
नई दिल्ली/पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सुगबुगाहट के बीच राज्य सरकार ने बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया है। गृह विभाग ने एक साथ 76 सर्कल ऑफिसरों (CO) का तबादला कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब चुनाव आयोग ने बिहार दौरे के दौरान अधिकारियों को निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। माना जा रहा है कि इस तबादले से सरकार प्रशासनिक मशीनरी को चुनावी मोड में लाने की कोशिश कर रही है।
क्यों हुआ इतना बड़ा फेरबदल?
जानकारों के मुताबिक, चुनाव से पहले अधिकारियों का तबादला एक नियमित प्रक्रिया होती है ताकि किसी भी जिले या क्षेत्र में लंबे समय से पदस्थ अधिकारियों की निष्पक्षता पर सवाल न उठें।
गृह विभाग ने यह सूची देर रात जारी की, जिसमें राज्य के सभी 38 जिलों से अधिकारियों को इधर-उधर किया गया है। कई जिलों में नए और युवा अफसरों को मौके दिए गए हैं ताकि चुनावी प्रबंधन को चुस्त-दुरुस्त बनाया जा सके।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “सरकार चाहती है कि प्रत्येक सर्कल ऑफिसर स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक कामकाज को सुचारू रूप से चलाए और किसी भी प्रकार की राजनीतिक पक्षधरता न दिखे।”
कहां से कहां भेजे गए अधिकारी
सूत्रों के अनुसार, तबादले की सूची में पटना, गया, भागलपुर, दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मधुबनी, बक्सर, सीवान और मुजफ्फरपुर जैसे प्रमुख जिलों के CO शामिल हैं।
कई अधिकारी जो लंबे समय से एक ही जिले में कार्यरत थे, उन्हें नए जिलों में भेजा गया है।
उदाहरण के तौर पर:
पटना जिले के बाढ़ सर्कल के CO को गया स्थानांतरित किया गया है।
मुजफ्फरपुर के बोचहा सर्कल के CO को दरभंगा भेजा गया है।
भागलपुर और सहरसा जिलों में भी प्रशासनिक अदला-बदली की गई है।
चुनाव आयोग की सख्ती का असर
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने हाल ही में बिहार दौरे के दौरान स्पष्ट कहा था कि निष्पक्ष चुनाव के लिए किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक कर तैयारी की समीक्षा की थी।
सूत्रों के मुताबिक, इसी बैठक के बाद सरकार ने यह सूची जारी की ताकि किसी भी अधिकारी पर राजनीतिक प्रभाव या स्थानीय दबाव का असर न पड़े।
सरकार का बयान
राज्य गृह विभाग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है,
> “चुनाव पूर्व प्रशासनिक पुनर्गठन का उद्देश्य बेहतर कानून व्यवस्था बनाए रखना और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है। सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नई जगह पर तुरंत कार्यभार ग्रहण करें।”
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में भी आवश्यकतानुसार तबादले किए जा सकते हैं।
विपक्ष का आरोप –“राजनीतिक तबादला”
जहां सरकार इसे चुनावी निष्पक्षता के लिए जरूरी कदम बता रही है, वहीं विपक्ष ने इस फेरबदल को राजनीतिक बताया है।
राजद प्रवक्ता ने कहा,
> “यह सरकार की चाल है। जिन इलाकों में जनता का मूड सरकार के खिलाफ है, वहां नए अधिकारी भेजे जा रहे हैं ताकि माहौल को अपने पक्ष में किया जा सके।”
वहीं जदयू और भाजपा नेताओं का कहना है कि प्रशासनिक तबादले एक नियमित प्रक्रिया हैं और चुनावी तैयारी के तहत आवश्यक हैं।
चुनावी दृष्टि से अहम समय
बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
राजनीतिक दलों ने चुनावी रैलियों की तैयारी शुरू कर दी है।
इसी बीच यह फेरबदल प्रशासनिक स्तर पर एक बड़ा संकेत माना जा रहा है कि राज्य सरकार और चुनाव आयोग, दोनों ही किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं चाहते।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन तबादलों से निचले स्तर पर शासन व्यवस्था में गति आएगी और यह तय होगा कि अधिकारियों का रुख जनता और कानून दोनों के प्रति संतुलित रहे।
पिछले चुनावों में भी हुए थे बड़े तबादले
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 से पहले भी इसी तरह लगभग 80 से अधिक अफसरों का तबादला किया गया था।
उस समय भी सरकार ने कहा था कि यह निष्पक्ष चुनाव की दिशा में कदम है।
अब एक बार फिर वही प्रक्रिया दोहराई गई है, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार इस बार भी किसी तरह का विवाद नहीं चाहती।
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बिहार में प्रशासनिक फेरबदल हमेशा चुनावी संकेतों से जुड़े होते हैं।
CO स्तर के अधिकारी सीधे जनता के संपर्क में रहते हैं और चुनाव के दौरान मतदाता सूची, कानून व्यवस्था और शिकायत निवारण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को संभालते हैं।
इसलिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जमीनी स्तर पर प्रशासन पूरी तरह नियंत्रण में रहे।
अगले कदम क्या होंगे?
सूत्रों के अनुसार, अगले चरण में DSP और थाना प्रभारी स्तर पर भी तबादले हो सकते हैं।
इसके अलावा, जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को बूथवार समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है ताकि संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की जा सके।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हुआ यह बड़ा फेरबदल राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों दृष्टियों से बेहद अहम है।
जहां एक ओर यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, वहीं विपक्ष इसे राजनीतिक रणनीति बता रहा है।
अब देखना होगा कि इन तबादलों का असर आगामी विधानसभा चुनाव के परिणामों पर कितना पड़ता है।