पटना। बिहार की सियासी फिज़ा आज पूरी तरह से चुनावी रंग में रंगी नज़र आएगी। राज्य में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तिहरी चुनावी रैली होने जा रही है। भाजपा के इन तीनों दिग्गज नेताओं की मौजूदगी से बिहार का राजनीतिक पारा चढ़ने वाला है। यह रैलियां न सिर्फ एनडीए गठबंधन के लिए जनसमर्थन जुटाने की कोशिश होंगी बल्कि विपक्षी गठबंधन पर सीधा हमला भी देखने को मिलेगा। बिहार के अलग-अलग जिलों में आयोजित इन सभाओं को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं।
तीनों नेताओं की रैलियों पर नजर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भागलपुर, छपरा और दरभंगा में जनसभाओं को संबोधित करेंगे। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह की रैली सासाराम और सीवान में होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुजफ्फरपुर और पूर्णिया में जनता से संवाद करेंगे। तीनों नेताओं की रैलियों का मकसद राज्य में एनडीए के पक्ष में लहर मजबूत करना है। इन रैलियों के जरिये भाजपा यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि केंद्र और राज्य में डबल इंजन की सरकार से ही बिहार का विकास संभव है।
मोदी की रैली पर सबकी नजर
प्रधानमंत्री मोदी की सभाओं को लेकर सबसे ज्यादा उत्साह देखा जा रहा है। उनके भाषणों में केंद्र की योजनाओं की चर्चा के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन पर तीखे हमले की उम्मीद है।
सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं को गिनाते हुए बिहार की जनता से ‘विकास के लिए वोट’ की अपील करेंगे।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और स्थानीय कार्यकर्ता मोदी की रैली को ‘निर्णायक मोड़’ के रूप में देख रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि “प्रधानमंत्री की सभाओं से जनता में नया उत्साह है। यह रैलियां आने वाले चुनाव परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाएंगी।”

अमित शाह का फोकस—कानून-व्यवस्था और सीमांचल
गृह मंत्री अमित शाह की रैलियां हमेशा की तरह तीखी और जोशीली मानी जा रही हैं। शाह बिहार में कानून-व्यवस्था और सीमांचल की स्थिति को लेकर विपक्ष पर हमला बोल सकते हैं।
उनका मुख्य संदेश होगा—“भाजपा ही बिहार में स्थिरता और सुरक्षा की गारंटी है।”
पार्टी सूत्रों के अनुसार, शाह सीमांचल इलाके के मतदाताओं को साधने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, क्योंकि यह क्षेत्र चुनावी रूप से अहम माना जाता है।
राजनाथ सिंह का सधा हुआ लेकिन प्रभावशाली संदेश
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की पहचान संयमित लेकिन प्रभावशाली वक्ता के रूप में होती है। उनकी रैलियों में ग्रामीण और पारंपरिक मतदाताओं पर खास फोकस रहेगा।
राजनाथ सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमा सुरक्षा और सेना में भर्ती से जुड़ी योजनाओं पर बात कर सकते हैं। साथ ही, वे बिहार के युवाओं को आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित करने का संदेश देंगे।
विपक्ष भी मैदान में, लेकिन दबाव में
दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन यानी RJD-कांग्रेस-लेफ्ट भी अपने स्तर पर सभाएं कर रहा है। तेजस्वी यादव और प्रियंका गांधी की रैलियों की तैयारी जारी है, लेकिन भाजपा के शीर्ष तीन नेताओं के एक साथ मैदान में उतरने से विपक्षी खेमे में हलचल है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि “तिहरी रैली” का असर राज्यभर में पड़ेगा, खासकर उन सीटों पर जहां मुकाबला कड़ा है।
भाजपा का बड़ा दांव: संगठन और संदेश दोनों
भाजपा के रणनीतिकार इस पूरे अभियान को “मेगा शोडाउन” के रूप में देख रहे हैं। पार्टी का मकसद है कि मोदी-शाह-राजनाथ की उपस्थिति से यह संदेश दिया जाए कि पार्टी एकजुट है और सत्ता बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत झोंक चुकी है।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस तरह की संयुक्त रैलियां न सिर्फ वोटर को उत्साहित करती हैं बल्कि संगठन को भी नई ऊर्जा देती हैं।
सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों और राज्य पुलिस ने तीनों नेताओं की सभाओं के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है। रैली स्थलों के चारों ओर सीसीटीवी निगरानी, ड्रोन कैमरे और बम डिटेक्शन स्क्वॉड तैनात किए गए हैं।
प्रशासन ने रैली स्थलों के आसपास ट्रैफिक डायवर्जन का भी ऐलान किया है ताकि भीड़ नियंत्रण में रखा जा सके।
जनता में उत्साह और चर्चा
ग्रामीण इलाकों में भी प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं की सभाओं को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है। भाजपा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को रैली में शामिल होने का निमंत्रण दे रहे हैं।
सोशल मीडिया पर भी “मोदी इन बिहार”, “शाह की रैली”, और “राजनाथ इन एक्शन” जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
राजनीतिक असर
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इन रैलियों के बाद बिहार का चुनावी माहौल और गरमाएगा।
एनडीए जहां विकास, सुरक्षा और स्थिरता का मुद्दा उठाएगा, वहीं विपक्ष बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार पर हमला करेगा।
हालांकि यह तय है कि आज की तिहरी रैली से बिहार की सियासत में एक बार फिर नया मोड़ आएगा।
तिहरी रैली बनेगी चुनावी टर्निंग पॉइंट
बिहार के लिए यह दिन राजनीतिक रूप से बेहद अहम है।
तीन दिग्गज नेताओं की एक साथ मौजूदगी ने न सिर्फ भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है, बल्कि विपक्ष को भी नई रणनीति पर सोचने को मजबूर कर दिया है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनावी गरज का असर मतदाताओं के फैसले पर कितना पड़ता है।
