बिहार की राजनीति में जारी हलचल के बीच एनडीए की ऐतिहासिक जीत के बाद शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। इसी दौरान लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और जमुई से सांसद चिराग पासवान ने महागठबंधन पर सीधा राजनीतिक वार करते हुए सियासी तापमान बढ़ा दिया है। चिराग पासवान ने दावा किया कि “बिहार में महागठबंधन अब पूरी तरह खत्म हो चुका है और आने वाले समय में बंगाल, असम और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी जनता उन्हें पूरी तरह नकार देगी।”

एनडीए की जीत के बाद केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सत्ता संतुलन और रणनीतियों को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। शपथ ग्रहण से पहले ही एनडीए के शीर्ष नेता नए समीकरणों पर चर्चा में जुटे हैं, वहीं विपक्षी गठबंधन लगातार बैकफुट पर नज़र आ रहा है।
चिराग पासवान का आक्रामक अंदाज़
चिराग पासवान अपने बेबाक राजनीतिक रुख के लिए जाने जाते हैं। बिहार विधानसभा परिणामों के बाद उन्होंने महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि—
“यह जीत स्पष्ट संदेश है कि बिहार की जनता अब विकास और स्थिरता चाहती है। महागठबंधन का भ्रम अब टूट चुका है और जनता ने साफ कर दिया है कि वह जातीय राजनीति से ऊपर उठ चुकी है।”
चिराग पासवान के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक एनडीए की मजबूती और विपक्ष की कमज़ोरी दोनों से जोड़कर देख रहे हैं। बिहार के बाद अब एनडीए की नजर पूर्व और दक्षिण भारत के उन राज्यों पर है, जहाँ महागठबंधन या उसके घटक दल अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
महागठबंधन की स्थिति पर सवाल
चिराग ने यह भी दावा किया कि महागठबंधन में न तो एकरूपता है और न ही कोई स्पष्ट नेतृत्व। उन्होंने कहा कि बिहार में जनता ने महागठबंधन के भ्रमजाल को समझ लिया और इसीलिए एनडीए को ऐतिहासिक जनादेश मिला।
चिराग के अनुसार—
महागठबंधन ने विकास की जगह वोट बैंक की राजनीति को प्राथमिकता दी
नेतृत्व संकट साफ दिखा
दलों के बीच आपसी मतभेद चरम पर थे
जनता ने विकल्प के तौर पर एनडीए पर भरोसा किया
उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में अन्य राज्यों में भी यही स्थिति देखने को मिलेगी।
शपथ ग्रहण समारोह से पहले बदलता सियासी समीकरण
बिहार में नई सरकार के गठन की तैयारियाँ पूरी रफ़्तार पर हैं। एनडीए के विधायकों ने अपने नेता चुन लिए हैं और शपथ ग्रहण समारोह के लिए खुद प्रधानमंत्री और केंद्रीय नेतृत्व के पहुंचने की संभावनाएँ हैं। राज्य में एक स्थिर और मजबूत सरकार का संदेश देने की कोशिश साफ दिखाई दे रही है।
एनडीए खेमे में उत्साह है, वहीं विपक्षी दल इस हार के कारण और भविष्य की रणनीति को लेकर मंथन कर रहे हैं। खासकर आरजेडी और कांग्रेस के सामने यह बड़ा सवाल है कि जनता उनसे लगातार दूर क्यों हो रही है।
राजनीतिक विशेषज्ञों की राय
बिहार में परिणामों के बाद राजनीति में कई बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि:
1. चिराग पासवान एनडीए में एक बड़े चेहरा बनकर उभरे हैं, और उनके बयान पार्टी लाइन के अनुरूप रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
2. महागठबंधन की लगातार कमजोर होती पकड़ विपक्ष की चिंता बढ़ा रही है।
3. आने वाले चुनावों में एनडीए अपनी पकड़ को और मजबूत करने के लिए नए क्षेत्रों में विस्तार चाहता है।
4. चिराग का बयान एनडीए की राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ते महत्व की ओर संकेत करता है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
अभी तक महागठबंधन की ओर से चिराग पासवान के इस बयान पर कोई बड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि हार के कारणों पर मंथन जारी है।
आरजेडी के कई वरिष्ठ नेताओं ने स्वीकार किया है कि संगठनात्मक ढाँचे को मजबूत करने की जरूरत है और रणनीति में बड़े बदलाव की आवश्यकता है।
वहीं कांग्रेस ख़ामोशी में है और जेडीयू के अलग रास्ते ने विपक्ष के समीकरण को और कमजोर कर दिया है।
एनडीए के लिए आगे की राह
एनडीए के सामने अब सबसे बड़ा लक्ष्य एक मजबूत और स्थिर सरकार देना है, जिससे जनता का भरोसा और मजबूत हो सके। प्रधानमंत्री की विकास योजनाओं और राज्य सरकार की प्राथमिकताओं के बीच तालमेल स्थापित करना आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण रहेगा।
चिराग पासवान जैसे युवा नेताओं की सक्रिय भूमिका भी एनडीए के राजनीतिक विस्तार में अहम मानी जा रही है। बिहार में एनडीए की जीत ने 2026 व 2029 के चुनावी रोडमैप पर भी असर डाला है।
समापन
बिहार की राजनीति एक नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। एनडीए की जीत ने न सिर्फ राज्य की सियासत बदली है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीतिक समीकरणों पर भी इसका असर दिख रहा है।
चिराग पासवान के महागठबंधन पर किए गए तीखे हमले यह संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में राजनीतिक बयानबाजी और तेज होगी।
शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही दिख रही इस सियासी गर्माहट से साफ है कि बिहार में राजनीति अभी और दिलचस्प मोड़ ले सकती है।
