
Bihar: गंडक नदी में घड़ियालों की वापसी: 15 साल में 10 से बढ़कर 350 हुए संकटग्रस्त जलजीव
बिहार की गंडक नदी, जो कभी संकटग्रस्त घड़ियालों की गिनती के लिए चिन्ता का कारण थी, अब संरक्षण की सफलता की मिसाल बन गई है। मात्र 15 वर्षों में यहां घड़ियालों की संख्या 10 से बढ़कर 350 से भी अधिक हो गई है।
साल 2010 के आसपास गंडक नदी में पहली बार घड़ियालों का सर्वे कराया गया था। यह नदी लगभग 300 किलोमीटर की लंबाई में बिहार की सीमा में बहती है। उस समय सर्वेक्षण में सिर्फ 10 घड़ियाल मिले थे और पांच और के होने का अनुमान लगाया गया था। यह आंकड़ा विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बन गया था क्योंकि घड़ियाल पहले से ही देश में सबसे संकटग्रस्त मगरमच्छ प्रजातियों में शामिल हैं।
लेकिन 2025 आते-आते तस्वीर पूरी तरह बदल गई। ताजा आंकड़ों के अनुसार, अब गंडक नदी में घड़ियालों की संख्या 350 से अधिक हो चुकी है। यह उपलब्धि संरक्षण कार्यक्रमों, जागरूकता अभियानों और नदी पारिस्थितिकी में हुए सकारात्मक बदलावों का परिणाम है।
वन विभाग, स्थानीय प्रशासन और पर्यावरणविदों की साझा कोशिशों से न सिर्फ नदी का प्राकृतिक प्रवाह बहाल हुआ, बल्कि अंडों की सुरक्षा, शिकार पर नियंत्रण और प्रजनन के लिए सुरक्षित स्थान भी सुनिश्चित किए गए। घड़ियालों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया, जिससे उनकी संख्या में चमत्कारिक वृद्धि देखी गई।
विशेषज्ञों की राय:
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि यह संरक्षण की दृष्टि से एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। “गंडक नदी अब भारत में घड़ियालों के लिए सुरक्षित आश्रयस्थल बन गई है,” एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने बताया।
निष्कर्ष:
गंडक नदी में घड़ियालों की यह वापसी न सिर्फ जैव विविधता के लिए शुभ संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि यदि संकल्प और समन्वय हो तो विलुप्त होती प्रजातियों को भी बचाया जा सकता है। यह कहानी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणास्रोत बन सकती है।