
BIHAR ELECTION: लालू प्रसाद यादव 13वीं बार निर्विरोध चुने गए राष्ट्रीय अध्यक्ष, RJD में एक बार फिर दिखी एकजुटता।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एक बार फिर पार्टी के शीर्ष पद पर निर्विरोध चुने गए हैं। वे लगातार 13वीं बार RJD के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं। इस मौके पर पार्टी में जबरदस्त उत्साह देखा गया, वहीं पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसे संगठन की एकजुटता और लालू यादव के नेतृत्व पर अटूट विश्वास का प्रतीक बताया है।
निर्विरोध हुए निर्वाचित, किसी ने नहीं दाखिल किया नामांकन
राजद की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में लालू प्रसाद यादव को अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। चुनाव प्रक्रिया के तहत नामांकन की अंतिम तिथि तक लालू यादव के खिलाफ किसी भी उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल नहीं किया, जिसके बाद उन्हें सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया गया।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और चुनाव अधिकारी ने इस घोषणा के साथ कहा,
> “लालू जी हमारे आदर्श नेता हैं और पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने में उनका योगदान अतुलनीय है। उनके नेतृत्व में पार्टी ने हमेशा समाज के कमजोर वर्गों की आवाज़ बुलंद की है।”
तेजस्वी यादव समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने दी बधाई
राजद के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने पिता को बधाई देते हुए कहा,
> “लालू जी सिर्फ हमारे नेता नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की लड़ाई के प्रतीक हैं। आज का दिन हम सबके लिए गर्व का है।”
पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं ने मिठाइयां बांटी और ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया। बिहार के अलग-अलग जिलों से आए प्रतिनिधियों ने भी अपने नेता के फिर से अध्यक्ष बनने पर खुशी जाहिर की।
राजनीतिक हलकों में मंथन
लालू यादव का 13वीं बार पार्टी अध्यक्ष बनना केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि राजद अब भी लालू के नेतृत्व को केंद्रीय भूमिका में मानता है, भले ही सक्रिय राजनीति की कमान अब तेजस्वी यादव संभाल रहे हों।
यह भी संकेत है कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी का मार्गदर्शन लालू यादव के अनुभव और तेजस्वी के युवा नेतृत्व के संयोजन से होगा।
लालू प्रसाद यादव का लगातार 13वीं बार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना न सिर्फ उनके नेतृत्व की स्वीकार्यता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि RJD अब भी अपने मूल विचार – सामाजिक न्याय, पिछड़े वर्गों का सशक्तिकरण और धर्मनिरपेक्षता – से पीछे नहीं हटी है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस तरह अपने पुराने जनाधार को बनाए रखते हुए नए मतदाताओं को आकर्षित करती है।