
पटना: बिहार की राजनीति एक बार फिर चुनावी रंग में रंगने वाली है। निर्वाचन आयोग (Election Commission) के सूत्रों के अनुसार, राज्य में नई विधानसभा चुनने के लिए मतदान नवंबर के पहले और दूसरे हफ्ते में कराए जाने की संभावना है। हालांकि, आयोग की ओर से अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। माना जा रहा है कि दिवाली और छठ पूजा जैसे बड़े त्यौहारों के बाद आयोग बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान करेगा।
दिवाली और छठ पूजा के बाद चुनावी बिगुल
बिहार में दिवाली और छठ पूजा का खास महत्व है। ऐसे में चुनाव आयोग नहीं चाहता कि त्योहारों की तैयारियों और मतदान की प्रक्रिया एक साथ हों। यही कारण है कि आयोग ने संकेत दिया है कि चुनाव की तारीखें नवंबर के पहले या दूसरे हफ्ते में तय की जा सकती हैं। इससे त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होंगे और मतदाता भी बिना किसी दबाव के मतदान में भाग ले पाएंगे।
क्यों अहम है यह चुनाव?
बिहार विधानसभा चुनाव हमेशा से राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। इस बार का चुनाव और भी खास है क्योंकि राज्य में महागठबंधन और एनडीए दोनों ही गठबंधनों के बीच सियासी जंग देखने को मिलेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाने की तैयारी कर रही है, वहीं विपक्ष बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और महंगाई जैसे मुद्दों पर जनता को अपने पक्ष में करने की रणनीति बना रहा है।
चुनाव आयोग की तैयारियां
निर्वाचन आयोग ने राज्य में शांतिपूर्ण और पारदर्शी चुनाव के लिए तैयारी तेज कर दी है। वोटिंग प्रक्रिया में किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो, इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वीवीपैट की जांच की जा रही है। साथ ही संवेदनशील बूथों पर अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की योजना भी बनाई जा रही है।
आयोग की प्राथमिकता होगी कि दिवाली और छठ के बाद मतदाता मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। बिहार में छठ पूजा सबसे बड़ा आस्था का पर्व है और लाखों लोग इसमें शामिल होते हैं। इसलिए आयोग इस पर्व के बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू करना चाहता है ताकि मतदान प्रतिशत पर कोई असर न पड़े।
राजनीतिक दलों की रणनीति
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति तेज कर दी है।
एनडीए (NDA): भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) मिलकर सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाने की कोशिश करेंगे। “सुशासन”, “बुनियादी ढांचा विकास” और “कानून-व्यवस्था” उनके प्रमुख मुद्दे हो सकते हैं।
महागठबंधन: इसमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं। विपक्ष बेरोजगारी, शिक्षा व्यवस्था की बदहाली, किसानों की समस्या और महंगाई को बड़ा मुद्दा बनाने में जुटा है।
अन्य दल: चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा जैसे छोटे दल भी चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए सक्रिय हो गए हैं।
बिहार में चुनावी माहौल
जैसे-जैसे नवंबर नजदीक आ रहा है, बिहार की राजनीति में सरगर्मी तेज हो गई है। गांव-गांव में चौपाल, नुक्कड़ सभाएं और सोशल मीडिया कैंपेन शुरू हो चुके हैं। युवाओं से लेकर महिलाएं तक अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर सवाल उठा रही हैं।
ग्रामीण इलाकों में बिजली, पानी, सड़क और रोजगार जैसे मुद्दे चर्चा में हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं बड़ा चुनावी मुद्दा बनते दिख रहे हैं।
मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण
चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण अभियान भी शुरू किया है। नए वोटरों को सूची में जोड़ने और पुराने वोटरों के नाम सही करने का काम चल रहा है। आयोग की कोशिश है कि कोई भी योग्य मतदाता मतदान से वंचित न रहे।
मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर जोर
बिहार में पिछली बार मतदान प्रतिशत करीब 58% के आसपास रहा था। इस बार आयोग का लक्ष्य मतदान प्रतिशत बढ़ाने का है। इसके लिए गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। “मेरा वोट, मेरा अधिकार” जैसी पहल के जरिए लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नवंबर के पहले या दूसरे हफ्ते में होने की पूरी संभावना है। दिवाली और छठ पूजा के बाद चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान करेगा। राज्य की राजनीति एक बार फिर दिलचस्प मोड़ लेने जा रही है और जनता के लिए यह चुनाव भविष्य की दिशा तय करेगा। सभी की नजरें अब आयोग की आधिकारिक घोषणा पर टिकी हुई हैं।