
बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमाती नजर आ रही है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने सियासी हलचल तेज कर दी है। उनके बयान से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि चिराग फिर से जनता दल (यूनाइटेड) यानी JDU को नुकसान पहुंचाने की रणनीति में जुट सकते हैं।
चिराग पासवान का यह बयान उस समय आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं और सभी दल गठबंधन की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं। बीजेपी और एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है, वहीं चिराग के इस बयान ने राजनीतिक समीकरणों में नई हलचल पैदा कर दी है।
क्या कहा चिराग पासवान ने?
एक कार्यक्रम में मीडिया से बातचीत के दौरान चिराग पासवान ने कहा,
> “मेरी प्राथमिकता बिहार की जनता है, कोई भी गठबंधन तभी मायने रखता है जब वह राज्य के विकास के हित में हो।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी “अपने दम पर भी चुनाव लड़ने में सक्षम है” और “किसी भी गलत नीति या नेता का समर्थन नहीं करेगी, चाहे वो सत्ता में ही क्यों न हो।”
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह बयान नीतीश कुमार की JDU पर अप्रत्यक्ष हमला है। यह वही चिराग पासवान हैं जिन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में खुद को “मोडी का हनुमान” कहते हुए अकेले चुनाव लड़ा था और JDU के कई उम्मीदवारों को हराया था।
2020 की यादें फिर ताजा
अगर 2020 का विधानसभा चुनाव याद करें तो चिराग पासवान ने उस समय बीजेपी का समर्थन करते हुए भी JDU के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे थे। उस चुनाव में भले ही LJP को बहुत अधिक सीटें नहीं मिलीं, लेकिन JDU को कई सीटों पर भारी नुकसान झेलना पड़ा था।
नीतीश कुमार तब खुलकर यह आरोप लगा चुके थे कि “चिराग पासवान को बीजेपी की शह मिली थी ताकि JDU को कमजोर किया जा सके।” हालांकि बीजेपी ने हमेशा इस आरोप से इनकार किया।
अब जब 2025 का चुनाव नजदीक है और नीतीश कुमार फिर से एनडीए में लौट आए हैं, ऐसे में चिराग पासवान का यह बयान पुराने जख्मों को ताजा करने वाला माना जा रहा है।
क्या एनडीए में दरार के संकेत हैं?
फिलहाल चिराग पासवान बीजेपी के करीबी माने जाते हैं और नरेंद्र मोदी कैबिनेट में मंत्री भी हैं। लेकिन उनके हालिया बयान से लगता है कि वह एनडीए में अपने लिए अधिक राजनीतिक स्पेस चाहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, सीट बंटवारे में अगर LJP (रामविलास) को पर्याप्त हिस्सेदारी नहीं मिली तो चिराग पासवान फिर से स्वतंत्र रणनीति अपनाने का फैसला ले सकते हैं।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि चिराग पासवान “युवाओं और अगड़ी जातियों के वोट बैंक” को साधने में माहिर हैं, और यदि वे एनडीए से अलग राह पकड़ते हैं तो इसका सीधा नुकसान JDU को हो सकता है।
चिराग पासवान की सियासी रणनीति
चिराग पासवान लगातार बिहार के युवाओं, बेरोजगारी और विकास जैसे मुद्दों को उठा रहे हैं। उनका फोकस उन इलाकों पर है जहां JDU और RJD की पकड़ कमजोर है।
वह बार-बार “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” का नारा दोहराते हैं, जो उनकी अलग राजनीतिक पहचान बनाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, चिराग पासवान 2020 की रणनीति को फिर से दोहरा सकते हैं—
> “बीजेपी के साथ रहकर भी JDU के खिलाफ चुनाव लड़ना।”
अगर ऐसा हुआ तो बिहार में एक बार फिर ‘तीन कोणीय मुकाबला’ देखने को मिल सकता है — RJD महागठबंधन, JDU-BJP गठबंधन और चिराग की स्वतंत्र ताकत के बीच।
JDU की बढ़ी चिंता
नीतीश कुमार के लिए यह स्थिति आसान नहीं होगी।
2020 में JDU को सिर्फ 43 सीटें मिली थीं जबकि बीजेपी ने 74 सीटें जीती थीं। उस समय LJP ने सीधे JDU के खिलाफ 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।
अगर 2025 में भी यही समीकरण दोहराया गया, तो JDU के लिए सत्ता में वापसी मुश्किल हो सकती है।
JDU नेताओं का कहना है कि चिराग पासवान “भ्रम की राजनीति” कर रहे हैं और उन्हें बीजेपी “बैकडोर से सपोर्ट” कर रही है। हालांकि बीजेपी के प्रदेश नेताओं ने कहा है कि “एनडीए में सब कुछ ठीक है” और “चिराग पासवान एनडीए परिवार का हिस्सा हैं।”
राजनीतिक समीकरणों पर असर
बिहार की राजनीति में जातिगत और भावनात्मक दोनों समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं।
रामविलास पासवान की विरासत से जुड़े चिराग पासवान दलित और युवा वर्ग में खासा प्रभाव रखते हैं।
ऐसे में अगर वे किसी मोर्चे पर JDU के खिलाफ उतरते हैं, तो नीतीश कुमार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चिराग पासवान की बयानबाजी महज दबाव की रणनीति भी हो सकती है, जिससे एनडीए में उन्हें बेहतर सीट शेयरिंग मिल सके।
हालांकि अगर बातचीत असफल रही तो चिराग पासवान अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर सकते हैं।
बिहार की सियासत में चिराग पासवान एक बार फिर ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा सकते हैं।
उनका हर कदम बिहार की राजनीति को प्रभावित करता है — चाहे वो बयान हो, गठबंधन की शर्त या चुनावी रणनीति।
फिलहाल उनके बयान से यह तो साफ है कि आने वाले चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी LJP (रामविलास) फिर से JDU के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
अब देखना यह होगा कि क्या चिराग पासवान 2025 में फिर “नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा” खोलेंगे या एनडीए के भीतर रहकर राजनीतिक संतुलन बनाए रखेंगे।