
पटना। बिहार की राजनीति में लगातार बड़े फैसले लेने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से राज्य के लाखों होमगार्ड जवानों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने होमगार्डों का मानदेय बढ़ाकर ₹774 से सीधे ₹1121 प्रति कार्य दिवस कर दिया है। यह फैसला न केवल होमगार्डों के जीवन स्तर में सुधार लाएगा, बल्कि उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगा।
यह निर्णय उस समय आया है जब प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो चुकी है। ऐसे में नीतीश सरकार का यह कदम राजनीतिक तौर पर भी अहम माना जा रहा है।
होमगार्डों का महत्व
बिहार में होमगार्ड जवान राज्य की कानून-व्यवस्था को दुरुस्त रखने और आपदा प्रबंधन में अहम भूमिका निभाते हैं। चुनावों में सुरक्षा व्यवस्था से लेकर बाढ़, आपदा और आपातकालीन हालात में सबसे आगे यही जवान तैनात रहते हैं।
अब तक होमगार्डों को ₹774 प्रति कार्य दिवस मानदेय दिया जाता था। लेकिन बढ़ती महंगाई और उनके परिवारों की जरूरतों को देखते हुए लंबे समय से मानदेय बढ़ाने की मांग हो रही थी। सरकार ने इस मांग को स्वीकार करते हुए 44% की बढ़ोतरी की है।
मानदेय बढ़ाने का फैसला क्यों अहम?
1. महंगाई से राहत – लगातार बढ़ती महंगाई ने होमगार्डों की आय को प्रभावित किया था। बढ़ा हुआ मानदेय उन्हें आर्थिक मजबूती देगा।
2. सामाजिक सम्मान – समाज में होमगार्डों की पहचान “अस्थायी सुरक्षा बल” के रूप में होती है। मानदेय बढ़ने से उन्हें सम्मान और स्थायित्व की भावना मिलेगी।
3. राजनीतिक सन्देश – नीतीश कुमार ने यह कदम उठाकर चुनावी माहौल में एक बड़ा संदेश दिया है कि उनकी सरकार हर वर्ग का ध्यान रख रही है।
4. युवा वर्ग को प्रोत्साहन – इस फैसले से बेरोजगार युवाओं में भी उत्साह बढ़ेगा, क्योंकि होमगार्ड सेवा में जुड़ने वालों को अब बेहतर आर्थिक सहयोग मिलेगा।
सरकार का बयान
बिहार सरकार के अनुसार, यह फैसला होमगार्डों के लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करने के लिए लिया गया है। सरकार का मानना है कि राज्य की सुरक्षा व्यवस्था और आपदा प्रबंधन में उनकी भूमिका को देखते हुए यह बढ़ोतरी न्यायसंगत है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा – “होमगार्ड राज्य की रीढ़ हैं। वे हर परिस्थिति में जनता और सरकार के साथ खड़े रहते हैं। उनकी मेहनत और त्याग को देखते हुए उन्हें सम्मानजनक मानदेय मिलना ही चाहिए।”
विपक्ष का रुख
विपक्षी दलों ने इस फैसले को ‘चुनावी राजनीति’ से जोड़कर देखा है। राजद और कांग्रेस नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार चुनावी साल में वोट बैंक साधने के लिए होमगार्डों का मानदेय बढ़ा रहे हैं।
हालांकि, जनता दल (यू) और भाजपा का कहना है कि सरकार हमेशा से ही गरीब और श्रमिक वर्गों के उत्थान के लिए काम करती रही है और यह फैसला उसी का हिस्सा है।
होमगार्ड जवानों की प्रतिक्रिया
मानदेय बढ़ने की घोषणा के बाद से होमगार्डों में खुशी की लहर है। पटना, गया, भागलपुर और दरभंगा में कई होमगार्ड जवानों ने कहा कि इस फैसले से उन्हें अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने में आसानी होगी।
एक जवान ने कहा – “हम दिन-रात काम करते हैं। कई बार चुनावी ड्यूटी, बाढ़ बचाव कार्य और कानून-व्यवस्था संभालने में लगातार ड्यूटी करनी पड़ती है। सरकार ने हमारी आवाज सुनी, इसके लिए हम आभारी हैं।”
बिहार की राजनीति और इसका असर
बिहार की राजनीति में ऐसे फैसले अक्सर चुनावी नतीजों पर असर डालते हैं। राज्य में लगभग 90,000 से अधिक होमगार्ड जवान कार्यरत हैं। इनके परिवार और रिश्तेदारों को मिलाकर लाखों वोट इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं।
नीतीश कुमार की यह रणनीति ‘सोशल इंजीनियरिंग’ का हिस्सा भी मानी जा रही है। इससे नीतीश सरकार का ग्रामीण और मध्यम वर्गीय वोट बैंक और मजबूत होगा।
भविष्य की राह
होमगार्डों के मानदेय में बढ़ोतरी को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक “दीर्घकालिक सुधार” नहीं है। अभी भी होमगार्डों को स्थायी नौकरी, पेंशन और बीमा जैसी कई मांगें हैं।
हालांकि, फिलहाल यह फैसला नीतीश कुमार के लिए “राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक” साबित हो सकता है।
बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से दिखाया है कि वे जनसरोकार से जुड़े मुद्दों को लेकर गंभीर रहते हैं। होमगार्डों के मानदेय में बढ़ोतरी से लाखों परिवारों को राहत मिलेगी।
लेकिन, आने वाले चुनावों में यह फैसला नीतीश कुमार के लिए कितना कारगर साबित होता है, यह समय ही बताएगा।