
Bihar News: पूर्णिया में अंधविश्वास बना खूनी तांडव, मासूम की आंखों के सामने एक ही परिवार के चार लोगों की नृशंस हत्या, गांव में पसरा मातम और सन्नाटा।
बिहार के पूर्णिया जिले से एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। मुफस्सिल थाना क्षेत्र के टेटगामा गांव में एक ही परिवार के चार लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई, वो भी घर में सोते वक्त। सबसे दर्दनाक बात यह रही कि यह पूरा मंजर मृतकों की छोटी बच्ची ने अपनी आंखों के सामने देखा। सोमवार सुबह जब गांव से चार अर्थियां उठीं, तो पूरा इलाका सन्न और स्तब्ध रह गया।
अंधविश्वास बना मौत का कारण, ‘डायन’ बताकर की गई हत्या
स्थानीय लोगों के अनुसार, मृतक बाबूलाल उरांव की पत्नी पर गांव के कुछ लोगों को ‘डायन’ होने का शक था। इसी अंधविश्वास के चलते रविवार की रात बाबूलाल, उनकी पत्नी और दो अन्य पर लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से हमला किया गया। हमला उस वक्त किया गया जब पूरा परिवार घर में सो रहा था। हमलावरों ने बिना किसी दया या मानवता के सभी को मौत के घाट उतार दिया।
बच्ची ने बचाई जान, चश्मदीद बयान से दहल उठा प्रशासन
इस हृदयविदारक घटना की एकमात्र चश्मदीद गवाह बनी मृतक की छोटी बेटी, जो किसी तरह अपनी जान बचाकर नानी के घर भागने में सफल रही। वहां पहुंचकर बच्ची ने जो बताया, वह सुनकर पुलिस और ग्रामीणों की रूह कांप गई। बच्ची ने अपने पूरे परिवार की हत्या की आंखों देखी घटना बयान की, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया।
गांव में पसरा सन्नाटा, आरोपी फरार
वारदात के बाद टेटगामा गांव में खौफ का माहौल है। कई घरों में ताले लटक रहे हैं और घटना में शामिल संदिग्ध गांव छोड़कर फरार हो चुके हैं। ग्रामीणों के अनुसार, यह पूरी घटना एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा लग रही है, जिसे अंधविश्वास की आड़ में अंजाम दिया गया।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई, तीन हिरासत में
घटना की जानकारी मिलते ही मुफस्सिल थाना समेत तीन थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। पूर्णिया की एसपी स्वीटी सहरावत ने स्वयं घटनास्थल का दौरा किया और चश्मदीद बच्ची से बयान लिया। फिलहाल तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, और उनसे सख्ती से पूछताछ की जा रही है। पुलिस का कहना है कि बहुत जल्द मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो जाएगी।
सामाजिक जहालत की भयावह तस्वीर
यह घटना बिहार में अंधविश्वास और सामाजिक पिछड़ेपन की एक और खौफनाक मिसाल बन गई है। आज भी 21वीं सदी में लोग डायन-बिसाही जैसे अंधविश्वासों के नाम पर निर्दोषों की हत्याएं कर रहे हैं। यह न केवल एक परिवार की बर्बादी है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक शर्मनाक चेतावनी है।
पूर्णिया की यह वीभत्स घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि समाज की चेतना पर चोट है। जब तक अंधविश्वास और सामाजिक जागरूकता की कमी दूर नहीं होती, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि इस अमानवीय मानसिकता के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जाए।