
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे प्रशासन ने सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के मोर्चे पर अपनी तैयारियों को और पुख्ता करना शुरू कर दिया है। इस बार चुनाव आयोग ने सुरक्षा इंतज़ामों को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी है। हर जिले में प्रशासनिक स्तर पर बैठकों का दौर जारी है और संवेदनशील इलाकों में खास निगरानी रखी जा रही है। इसी कड़ी में राज्य चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान किसी भी आकस्मिक परिस्थिति से निपटने के लिए दो एयर एंबुलेंस की तैनाती की गई है।
सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रबंधन पर विशेष जोर
आमतौर पर चुनावों में सुरक्षा बलों की तैनाती पर ध्यान दिया जाता है, लेकिन इस बार प्रशासन ने स्वास्थ्य प्रबंधन को भी प्राथमिकता दी है। चुनावी ड्यूटी में हजारों कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी और अधिकारी शामिल होते हैं। लंबे समय तक काम, मौसम की मार और तनाव के कारण कई बार स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं। इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एयर एंबुलेंस तैनात करने का फैसला लिया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चुनाव आयोग की गंभीरता को दर्शाता है। यह पहली बार है जब बिहार चुनाव में मेडिकल इमरजेंसी को लेकर इतनी बड़ी पहल की गई है। एयर एंबुलेंस की मदद से किसी भी गंभीर स्थिति में मरीज को तुरंत राजधानी पटना या अन्य बड़े मेडिकल संस्थानों तक पहुंचाया जा सकेगा।
संवेदनशील और अतिसंवेदनशील इलाकों पर सख्त निगरानी
बिहार चुनाव में हमेशा से ही संवेदनशील और अतिसंवेदनशील बूथों का जिक्र होता रहा है। पिछली बार भी कई जिलों को संवेदनशील घोषित किया गया था। इस बार सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम के साथ-साथ ड्रोन निगरानी, सीसीटीवी कैमरे और अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की तैयारी की गई है।
राज्य पुलिस मुख्यालय ने पहले ही सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को अलर्ट पर रखा है। नक्सल प्रभावित इलाकों में विशेष फोर्स की तैनाती की जाएगी, जबकि शहरों में यातायात और भीड़ नियंत्रण पर विशेष ध्यान रहेगा।
10 सितंबर को सीईओ संग अहम बैठक
बिहार चुनाव की तैयारियों का अगला अहम पड़ाव 10 सितंबर को होने वाली बैठक होगी। इस दिन मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के साथ राज्य के सभी वरिष्ठ अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। बैठक में सुरक्षा, लॉजिस्टिक्स, मतदान कर्मियों की तैनाती और स्वास्थ्य सुविधाओं पर विस्तार से चर्चा होगी।
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में जिलों से मिली सुरक्षा रिपोर्ट की समीक्षा की जाएगी और जरूरत पड़ने पर नए निर्देश जारी किए जाएंगे। खासकर उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जहां पहले चुनावी हिंसा या गड़बड़ी की घटनाएं सामने आई थीं।
चुनाव आयोग की प्राथमिकता – निष्पक्ष और सुरक्षित चुनाव
चुनाव आयोग लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि इस बार बिहार चुनाव में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। चाहे वह मतदान केंद्रों की सुरक्षा हो या फिर चुनावी स्टाफ की सुविधा, हर पहलू पर बारीकी से ध्यान दिया जा रहा है।
चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि सभी मतदान केंद्रों पर पर्याप्त संख्या में मेडिकल टीम, प्राथमिक उपचार केंद्र और एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अलावा, कोरोना महामारी के अनुभव को देखते हुए साफ-सफाई और स्वास्थ्य मानकों पर भी जोर दिया जा रहा है।
विपक्ष और सत्तापक्ष की नजरें भी तैयारियों पर
चुनावी सुरक्षा और स्वास्थ्य इंतज़ामों को लेकर राजनीतिक दल भी सक्रिय हैं। विपक्ष का कहना है कि केवल कागजों पर नहीं बल्कि ज़मीनी स्तर पर इन तैयारियों का असर दिखना चाहिए। वहीं, सत्तापक्ष का दावा है कि इस बार चुनाव आयोग और सरकार की साझी कोशिशों से एक नया मानक स्थापित होगा।
जनता का भरोसा बढ़ाना ही सबसे बड़ा लक्ष्य
विशेषज्ञों के मुताबिक, निष्पक्ष चुनाव के लिए जनता का भरोसा सबसे बड़ा हथियार होता है। अगर लोग यह मानेंगे कि चुनाव शांतिपूर्ण और सुरक्षित माहौल में हो रहे हैं, तो मतदान प्रतिशत अपने आप बढ़ेगा। इसलिए चुनाव आयोग का यह कदम न केवल प्रशासनिक मजबूती दिखाता है बल्कि जनता को यह संदेश भी देता है कि उनकी सुरक्षा सर्वोपरि है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब केवल राजनीतिक संघर्ष का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह प्रशासनिक क्षमता और तैयारियों की भी परीक्षा है। एयर एंबुलेंस की तैनाती, संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी और स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष ध्यान इस बार के चुनाव को खास बना रहा है।
10 सितंबर की बैठक के बाद तस्वीर और साफ होगी कि आयोग किस रणनीति के तहत चुनाव कराने जा रहा है। लेकिन इतना तय है कि इस बार बिहार चुनाव प्रशासनिक दृष्टि से भी इतिहास रचने वाला है।