
बिहार की राजनीति इस समय महिलाओं को साधने की नई रणनीति पर टिकी हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में एक बड़ा ऐलान किया है, जिसके तहत राज्य की 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को 10-10 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। यह योजना चुनाव से ठीक पहले सामने आई है, इसलिए इसे राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर नीतीश कुमार ने यह घोषणा क्यों की? क्या यह सिर्फ चुनावी दांव है या फिर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की गंभीर कोशिश? दूसरी ओर, तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर भी महिलाओं को लेकर अपने-अपने अलग प्लान पर काम कर रहे हैं।
महिलाओं के लिए नीतीश की नई योजना
नीतीश कुमार का कहना है कि महिलाओं के बिना समाज और राज्य की तरक्की संभव नहीं है। इसी सोच के तहत उन्होंने ‘महिला सशक्तिकरण योजना’ को आगे बढ़ाते हुए यह नया आर्थिक पैकेज घोषित किया है। इस योजना में 18 से 50 साल की उम्र की उन महिलाओं को लाभ मिलेगा, जो गरीबी रेखा से नीचे आती हैं या जिनका नाम पहले से राज्य सरकार की योजनाओं में पंजीकृत है।
सरकार का दावा है कि इससे महिलाओं को छोटे स्तर पर व्यवसाय शुरू करने, घर खर्च संभालने और बच्चों की पढ़ाई में मदद मिलेगी।
चुनावी मौसम में क्यों अहम है यह ऐलान?
बिहार में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में यह योजना सीधे तौर पर महिला मतदाताओं को प्रभावित करेगी।
बिहार में महिला मतदाता संख्या पुरुषों से अधिक हो चुकी है।
नीतीश कुमार की पिछली सरकारों में भी महिलाओं पर फोकस रहा है, जैसे साइकिल योजना, पोशाक योजना और आरक्षण योजना।
अब सीधा नकद आर्थिक लाभ देने की घोषणा को लोग चुनावी मास्टरस्ट्रोक मान रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम नीतीश के लिए ‘वोट बैंक सुरक्षित करने’ की कोशिश है, ताकि विपक्ष महिला वर्ग में सेंध न लगा सके।
विपक्षी पार्टियों की प्रतिक्रिया
तेजस्वी यादव (राजद नेता) ने इस योजना पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार सिर्फ चुनाव आने पर महिलाओं को याद करते हैं। उनका कहना है कि 19 साल के शासन में महिलाओं की असल स्थिति में खास सुधार नहीं हुआ।
तेजस्वी ने दावा किया कि उनकी सरकार आने पर महिलाओं को रोजगार और स्थायी आय के अवसर दिए जाएंगे।
इसके अलावा, युवाओं और महिलाओं के लिए अलग आर्थिक पैकेज तैयार करने की बात कही गई है।
वहीं, प्रशांत किशोर (जनसुराज अभियान) ने भी इसे चुनावी राजनीति बताया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सिर्फ चुनाव से पहले पैसे बांटना, उनकी वास्तविक समस्याओं का हल नहीं है।
प्रशांत किशोर और तेजस्वी का महिलाओं को लेकर प्लान
1. तेजस्वी यादव का फोकस –
महिलाओं के लिए सरकारी नौकरी और स्वरोजगार योजना।
महिला सुरक्षा और हेल्थकेयर पर ज्यादा निवेश।
कामकाजी महिलाओं के लिए डे-केयर सेंटर जैसी सुविधाएं।
2. प्रशांत किशोर का प्लान –
जनसुराज अभियान के जरिए ग्रामीण महिलाओं को संगठित करना।
स्थानीय स्तर पर महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाना।
शिक्षा और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार।
महिलाओं के बीच किसका दांव असरदार होगा?
बिहार की राजनीति में महिलाएं किंगमेकर बन चुकी हैं।
2005 के चुनाव में महिला वोटरों ने नीतीश कुमार को सत्ता दिलाई थी।
2010 और 2015 में भी महिलाओं का झुकाव नीतीश-भाजपा गठबंधन की ओर रहा।
लेकिन 2020 के चुनाव में बड़ी संख्या में महिलाएं तेजस्वी यादव के पक्ष में दिखीं।
अब 2025 का चुनाव इस मायने में अहम है कि महिला वोटर किसके साथ जाती हैं।
राजनीतिक रणनीतिकारों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह योजना महिलाओं को आर्थिक सहारा जरूर देगी, लेकिन इसकी समयसीमा और स्थायित्व पर सवाल हैं। अगर चुनाव के बाद योजना बंद हो गई, तो महिलाओं का भरोसा टूट सकता है।
दूसरी ओर, विपक्ष का दावा है कि नीतीश कुमार की योजनाएं सिर्फ “इलेक्शन टाइम गिफ्ट” हैं, जबकि उनके प्लान लंबी अवधि के बदलाव पर केंद्रित हैं।
नतीजा क्या निकल सकता है?
बिहार का चुनाव इस बार महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमने वाला है।
नीतीश का 10-10 हजार रुपये वाला पैकेज उन्हें तात्कालिक फायदा दे सकता है।
तेजस्वी और प्रशांत किशोर लंबी अवधि की नीतियों के सहारे भरोसा जीतने की कोशिश कर रहे हैं।
आखिरकार, महिलाओं का झुकाव किस ओर जाता है, यही तय करेगा कि बिहार की सत्ता की कुर्सी पर कौन बैठेगा।