
पटना। बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव 2025 की सुगबुगाहट अब जोर पकड़ने लगी है। माना जा रहा है कि चुनाव आयोग कभी भी तारीखों का ऐलान कर सकता है। सियासी गलियारों में चर्चाएं गर्म हैं और हर दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गया है।
बिहार की राजनीति इन दिनों एक बार फिर चुनावी रंग में रंग चुकी है। विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट अब खुलकर दिखाई देने लगी है। राजधानी पटना से लेकर गांव-कस्बों तक चुनावी चर्चा तेज है। सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग (Election Commission) अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में कभी भी तारीखों का ऐलान कर सकता है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है।
चुनावी हलचल तेज
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी हलचल लगातार बढ़ती जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जेडीयू (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस समेत तमाम दल अपने-अपने स्तर पर तैयारियों में जुट गए हैं। पोस्टर युद्ध, जनसभाएं और नेताओं के बयान अब आम हो गए हैं।
नीतीश कुमार और गठबंधन की रणनीति
नीतीश कुमार, जो लंबे समय से बिहार की राजनीति के केंद्र में रहे हैं, चुनाव से पहले एक बार फिर अपनी रणनीति बनाने में लगे हैं। जेडीयू और भाजपा के रिश्तों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार अपनी “चाणक्य नीति” के जरिए चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेंगे।
तेजस्वी यादव का आत्मविश्वास
वहीं विपक्ष की बात करें तो आरजेडी (RJD) नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पूरी तरह से आक्रामक तेवर में हैं। हाल ही में दिए गए उनके बयानों से साफ है कि वह युवाओं, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर जनता के बीच उतरने वाले हैं। पार्टी का फोकस ग्रामीण इलाकों और अल्पसंख्यक वोट बैंक पर है।
भाजपा की सक्रियता
भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी बिहार में जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है। केंद्रीय नेताओं की बिहार में लगातार यात्राएं और सभाएं इस बात का संकेत दे रही हैं कि भाजपा कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती। पार्टी ने बूथ स्तर तक की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
कांग्रेस और अन्य दलों की स्थिति
कांग्रेस और वामपंथी दल भी अपने-अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हुए गठबंधन की राजनीति में अपनी हिस्सेदारी मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं छोटे क्षेत्रीय दल भी समीकरण बिगाड़ने-संवारने की ताकत रखते हैं।
जनता का मूड क्या कहता है?
बिहार की जनता इस बार किन मुद्दों पर वोट करेगी, यह सबसे बड़ा सवाल है। बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था और बुनियादी ढांचे की खामियां चुनाव का बड़ा मुद्दा बन सकती हैं। ग्रामीण इलाकों में किसान समस्याएं और शहरों में युवाओं की नौकरी की चिंता चुनावी बहस के केंद्र में रहेगी।
चुनाव आयोग की तैयारी
चुनाव आयोग की ओर से सुरक्षा व्यवस्था, बूथ प्रबंधन और वोटर लिस्ट को लेकर काम तेज कर दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, इस बार चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जाएगा।
पोस्टर युद्ध और सोशल मीडिया का दौर
इस बार का चुनाव सिर्फ जमीन पर ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर भी लड़ा जाएगा। फेसबुक, ट्विटर (X), इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप्स पर पार्टियों ने अपने प्रचार अभियान को तेज कर दिया है। पोस्टर और स्लोगन के जरिए एक-दूसरे पर तंज कसे जा रहे हैं।
क्या होगी चुनावी तारीख?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चुनाव आयोग जल्द ही तारीखों की घोषणा करेगा। संभावना है कि नवंबर-दिसंबर 2025 के बीच बिहार विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे। हालांकि, आधिकारिक ऐलान का इंतजार किया जा रहा है।
बिहार की राजनीति हमेशा से देशभर में चर्चा का विषय रही है। आने वाले विधानसभा चुनाव न केवल राज्य की दिशा तय करेंगे बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा असर डालेंगे। चुनाव की तारीखों के ऐलान का इंतजार अब हर किसी को है और सियासी दल पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने को तैयार हैं।