“पटना, 16 नवंबर 2025 — बिहार में नई सरकार के गठन का काउंटडाउन पूरी तेजी से चल रहा है। रविवार (आज) 18वीं विधानसभा से जुड़ी औपचारिक अधिसूचना जारी की जाएगी, जो राज्य में राजनीतिक प्रक्रिया को अगली सदीड़ों में ले जाने में मील का पत्थर साबित होगी। साथ ही, मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (मॉदरल आचार संहिता) भी इसी अधिसूचना के साथ समाप्त हो जाने की संभावना है।

राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि नई सरकार का शपथ-ग्रहण समारोह 19 या 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में आयोजित किया जाए। इस क़ीमत को बढ़ाने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस समारोह में शामिल होंगे।
पृष्ठभूमि और संविधानिक कदम
चुनावी नतीजों के बाद बिहार में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया औपचारिक चरण में प्रवेश कर चुकी है। चुनाव आयोग आज गर्वर (राज्यपाल) को 18वीं विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायकों की सूची सौंपेगा, जिसके बाद संसदीय कार्य विभाग अधिसूचना जारी करेगा। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को अपने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाने की योजना बना रहे हैं, जिसमें 17वीं विधानसभा को भंग करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद नीतीश कुमार राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफ़ा सौंपेंगे, जिससे नई सरकार के गठन का मार्ग साफ हो जाएगा।
विधायकों की बैठक और नेतृत्व वाली लड़ाई
इस्तीफ़े के बाद, एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के अलग-अलग घटक दलों के नवनिर्वाचित विधायकों की विधायकों की बैठक होगी। इन बैठकों में यह तय किया जाएगा कि किस नेता को एनडीए विधायक दल का नेता चुना जाए, और वही व्यक्ति राज्यपाल से सरकार गठन का दावा पेश करेगा। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह चरण संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल गठबंधन की शक्ति समायोजन को दर्शाता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि सत्ता हस्तांतरण सुचारू और पारदर्शी रूप से होगा।
शपथ-ग्रहण समारोह की तैयारी और रणनीति
पटना के गांधी मैदान में शपथ-ग्रहण की तैयारियाँ तीव्र गति से चल रही हैं। आयोजकों की योजना है कि यह समारोह “शक्ति प्रदर्शन” के अवसर के रूप में हो — दिखाने के लिए कि एनडीए एक मंच पर कितना एकजुट और मजबूत है। सूत्रों की मानें, तो समारोह में राष्ट्रीय स्तर के नेता मौजूद होंगे — न केवल प्रधानमंत्री मोदी, बल्कि अन्य केंद्रीय मंत्री, एनडीए-शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उप-प्रमुख, और वरिष्ठ गठबंधन नेता भी आमंत्रित होंगे।
यह आयोजन न केवल बिहार के लिए प्रतीकात्मक महत्व रखता है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में एनडीए की छवि को मजबूत करने का एक मंच भी होगा। कुछ विश्लेषकों के मुताबिक, यह समारोह आगामी विधानसभा चुनावों और अन्य स्थानीय सियासी मोर्चों पर गठबंधन की छवि को चमकाने का अवसर हो सकता है।
राजनीतिक बयानबाज़ी और विरोधी दावा
हालाँकि, हर मोर्चे पर सहमति नहीं है। तेजस्वी यादव, जो महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) के प्रमुख चेहरा हैं, पहले ही 18 नवंबर को शपथ ग्रहण होने का दावा कर चुके हैं। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि उनकी पार्टी और गठबंधन “जनमत के मान्य रूप” के साथ सरकार बनाएंगे।
लेकिन एनडीए समर्थक स्रोतों में 19-20 नवंबर की तिथियाँ सबसे अधिक जोर पकड़ रही हैं। यह राजनीतिक टकराव इस बात का संकेत है कि सत्ता पर कब्ज़ा केवल संख्या का खेल नहीं है, बल्कि प्रतीकात्मकता, शक्ति प्रदर्शन और गठबंधन रणनीति का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।
संभावित चुनौतियाँ और आगे की राह
नई सरकार के लिए प्राथमिक चुनौतियाँ भी स्पष्ट हैं। पहला, कैबिनेट गठन — कौन-कौन मंत्री होंगे, विभाग कैसे बंटेंगे, यह गठबंधन के संतुलन और विभिन्न दलों के अंदरूनी समीकरणों पर निर्भर करेगा। दूसरा, पहला विधानसभा सत्र — नए विधायक कब मिलेंगे, पहली बैठक में एजेंडा क्या होगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह सरकार की दिशा और प्राथमिकताओं का शुरुआती संकेत देगा। इसके अलावा, समृद्धि, विकास, कानून-व्यवस्था, कृषि, युवा रोजगार जैसे मुद्दों पर जनता की उम्मीदें बहुत ऊँची हैं। नई सरकार को इन सामूहिक चुनिंदा मुद्दों पर त्वरित और ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि उसका जन समर्थन मजबूत बना रहे।
बिहार में नई सरकार का गठन सिर्फ राजनीतिक मोड़ नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। 18वीं विधानसभा की अधिसूचना से जैसे ही औपचारिक प्रक्रिया शुरू होगी, राज्य की राजनीति नई गति पकड़ेगी। 19 या 20 नवंबर को प्रस्तावित शपथ-ग्रहण समारोह, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति की संभावना है, न केवल बिहार की नई सत्तासीन टीम की शुरुआत होगी, बल्कि यह एक व्यापक राजनीतिक संदेश भी देगा — एनडीए की मजबूती, गठबंधन की एकजुटता और भविष्य की चुनौतियों के लिए उनकी तैयारी।
बिहार की जनता, राजनीतिक विश्लेषक और विपक्ष तीनों की निगाहें अब अगले कुछ दिनों पर टिकी हैं — क्या नई सरकार जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगी, और क्या यह अपने पूर्ववर्तियों के लिए नए मानक स्थापित कर सकेगी। समय बताएगा, लेकिन फिलहाल काउंटडाउन शुरू हो चुका है।
