
बिहार की राजनीति में इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है कि 2025 के विधानसभा चुनाव के बाद जनता किसे मुख्यमंत्री देखना चाहती है। क्या एक बार फिर नीतीश कुमार पर भरोसा किया जाएगा? क्या तेजस्वी यादव को जनता नया विकल्प मानेगी? या फिर प्रशांत किशोर (PK) की नई राजनीतिक पारी लोगों को लुभा पाएगी?
हाल ही में सामने आए एक बड़े प्री-पोल सर्वे ने इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की है। इस सर्वे के नतीजों ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को चौंका दिया है।
नीतीश कुमार – थके हुए चेहरे के साथ लेकिन अभी भी मजबूती
सर्वे में जनता से पूछा गया कि अगर आज बिहार में चुनाव हो तो वे किसे मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं।
नीतीश कुमार को अब भी एक बड़ा हिस्सा मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य मानता है।
खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और बुजुर्ग मतदाताओं में नीतीश की पकड़ मजबूत बनी हुई है।
विकास और सुशासन के नारे के बावजूद पिछले कार्यकालों में हुए बदलावों की याद आज भी लोगों के मन में है।
हालांकि, युवाओं और पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं में नीतीश की लोकप्रियता काफी गिर चुकी है। कई लोग उन्हें “थका हुआ चेहरा” मानते हैं और नए विकल्प की तलाश में हैं।
तेजस्वी यादव – युवाओं की पहली पसंद
सर्वे के मुताबिक, तेजस्वी यादव को युवाओं और बेरोजगारी से जूझ रहे वर्ग का सबसे ज्यादा समर्थन मिल रहा है।
रोजगार, शिक्षा और पलायन जैसे मुद्दों पर तेजस्वी की आवाज युवाओं को आकर्षित कर रही है।
आरजेडी की पुरानी “MY (मुस्लिम-यादव)” वोट बैंक रणनीति अब और व्यापक होती दिख रही है।
शहरी वोटरों और महिलाओं में भी तेजस्वी की छवि धीरे-धीरे मजबूत हो रही है।
सर्वे में करीब 38% लोगों ने तेजस्वी यादव को अगला मुख्यमंत्री देखने की इच्छा जताई। यह आंकड़ा बताता है कि बिहार की राजनीति में बदलाव की लहर तेज हो रही है।
प्रशांत किशोर (PK) – बदलाव की नई उम्मीद
जनता दल (यू) और कांग्रेस दोनों के साथ काम कर चुके प्रशांत किशोर अब खुद को विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं।
उनकी “जन सुराज यात्रा” ने ग्रामीण इलाकों में उन्हें लोकप्रिय बनाया है।
लोग PK को एक पढ़े-लिखे, आधुनिक सोच वाले और बदलाव की राजनीति लाने वाले चेहरे के रूप में देख रहे हैं।
सर्वे में लगभग 15-18% लोगों ने PK को मुख्यमंत्री पद के लिए पसंद किया।
यह आंकड़ा भले ही अभी कम लगे, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि PK आने वाले महीनों में बड़े खिलाड़ी साबित हो सकते हैं।
सर्वे के चौंकाने वाले आंकड़े
सर्वे रिपोर्ट में मुख्यमंत्री पद की पसंद को लेकर जनता की राय कुछ इस तरह रही –
तेजस्वी यादव – 38%
नीतीश कुमार – 32%
प्रशांत किशोर – 17%
अन्य नेता – 13%
यानी जनता अब बदलाव चाहती है और आने वाला चुनाव बिहार की राजनीति को नई दिशा दे सकता है।
क्या कहती है जनता?
सर्वे में कई मतदाताओं से जब व्यक्तिगत राय पूछी गई तो सामने आया कि –
नीतीश कुमार को अब “लंबे कार्यकाल” के कारण लोग थक चुका मान रहे हैं।
तेजस्वी यादव को “नए और जोशीले चेहरे” के तौर पर देखा जा रहा है।
PK को “ईमानदार, बिना बोझ वाले” नेता के रूप में पहचान मिल रही है।
चुनावी समीकरण और गठबंधन की गणित
बिहार में बिना गठबंधन के सत्ता पाना मुश्किल है।
एनडीए में भाजपा और जदयू की साझेदारी अब भी मजबूत है, लेकिन अंदरूनी खींचतान मौजूद है।
महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों का वोट बैंक एकजुट हो सकता है।
PK अगर स्वतंत्र रूप से उतरते हैं तो दोनों खेमों से वोट खींच सकते हैं।
ताजा सर्वे यह साफ कर देता है कि 2025 का बिहार चुनाव त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है।
नीतीश कुमार का अनुभव
तेजस्वी यादव की ऊर्जा
और PK की नई राजनीति
तीनों ही चेहरे जनता के सामने हैं। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि बिहार की बड़ी आबादी बदलाव के लिए तैयार है और अगली बार तेजस्वी यादव का पलड़ा भारी पड़ सकता है।