
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सियासी हलचल तेज होती जा रही है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने सबसे चर्चित चेहरों में से एक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्टार प्रचारक के रूप में मैदान में उतारने की तैयारी कर ली है। बताया जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ की दो दर्जन से अधिक सभाएं बिहार के विभिन्न जिलों में आयोजित की जा सकती हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, योगी की सभाएं अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवंबर के पहले पखवाड़े तक आयोजित होंगी। बिहार में इस समय राजनीतिक माहौल गर्म है, और बीजेपी चाहती है कि योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता और हिंदुत्व की छवि का फायदा चुनावी मैदान में पूरे दमखम से उठाया जाए।
बिहार चुनाव में बीजेपी की रणनीति पर फोकस
बीजेपी ने इस बार अपने प्रचार अभियान को चरणबद्ध तरीके से तैयार किया है। पार्टी का मकसद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाया जाए और साथ ही योगी आदित्यनाथ की सख्त प्रशासनिक छवि को बिहार के मतदाताओं के बीच प्रचारित किया जाए।
योगी आदित्यनाथ की सभाओं का केंद्र सीमांचल, मगध, मिथिलांचल और कोसी इलाके होंगे, जहां बीजेपी को पिछली बार उम्मीद से कम सीटें मिली थीं। ऐसे में पार्टी वहां अपने जनाधार को मजबूत करना चाहती है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि,
“योगी जी का प्रभाव सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है। उनकी छवि एक निर्णायक और भ्रष्टाचार मुक्त नेता के रूप में बिहार में भी काफी लोकप्रिय है। यही वजह है कि उन्हें स्टार प्रचारक के रूप में उतारा जा रहा है।”
योगी आदित्यनाथ की सभाओं से बीजेपी को मिलने की उम्मीद
पार्टी को उम्मीद है कि योगी आदित्यनाथ के भाषणों से न सिर्फ भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ेगा, बल्कि undecided वोटरों पर भी असर पड़ेगा। योगी की रैलियों में युवाओं और पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
योगी आदित्यनाथ बिहार के उन इलाकों में प्रचार करेंगे, जहां जदयू और राजद का सीधा मुकाबला भाजपा से है। इन क्षेत्रों में जातीय समीकरणों के साथ-साथ विकास और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी जनता का रुझान बदल सकता है।
बीजेपी की रणनीति के मुताबिक, योगी की रैलियों में “डबल इंजन की सरकार” और “विकास बनाम वंशवाद” जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे।
योगी के भाषणों में होगा हिंदुत्व और विकास का संतुलन
बीजेपी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ अपने भाषणों में राम मंदिर, कानून व्यवस्था, अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण, रोजगार सृजन और निवेश जैसे मुद्दों को प्रमुखता देंगे।
योगी का प्रचार शैली हमेशा आक्रामक और जोशपूर्ण होती है, जिससे भीड़ में ऊर्जा का माहौल बन जाता है। बिहार में उनके भाषणों में राष्ट्रीयता, धर्म, सुरक्षा और विकास की बातों का संतुलन देखने को मिलेगा।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि योगी आदित्यनाथ बिहार में भाजपा के लिए ऐसा चेहरा हैं जो हिंदू वोटों को एकजुट करने के साथ-साथ युवाओं और मध्यम वर्ग को भी प्रभावित कर सकते हैं।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी शुरू
योगी आदित्यनाथ के प्रचार अभियान की खबर मिलते ही विपक्षी दलों में भी हलचल तेज हो गई है। राजद और कांग्रेस ने इसे “ध्रुवीकरण की कोशिश” बताया है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि,
“बिहार की जनता अब झूठे वादों में नहीं आने वाली। यूपी का मॉडल यहां नहीं चलेगा।”
वहीं, बीजेपी का कहना है कि विपक्ष की बौखलाहट बताती है कि योगी आदित्यनाथ के मैदान में उतरते ही चुनावी समीकरण बदलने लगे हैं।
बीजेपी का प्रचार अभियान होगा हाई-टेक
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ की रैलियों को डिजिटल माध्यमों पर भी लाइव दिखाने की तैयारी की है। पार्टी आईटी सेल ने सभी जिलों में सोशल मीडिया वॉर रूम बना दिए हैं।
प्रत्येक सभा के बाद डिजिटल पोस्टर, वीडियो क्लिप्स और भाषण के प्रमुख अंशों को फेसबुक, एक्स (Twitter) और इंस्टाग्राम पर प्रचारित किया जाएगा।
इसके साथ ही “अबकी बार डबल इंजन सरकार” और “सुरक्षित बिहार, सक्षम बिहार” जैसे स्लोगन पर आधारित प्रचार सामग्री भी जारी की जाएगी l
बिहार में बीजेपी का फोकस क्षेत्रवार सीटों पर
बीजेपी इस बार अपने सहयोगी दलों के साथ तालमेल बनाते हुए चुनावी रणनीति तैयार कर रही है। योगी आदित्यनाथ की रैलियां मुख्यतः उन क्षेत्रों में होंगी जहां बीजेपी अकेले मैदान में है या सीधा मुकाबला राजद से है।
इसके अलावा, योगी आदित्यनाथ उन सीटों पर भी सभाएं करेंगे, जहां पिछली बार पार्टी मामूली अंतर से हार गई थी। पार्टी का मानना है कि अगर इन सीटों पर 2-3 प्रतिशत वोटों का स्विंग हुआ तो परिणाम पूरी तरह पलट सकता है।
बिहार विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ का उतरना बीजेपी के लिए मोरेल बूस्टर साबित हो सकता है। उनकी लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता से बीजेपी को न सिर्फ कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि चुनावी हवा को अपने पक्ष में मोड़ने का अवसर भी मिलेगा।
अब देखना यह होगा कि योगी आदित्यनाथ की रैलियों का असर बिहार के चुनावी समीकरणों पर कितना गहरा पड़ता है।