
पटना। बिहार की राजनीति में हमेशा से ही लालू प्रसाद यादव के परिवार के बयान चर्चा में रहते आए हैं। इस बार पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपने fiery बयान से राजनीतिक सरगर्मियां तेज कर दी हैं। चुनावी साल में उनका यह बयान न केवल विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष के बीच भी हलचल मचा रहा है।
तेज प्रताप यादव ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा – “हम लड़ जाएंगे… मर जाएंगे, लेकिन गरीबों और वंचितों के अधिकार की लड़ाई से कभी पीछे नहीं हटेंगे।” इस बयान को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजद के चुनावी एजेंडा और रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
बिहार की राजनीति में तेज प्रताप का रुख
तेज प्रताप यादव को अक्सर अपनी बेबाक और आक्रामक राजनीति के लिए जाना जाता है। कभी महाभारत के अर्जुन तो कभी भगवान श्रीकृष्ण की भूमिका में खुद को पेश करने वाले तेज प्रताप का यह नया अंदाज बताता है कि वे आने वाले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सियासी जंग लड़ने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार में शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर जनता परेशान है, लेकिन सरकार सिर्फ जुमलों और आंकड़ों में उलझी हुई है। ऐसे में राजद का कर्तव्य है कि वह जनता की आवाज बने।
राजद का चुनावी एजेंडा
तेज प्रताप यादव के इस बयान से साफ है कि राजद 2025 के चुनाव में गरीब, किसानों, छात्रों और बेरोजगारों को मुख्य मुद्दा बनाएगी। उनका कहना था कि –
शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना होगा।
युवाओं को रोजगार देना होगा।
किसानों की उपज का सही दाम सुनिश्चित करना होगा।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना होगा।
तेज प्रताप ने साफ कहा कि यदि इन मुद्दों पर सरकार विफल होती है तो जनता को विकल्प के तौर पर महागठबंधन और राजद ही नज़र आएगी।
नीतीश कुमार और एनडीए पर सीधा हमला
अपने बयान में तेज प्रताप ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए सरकार पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा – “बिहार की जनता अब ठगाई नहीं खाएगी। यहां की सरकार सिर्फ कुर्सी बचाने की राजनीति कर रही है, जबकि युवा पलायन कर रहे हैं।”
तेज प्रताप का यह बयान बताता है कि आने वाले महीनों में बिहार की राजनीति और भी गरमाने वाली है।
महागठबंधन में संदेश
तेज प्रताप यादव का यह संदेश न केवल विपक्षी दलों को बल्कि महागठबंधन के सहयोगियों को भी दिया गया है कि राजद संघर्ष से पीछे नहीं हटने वाली। तेजस्वी यादव को जहां संगठन और रणनीति का चेहरा माना जाता है, वहीं तेज प्रताप अपने तीखे बयानों और जनता के बीच सीधी अपील के लिए जाने जाते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान महागठबंधन में एकजुटता और संघर्षशील राजनीति का प्रदर्शन है, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा।
सोशल मीडिया पर ट्रेंड
तेज प्रताप यादव का यह बयान सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है। ट्विटर (X) और फेसबुक पर उनके समर्थक #LadJayengeMarJayenge और #TejPratapYadav ट्रेंड कराने में जुटे हैं। समर्थक इसे गरीबों और वंचितों के अधिकार की आवाज बता रहे हैं, जबकि विरोधी इसे मात्र चुनावी स्टंट मान रहे हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
बिहार की जनता इस बयान को लेकर अलग-अलग राय रखती है। जहां युवाओं का एक वर्ग इसे बदलाव की उम्मीद मान रहा है, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि ऐसे बयानों से चुनावी राजनीति में जुनून तो आता है लेकिन ठोस योजनाओं की जरूरत है।
चुनावी रणनीति का हिस्सा?
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि तेज प्रताप का यह बयान राजद की ग्राउंड लेवल कैम्पेनिंग का हिस्सा है। पार्टी चाहती है कि चुनाव से पहले जनता के बीच संदेश जाए कि राजद सिर्फ सत्ता की राजनीति नहीं बल्कि संघर्ष और आंदोलन की पार्टी है।
इस बयान के बाद यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में राजद कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर इस नारे को जनआंदोलन का रूप देंगे।
तेज प्रताप यादव का “लड़ जाएंगे… मर जाएंगे” वाला बयान आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति को और भी रोचक बना रहा है। यह न केवल एनडीए सरकार के लिए चुनौती है बल्कि महागठबंधन में भी नई ऊर्जा का संचार करता है।
अब देखना होगा कि यह जोश और संघर्ष का नारा जमीनी स्तर पर वोटों में तब्दील हो पाता है या नहीं।