
बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राज्य की सियासत में हलचल तेज होती जा रही है। इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को एक बड़ा झटका लगा है। चुनावी रण के ठीक पहले पार्टी के कई प्रमुख नेता नाराज़ होकर या तो इस्तीफा दे चुके हैं या NDA में शामिल होने के संकेत दे रहे हैं। इससे न केवल RJD के संगठनात्मक ढांचे पर असर पड़ा है बल्कि विपक्षी गठबंधन ‘INDIA Bloc’ की रणनीति पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
कौन-से नेताओं ने छोड़ा RJD का साथ?
सूत्रों के अनुसार, पिछले 48 घंटों में RJD के तीन जिलाध्यक्षों ने इस्तीफा दे दिया है। इनमें सीवान, भागलपुर और बक्सर जिलों के नेता शामिल हैं। बताया जा रहा है कि ये सभी नेता लंबे समय से पार्टी नेतृत्व से नाराज़ चल रहे थे और टिकट बंटवारे में उपेक्षा का आरोप लगा रहे थे। इनमें से दो नेताओं ने खुलकर कहा है कि वे NDA में शामिल होकर “विकास की राजनीति” करना चाहते हैं।
नीतीश-तेजस्वी की जुबानी जंग तेज
इस झटके के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच बयानबाज़ी भी तेज हो गई है। नीतीश ने कहा, “जो लोग बिहार का विकास रोकना चाहते थे, जनता अब उन्हें जवाब देगी।”
वहीं तेजस्वी यादव ने पलटवार करते हुए कहा, “कुछ लोग सत्ता के लालच में जनता का भरोसा तोड़ रहे हैं, लेकिन बिहार की जनता सब जानती है।”
चुनावी समीकरणों पर बड़ा असर
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि RJD से नेताओं का जाना पार्टी के वोट बैंक पर असर डाल सकता है, खासकर उन इलाकों में जहां पार्टी जातीय आधार पर मजबूत मानी जाती है। सीवान, गोपालगंज, और भोजपुर जैसे जिलों में इसका सीधा असर NDA को फायदा पहुंचा सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह असंतोष बढ़ता गया, तो RJD को सीटों के बंटवारे और उम्मीदवार चयन में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
INDIA गठबंधन के भीतर असंतोष की फुसफुसाहट
RJD के भीतर की यह उथल-पुथल विपक्षी गठबंधन INDIA Bloc के लिए भी परेशानी का सबब बन रही है। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के बीच पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान चल रही है। अब RJD में उठे बगावती सुरों से गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “गठबंधन तभी मजबूत रह सकता है जब हर दल अपनी अंदरूनी समस्याओं को सुलझाए। RJD में जो हो रहा है, उसका असर पूरे गठबंधन पर पड़ सकता है।”
RJD का पलटवार — “सब कुछ ठीक है”
RJD प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पार्टी में सब कुछ ठीक है और यह केवल “मीडिया की बनाई हुई अफवाह” है। उन्होंने कहा, “कुछ लोग टिकट की राजनीति कर रहे हैं। ऐसे लोगों का जाना पार्टी के लिए नुकसान नहीं बल्कि राहत है।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि RJD पहले से ज्यादा मजबूत स्थिति में है और आने वाले चुनाव में “जनता का समर्थन” उनके साथ रहेगा।
NDA का आत्मविश्वास बढ़ा
दूसरी ओर, NDA के नेताओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। जदयू और बीजेपी नेताओं का कहना है कि RJD में मची भगदड़ उनके लिए “राजनीतिक संजीवनी” साबित हो सकती है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा, “जनता अब परिवर्तन चाहती है। जो लोग जातिवाद की राजनीति करते थे, वे खुद बिखर रहे हैं।”
जनता की नजर अब किस पर?
वोटिंग में अब कुछ ही सप्ताह बचे हैं। ऐसे में जनता की नजर इस बात पर टिकी है कि क्या RJD इस झटके से उबर पाएगी या NDA इसका फायदा उठाकर दोबारा सत्ता में वापसी करेगी।
ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में RJD समर्थकों में असंतोष है, जबकि युवा वर्ग में NDA की नीतियों को लेकर उत्साह देखा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
RJD के भीतर मचे घमासान का असर सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रहा है। ट्विटर (अब X) और फेसबुक पर “#RJDBreakdown” और “#BiharElections2025” जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
यूजर्स अपनी राय खुलकर दे रहे हैं — कुछ लोग RJD को “अहंकार का शिकार” बता रहे हैं, तो कुछ इसे “राजनीतिक सफाई” करार दे रहे हैं।
चुनावी माहौल में यह झटका RJD के लिए बड़ा संदेश है कि संगठन के भीतर असंतोष को समय रहते दूर नहीं किया गया, तो नतीजे नुकसानदेह हो सकते हैं।
अगले कुछ दिनों में पार्टी की बैठक बुलाने की संभावना है जिसमें चुनावी रणनीति, सीट वितरण और नेतृत्व में बदलाव पर चर्चा हो सकती है।
बिहार की राजनीति में हर दिन एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि RJD इस संकट से कैसे बाहर निकलती है और क्या NDA इस मौके का फायदा उठा पाएगी।