झारखंड की राजनीतिक हल-चल बढ़ गई है क्योंकि बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री Babulal Marandi ने सीएम हेमंत सोरेन पर District Mineral Foundation Trust (DMFT/DMF) फंड का लगभग ₹2000 करोड़ का घोटाला करने का आरोप लगाया है। वह इस मामले में CBI जांच की मांग कर रहे हैं। उनका दावा है कि खनन-क्षेत्रों को विकास हेतु मिलने वाले ये धन, जनहित की योजनाओं में खर्च नहीं हो रहा है बल्कि अनियमितताओं के चलते अधिकारी और सरकार इसका लाभ उठा रही है।
मुख्य आरोप और तथ्यों की झलक
1. आरोप की रूपरेखा
Marandi ने कहा है कि DMFT फंड, जिनका लक्ष्य उन जिलों और समुदायों के विकास के लिए है जहाँ खनन गतिविधियाँ होती हैं, उनका उपयोग ठीक से नहीं हो रहा है।
उन्होंने दावा किया है कि सरकार ने इस फंड को ‘ATM कार्ड’ की तरह इस्तेमाल किया है, अधिकारी फंड निकाल रहे हैं और वह राशि सरकारी कोष में पहुँच रही है।
2. उल्लेखनीय जिले एवं प्रोजेक्ट्स
उदाहरण के लिए, बोकारो जिला को 2024-25 और 2025-26 वित्त वर्ष हेतु लगभग ₹631 करोड़ का DMFT फंड मिला है, लेकिन कई योजनाएँ जैसे जन-स्वास्थ्य, स्कूलों की सुविधा, सड़कें, बिजली, मज़बूत हाई मास्ट लाइट, स्मार्ट स्कूल-अपग्रेडेशन आदि परियोजनाएँ समय पर या पूरी तरह नहीं हो रही हैं।
आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया में घोटाला हुआ है, दरें बाज़ार दर से ज़्यादा तय की गयीं, कुछ उपकरणों की कीमत अधिक ली गयी है आदि।
3. राजनीतिक मांगें और प्रतिक्रिया
Marandi और बीजेपी की ओर से मांग की जा रही है कि CBI जैसी केंद्रीय जांच एजेंसी इस मामले की निष्पक्ष जांच करें।
विपक्षी दल और कांग्रेस की ओर से प्रतिक्रिया आई है कि अगर घोटाला है तो राज्य के सभी प्रादेशिक प्रतिनिधियों की भूमिका भी देखी जानी चाहिए, क्योंकि DMFT की समीक्षा बैठकों में अधिकारी और प्रतिनिधि दोनों शामिल होते हैं।
4. हेमंत सोरेन की स्थिति
अभी तक कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि पूरी धनराशि कितनी है और किस-किस प्रोजेक्ट में कैसे खर्च हो रहा है।
सरकार की ओर से जवाब आना बाकी है कि क्या ये आरोप सही हैं, क्या सभी दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएंगे या लेखा-जोखा होगा।
विश्लेषण और संभावित प्रभाव
DMFT फंड मूल रूप से खनन प्रभावित इलाकों के विकास के लिए है — सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि सुविधाएँ प्रदान करने के लिए। यदि आरोप सही हैं तो प्रभावित क्षेत्रों की जनता को भारी नुकसान हुआ है।CBI जांच की मांग राजनीतिक दृष्टि से भी अहम है क्योंकि ये मामला राज्य की छवि, सरकार की विश्वसनीयता और विपक्षी दलों को चुनावी मुद्दा प्रदान कर सकता है।
यदि केंद्रीय एजेंसियाँ इस प्रकार की जांच शुरू करती हैं, तो अनियमितताओं के साथ जुड़े अधिकारी, ठेकेदार और सरकारी प्रक्रिया पर भी सवाल उठेंगे।
कुछ बातें साफ हैं: आरोप गंभीर हैं, जनता को जवाब चाहिए, और पारदर्शिता जरूरी है। यदि सरकार DMFT फंड के उपयोग में हुई खामियों की जांच करती है, निष्पक्ष रिपोर्ट पेश करती है, तो विश्वास बहाल हो सकता है। यदि ऐसा नहीं होता, तो राजनीतिक तापमान और भी बढ़ने की संभावना है।
