
नई दिल्ली।
सुबह की चाय हो या शाम की थकान—बिस्किट हर घर की टेबल पर दिखता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर उम्र के लोग इसे चाव से खाते हैं। बाजार में मिलने वाले तमाम फ्लेवर, पैकेजिंग और ब्रांड हमें आकर्षित करते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि जो बिस्किट आप रोजाना चाय के साथ खाते हैं, वही धीरे-धीरे आपकी सेहत को गंभीर रूप से नुकसान भी पहुंचा सकता है?
आज हम बिस्किट की हकीकत, इसके पीछे छुपे तथ्यों और सेहत पर इसके दुष्प्रभावों को विस्तार से समझेंगे। विशेषज्ञों की राय के साथ जानेंगे कि क्यों अब बिस्किट को “स्नैक” नहीं, बल्कि “साइलेंट हेल्थ हैज़र्ड” मानने की ज़रूरत है।
बिस्किट की लोकप्रियता और इसके पीछे का सच
बिस्किट को सुविधाजनक और तात्कालिक नाश्ते के रूप में देखा जाता है। यह सस्ता, टिकाऊ और स्वादिष्ट होता है, इसलिए मध्यम वर्गीय परिवारों में इसकी खपत सबसे ज़्यादा है। कंपनियां इसे हेल्दी, फाइबर-युक्त, न्यूट्रीशन भरपूर बताकर प्रचार करती हैं। लेकिन वास्तविकता इससे कहीं अलग है।
बिस्किट में छिपे हैं ये ख़तरनाक तत्व
1. रिफाइंड आटा (मैदा) – ज्यादातर बिस्किट मैदे से बनते हैं जो फाइबर रहित होता है। यह शरीर में जाकर तुरंत ग्लूकोज में बदल जाता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है।
2. ट्रांस फैट – बिस्किट को कुरकुरा और लंबे समय तक टिकाऊ बनाने के लिए उसमें ट्रांस फैट मिलाया जाता है। यह दिल की बीमारियों का बड़ा कारण है।
3. अत्यधिक चीनी – बच्चों के लिए बनाए गए बिस्किट्स में भी शुगर की मात्रा काफी अधिक होती है। लगातार सेवन से मोटापा, डायबिटीज और दांतों की समस्याएं हो सकती हैं।
4. प्रिज़रवेटिव्स और कलरिंग एजेंट्स – बिस्किट की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए रसायन मिलाए जाते हैं, जो लीवर और किडनी पर असर डाल सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय: क्या कहते हैं न्यूट्रिशनिस्ट?
डॉ. रिचा मेहरा (क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट, एम्स) के अनुसार,
1. डायबिटीज टाइप-2 – अधिक चीनी और रिफाइंड कार्ब्स के कारण ब्लड शुगर नियंत्रण बिगड़ता है।
2. मोटापा – रोजाना बिस्किट खाने से बिना महसूस किए शरीर में अतिरिक्त कैलोरी जाती है।
3. हृदय रोग – ट्रांस फैट और प्रिज़रवेटिव्स दिल की धमनियों को प्रभावित करते हैं।
4. पाचन समस्याएं – फाइबर की कमी के कारण कब्ज और गैस की शिकायत बढ़ सकती है।
5. कैंसर का खतरा – कुछ बिस्किट में इस्तेमाल होने वाले कृत्रिम रंग और केमिकल्स कैंसरकारी भी हो सकते हैं।
बच्चों के लिए और भी ज़्यादा ख़तरनाक!
बच्चों को चॉकलेट फ्लेवर, फ्रूटी बिस्किट और मल्टीग्रेन कहकर बेचे जा रहे प्रोडक्ट्स में अक्सर छिपे होते हैं हानिकारक तत्व। लगातार सेवन से बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे वे जल्दी बीमार पड़ते हैं। साथ ही उनमें चीनी की लत भी लग जाती है, जो भविष्य में मधुमेह का कारण बन सकती है।
क्या है बिस्किट का हेल्दी विकल्प?
1. रोस्टेड मखाना
2. घरेलू बने नमकीन या चिवड़ा
3. फल या सूखे मेवे
4. साबुत अनाज से बनी ब्रेड या टोस्ट
5. बेसन या मूंग दाल के चीले
लेबल पढ़ना बनाएं आदत
हर बार जब आप बिस्किट खरीदने जाएं, उसका Nutrition Label जरूर पढ़ें। देखें उसमें –
ट्रांस फैट है या नहीं
शुगर की मात्रा कितनी है
रिफाइंड ऑयल किस प्रकार का इस्तेमाल हुआ है
फाइबर की मात्रा कितनी है
जन-जागरूकता की ज़रूरत
आज जरूरत है कि हम प्रचारित किए गए “हेल्दी” टैग के पीछे छुपे सच्चे तथ्यों को समझें। बिस्किट की नियमित आदत धीरे-धीरे शरीर में बीमारियों को न्योता देती है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह नुकसानदायक हो सकती है।
स्वाद की कीमत कहीं बहुत ज़्यादा ना चुक जाए
बिस्किट भले ही सुविधाजनक और स्वादिष्ट हों, लेकिन जब बात सेहत की हो, तो यह छोटा सा स्नैक बड़ा खतरा बन सकता है। आदत बदलें, जागरूक बनें और अपने परिवार को सही विकल्प चुनने की सीख दें। याद रखिए, रोज़ाना खाया जाने वाला बिस्किट आपके शरीर को अंदर से बीमार कर सकता है — धीरे, मगर निश्चित रूप से