुलकर कहा कि बीजेपी या एनडीए के पास यहां मजबूत प्रत्याशी लाने की जरूरत है, क्योंकि राघोपुर को जीतना आसान नहीं है।
क्या तेजस्वी के मुकाबले कोई विकल्प है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राघोपुर की जनता “तेजस्वी यादव” को सिर्फ एक उम्मीदवार नहीं, बल्कि “नेतृत्व की उम्मीद” के तौर पर देखती है। तेजस्वी बिहार के युवाओं, बेरोजगारी और विकास जैसे मुद्दों को लगातार उठाते रहे हैं।
हालांकि, कुछ लोग यह भी कहते हैं कि अगर INDIA गठबंधन यहां किसी नए और स्थानीय चेहरे को लाता है तो मुकाबला और कड़ा हो सकता है।
विकल्प के तौर पर सर्वे में कुछ स्थानीय नेताओं के नाम सामने आए, लेकिन उनकी लोकप्रियता तेजस्वी के मुकाबले बहुत कम पाई गई।
राघोपुर में यादव, मुस्लिम और अति पिछड़ा वर्ग के वोटर्स का वर्चस्व है, जो पारंपरिक रूप से RJD को सपोर्ट करते हैं।
एनडीए की रणनीति
राघोपुर पर एनडीए (NDA) भी नजरें गड़ाए हुए है। पिछली बार एनडीए यहां कड़ा मुकाबला देने में नाकाम रहा था। लेकिन 2025 के चुनावों में बीजेपी और जदयू इस सीट पर रणनीति बना रहे हैं।
सर्वे के मुताबिक, एनडीए का वोट बैंक 27% तक सीमित है, जिसमें अधिकतर ऊपरी जातियों और कुछ गैर-यादव पिछड़ों का समर्थन शामिल है।
अगर एनडीए यहां किसी दमदार उम्मीदवार को उतारता है, तो मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।
जनता की राय: कौन है बेहतर उम्मीदवार?
सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि INDIA गठबंधन अगर तेजस्वी यादव को टिकट न दे तो कौन बेहतर विकल्प हो सकता है, तो जवाब चौंकाने वाले थे:
42% ने कहा – “तेजस्वी ही सबसे सही विकल्प हैं।”
28% लोगों ने कहा कि “किसी स्थानीय नेता को मौका दिया जाए।”
30% मतदाताओं ने कहा कि “अगर कोई पढ़ा-लिखा और साफ छवि वाला चेहरा आता है तो बदलाव हो सकता है।”
क्यों तेजस्वी हैं राघोपुर की पहली पसंद?
1. राजनीतिक विरासत: लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की राजनीतिक धरोहर को संभालने वाले तेजस्वी ही हैं।
2. युवाओं की उम्मीद: तेजस्वी बेरोजगारी और शिक्षा पर लगातार बोलते हैं।
3. मजबूत संगठन: राजद का बूथ लेवल तक मजबूत संगठन राघोपुर को अभेद्य गढ़ बनाता है।
4. वोट बैंक समीकरण: यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ अति पिछड़ा वर्ग का समर्थन।
2025 में राघोपुर का चुनावी समीकरण
अगर 2025 में भी तेजस्वी मैदान में उतरते हैं तो सर्वे बताता है कि उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है।
लेकिन अगर INDIA गठबंधन ने किसी और को मौका दिया तो समीकरण बदल सकते हैं। वहीं एनडीए और अन्य दलों के लिए यह सीट बड़ी चुनौती बनी रहेगी।
राघोपुर विधानसभा सीट पर बिहार कैंडिडेट सर्वे 2025 यह साफ कर रहा है कि तेजस्वी यादव अभी भी जनता की पहली पसंद हैं। हालांकि, राजनीति में बदलाव की संभावना हमेशा रहती है। लेकिन फिलहाल यह कहना गलत नहीं होगा कि राघोपुर की पहचान ही “तेजस्वी यादव” हैं।