पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सियासी माहौल चरम पर है। पहले चरण का मतदान कल यानी 6 नवंबर 2025 को होने वाला है, जबकि दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार ने रफ्तार पकड़ ली है। राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेता जनता को लुभाने के लिए मैदान में उतर चुके हैं। हर पार्टी मतदाताओं को रिझाने के लिए घोषणाओं और वादों की झड़ी लगा रही है। पहले चरण में बिहार के 12 जिलों की 72 सीटों पर मतदान होना है। इनमें गया, औरंगाबाद, नवादा, रोहतास, कैमूर, बक्सर, भोजपुर, जहानाबाद, अरवल, नालंदा, पटना और शेखपुरा जैसे प्रमुख जिले शामिल हैं। निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। करीब 2.5 करोड़ मतदाता अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करेंगे।
इस चरण में मुख्य मुकाबला महागठबंधन बनाम एनडीए के बीच है। महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, और CPI(ML) के नेता सक्रिय हैं, वहीं एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह लगातार रैलियां कर रहे हैं।
तेज हुआ दूसरे चरण का चुनाव प्रचार
पहले चरण के मतदान से ठीक पहले दूसरे चरण के लिए भी चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ लिया है। बिहार के सीवान, सारण, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली, दरभंगा और मधुबनी जैसे जिलों में नेता एक के बाद एक सभाएं कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने सीवान और दरभंगा में जनसभाएं कीं, जिसमें उन्होंने विपक्ष पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “बिहार अब जंगलराज में नहीं लौटेगा, अब केवल विकास की राजनीति होगी।”
दूसरी ओर, तेजस्वी यादव ने अपनी रैलियों में बेरोजगारी और महंगाई को बड़ा मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है, तो युवाओं को नौकरियों की गारंटी और महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं लागू की जाएंगी।
कांग्रेस नेता खड़गे ने नीतीश कुमार और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “ये लोग केवल सत्ता के लिए साथ हैं, बिहार की जनता इनके झूठ को पहचान चुकी है।”

सुरक्षा और व्यवस्था पर फोकस
पहले चरण के मतदान को लेकर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। राज्य पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय सुरक्षा बलों की 400 कंपनियां तैनात की गई हैं। संवेदनशील बूथों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गई है। चुनाव आयोग ने कहा है कि मतदाता निर्भय होकर वोट डालें।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मतदान केंद्रों पर व्हीलचेयर, रैम्प और पीने के पानी की व्यवस्था की गई है। दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सुविधा दी जाएगी।
मतदाताओं में उत्साह, मुद्दों पर गहराई से चर्चा
मतदान से पहले गांव-गांव और कस्बों में राजनीतिक चर्चाओं का माहौल गर्म है। युवाओं के बीच रोजगार, किसानों के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और महिलाओं में सुरक्षा और महंगाई के मुद्दे सबसे प्रमुख हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार युवा मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। राज्य में पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या करीब 18 लाख है।
तीसरे चरण की रणनीति पर भी पार्टियों की नजर
पहले चरण के बाद पार्टियां तुरंत दूसरे और तीसरे चरण पर ध्यान केंद्रित करेंगी। भाजपा और जदयू संयुक्त रैलियों की योजना बना रही हैं, जबकि महागठबंधन के नेता साझा मंच पर उतरेंगे।
तेजस्वी यादव की “परिवर्तन यात्रा” को जनता से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है, जबकि भाजपा की “विकास संकल्प यात्रा” भी बड़े स्तर पर प्रचारित की जा रही है।
माहौल में बढ़ती सियासी गर्मी
बिहार का चुनाव हमेशा से देशभर में चर्चा का केंद्र रहा है। इस बार भी हर पार्टी राज्य की सत्ता पर कब्जा जमाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। रैलियों में नेताओं के तीखे बयान, सोशल मीडिया पर प्रचार और मतदाताओं को लुभाने वाले वादे — सब मिलकर माहौल को और भी गरम बना रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, पहले चरण के मतदान की दिशा से पूरे चुनाव का रुझान तय हो सकता है। इसलिए सभी पार्टियां इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न मानकर मैदान में जुटी हैं। अब देखना यह होगा कि बिहार की जनता किस पर भरोसा जताती है — विकास के नाम पर या बदलाव के नारे पर।
