
Bihar News: लालू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने किया सुनवाई से इनकार, बढ़ी मुश्किलें।
जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जुलाई को बिहार के मोतिहारी में विशाल जनसभा को संबोधित कर विपक्ष पर सियासी हमला बोल रहे थे, वहीं दूसरी ओर दिल्ली से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को बड़ा कानूनी झटका मिला। सुप्रीम कोर्ट ने ‘लैंड फॉर जॉब’ (नौकरी के बदले ज़मीन) घोटाले से जुड़ी लालू यादव की याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया।
यह झटका ऐसे समय आया है जब राजनीतिक माहौल गर्म है और प्रधानमंत्री खुद अपने भाषण में ‘नौकरी के नाम पर ज़मीन हड़पने’ का मुद्दा उठाकर विपक्ष, खासकर लालू परिवार को घेर रहे हैं। इस लिहाज से यह घटनाक्रम और भी अहम हो जाता है।
क्या है मामला?
लालू यादव ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की थी कि लैंड फॉर जॉब मामले में उनके खिलाफ चल रही कार्यवाही को रोका जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट भी लालू यादव को इस मामले में राहत देने से इनकार कर चुका है।
यह केस उस कथित घोटाले से जुड़ा है जिसमें आरोप है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए कुछ लोगों को रेलवे में नौकरी दी, और इसके बदले उनकी जमीनें अपने परिवार के नाम पर लिखवा लीं। यह मामला केंद्रीय जांच एजेंसियों के रडार पर है और फिलहाल जांच प्रक्रिया जारी है।
राजनीतिक असर
इस फैसले का असर सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि राजनीतिक भी है। चंपारण की धरती से प्रधानमंत्री मोदी जहां विपक्ष को ‘भ्रष्टाचार का प्रतीक’ बता रहे थे, वहीं सुप्रीम कोर्ट की यह कार्यवाही विपक्ष के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है।
पीएम मोदी ने अपनी जनसभा में कहा था कि “जब लालटेन की सरकार थी, तो युवाओं को नौकरी नहीं मिलती थी और जिन्हें मिलती थी, उनकी ज़मीनें तक लिखवा ली जाती थीं।” अब सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी और सुनवाई से इनकार विपक्ष पर कानूनी और नैतिक दोनों मोर्चों पर दबाव बढ़ाने वाला है।
लालू यादव की याचिका को सुप्रीम कोर्ट से झटका मिलना और उसी दिन पीएम मोदी का चंपारण की धरती से हमला बोलना महज संयोग नहीं माना जा सकता। यह स्पष्ट संकेत है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति और भी गर्म होने वाली है। एनडीए जहां भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रही है, वहीं विपक्ष के सामने कानूनी और सियासी दोनों चुनौतियाँ बढ़ती नजर आ रही हैं।
Disclaimer: यह रिपोर्ट न्यायिक और राजनीतिक घटनाओं पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत जानकारी सार्वजनिक रिकॉर्ड और आधिकारिक स्रोतों पर आधारित है।