
बिहार में उस समय हड़कंप मच गया जब खुफिया एजेंसियों ने जानकारी दी कि तीन पाकिस्तानी आतंकी नेपाल बॉर्डर के रास्ते राज्य में घुस आए हैं। यह घटना तब हुई जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यात्रा बिहार से गुजर रही है। खुफिया इनपुट्स के बाद पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियां इन आतंकियों की तलाश में जुट गई हैं और नेपाल सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
कैसे हुई आतंकी एंट्री?
सूत्रों के मुताबिक, ये तीनों आतंकी पाकिस्तान के टेरर नेटवर्क से जुड़े हुए हैं और नेपाल के जरिए भारत में दाखिल हुए। भारत-नेपाल सीमा पर अक्सर निगरानी में ढिलाई का फायदा आतंकी संगठनों ने उठाया है। सीमा पर बाड़बंदी नहीं होने और खुले आवागमन के चलते ये आतंकी आसानी से बिहार में प्रवेश कर गए।
खुफिया एजेंसियों को कैसे मिली सूचना?
IB (इंटेलिजेंस ब्यूरो) और NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) को पिछले हफ्ते ही इन आतंकियों की मूवमेंट की सूचना मिली थी। इसके बाद SSB (सशस्त्र सीमा बल) और बिहार पुलिस को सतर्क कर दिया गया। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, आतंकियों का मकसद बड़े पैमाने पर अशांति फैलाना और भीड़भाड़ वाले इलाकों को निशाना बनाना है।
क्यों बढ़ी चिंता राहुल गांधी की यात्रा के बीच?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यात्रा इन दिनों बिहार के कई जिलों से होकर गुजर रही है। खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि आतंकियों का निशाना राजनीतिक रैली, सभा या यात्रा से जुड़े आयोजन भी हो सकते हैं। इसी वजह से उनकी सुरक्षा को Z+ श्रेणी में और कड़ा कर दिया गया है।
कौन-कौन से जिले हाई अलर्ट पर?
बिहार पुलिस ने सीमावर्ती जिलों समेत पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी और किशनगंज को हाई अलर्ट पर रखा है। बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों, धार्मिक स्थलों और भीड़भाड़ वाले बाजारों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
आतंकियों का उद्देश्य क्या है?
जांच एजेंसियों को संदेह है कि यह आतंकी किसी बड़ी साजिश के तहत आए हैं। इनके पास नकली पहचान पत्र और विस्फोटक सामग्री होने की भी आशंका जताई जा रही है। भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देना, दहशत फैलाना और किसी बड़े नेता या भीड़भाड़ वाले स्थान को निशाना बनाना इनके उद्देश्यों में शामिल हो सकता है।
सीमा सुरक्षा में क्या कदम उठाए गए?
नेपाल बॉर्डर पर सभी चेक पोस्टों पर कड़ी निगरानी
संदिग्ध वाहनों और यात्रियों की जांच
ड्रोन और सीसीटीवी सर्विलांस बढ़ाया गया
रात के समय सीमा पर गश्त तेज
राजनीतिक हलचल तेज
इस घटना के बाद बिहार में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि सुरक्षा व्यवस्था मजबूत न होने के कारण राज्य आतंकी गतिविधियों का गढ़ बनता जा रहा है। वहीं, सरकार ने दावा किया है कि सभी सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है और जल्द ही आतंकियों को पकड़ लिया जाएगा।
स्थानीय प्रशासन की अपील
बिहार पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें। साथ ही, फर्जी अफवाहों से बचने और सोशल मीडिया पर अपुष्ट खबरें फैलाने से रोकने की भी सलाह दी गई है।
विशेष टीम गठित
ATS (एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड) और STF (स्पेशल टास्क फोर्स) की टीमें इन आतंकियों की तलाश में जुट गई हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में तलाशी अभियान चल रहा है और रेलवे स्टेशनों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-नेपाल सीमा लंबे समय से आतंकियों के लिए आसान रास्ता बनती जा रही है। सीमा पर पर्याप्त बाड़बंदी और आधुनिक उपकरणों की कमी के कारण पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन इसका फायदा उठा रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर सवाल
यह घटना भारत-नेपाल संबंधों को भी प्रभावित कर सकती है। हाल के वर्षों में नेपाल के राजनीतिक समीकरण में बदलाव के कारण चीन और पाकिस्तान के प्रभाव बढ़ने की आशंका जताई जाती रही है। भारत सरकार ने नेपाल से सीमा सुरक्षा को लेकर बातचीत तेज करने के संकेत दिए हैं।
राहुल गांधी की सुरक्षा बढ़ाई गई
SPG और स्थानीय प्रशासन ने राहुल गांधी की यात्रा से जुड़े सभी रूट और कार्यक्रमों की पुन: समीक्षा की है। हर सभा स्थल पर डॉग स्क्वॉड, बम डिटेक्टर और मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं।
आतंकी गतिविधियों का इतिहास
बिहार में इससे पहले भी नेपाल सीमा के रास्ते आतंकी घुसपैठ कर चुके हैं। 2013 में बोधगया धमाकों और 2014 में पटना के गांधी मैदान विस्फोट के पीछे भी इसी रूट का इस्तेमाल हुआ था।
क्या हो सकता है आगे?
अगर इन आतंकियों को समय रहते नहीं पकड़ा गया, तो यह न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियां 24×7 अलर्ट मोड पर हैं और केंद्र सरकार ने भी बिहार को अतिरिक्त फोर्स मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।