
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में शुक्रवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां कनौना इंटर कॉलेज में क्लासरूम का गेट खोलते ही छात्र एक-एक कर बेहोश होने लगे। शुरुआती जांच में सामने आया है कि यह घटना कॉलेज परिसर में की गई फॉगिंग (धुंआ छोड़ने की प्रक्रिया) के कारण हुई। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन हरकत में आ गया है, और मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।
क्या है पूरा मामला
यह घटना बुलंदशहर जिले के खुर्जा देहात क्षेत्र स्थित कनौना इंटर कॉलेज की है। शुक्रवार सुबह जब छात्र रोज की तरह स्कूल पहुंचे और क्लासरूम का गेट खोला, तो कुछ ही मिनटों में दर्जनों छात्रों की तबीयत बिगड़ने लगी। छात्रों ने सांस लेने में तकलीफ, सिर दर्द, उल्टी और चेहरे पर जलन की शिकायत की। देखते ही देखते करीब 60 छात्र बेहोश हो गए, जिससे स्कूल परिसर में अफरा-तफरी मच गई।
फौरन मच गया हड़कंप
जैसे ही छात्रों की तबीयत बिगड़नी शुरू हुई, स्कूल स्टाफ और अन्य शिक्षक तुरंत हरकत में आ गए। बेहोश हुए छात्रों को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया। कुछ छात्रों की हालत ज्यादा गंभीर होने के चलते उन्हें ज़िला अस्पताल रेफर करना पड़ा। घटना की जानकारी मिलते ही छात्रों के अभिभावक भी स्कूल पहुंच गए। परिजनों की भीड़ और बच्चों की हालत देखकर स्थिति और भयावह हो गई।
फॉगिंग बनी जहरीली, छात्रों की सेहत पर पड़ा असर
जांच में सामने आया है कि स्कूल प्रशासन ने परिसर में मच्छरों को मारने के लिए फॉगिंग कराई थी। बताया जा रहा है कि फॉगिंग में इस्तेमाल किया गया केमिकल अत्यधिक तीव्र और हानिकारक था। क्लासरूम के दरवाजे बंद होने के कारण केमिकल का असर और अधिक हो गया। जैसे ही छात्रों ने क्लास में प्रवेश किया, उन्हें दम घुटने जैसा महसूस हुआ और कुछ ही देर में कई छात्र अचेत हो गए।
अस्पताल में भर्ती कुछ छात्रों ने बताया, “हम क्लास में जैसे ही घुसे, एक अजीब सी गंध आने लगी। सांस लेना मुश्किल हो गया। फिर सिर घूमने लगा और हम बेहोश हो गए।”
एक अन्य छात्र ने कहा, “मेरे चेहरे और आंखों में जलन हो रही थी। सांस लेना कठिन हो गया था। हम सब डर गए थे।”
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। बुलंदशहर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) ने अस्पताल पहुंचकर छात्रों की स्थिति की जानकारी ली और फॉगिंग में इस्तेमाल केमिकल के सैंपल जांच के लिए भेजे। अधिकारियों ने कहा कि यदि स्कूल प्रबंधन की लापरवाही सामने आती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
एसडीएम ने कहा, “फिलहाल सभी छात्रों की हालत स्थिर है। केमिकल जांच के बाद यह तय किया जाएगा कि किसकी गलती थी और दोषियों पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए।”
अभिभावकों में आक्रोश, मांगी कार्रवाई
घटना के बाद छात्रों के माता-पिता बेहद डरे और गुस्से में नजर आए। उनका कहना है कि बिना किसी पूर्व सूचना के इस तरह का जहरीला फॉगिंग करना बच्चों की जान से खिलवाड़ है। कई अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।
एक अभिभावक ने कहा, “अगर समय रहते बच्चों को अस्पताल न ले जाया जाता, तो अनहोनी हो सकती थी। ये लापरवाही नहीं, अपराध है।”
कानून के जानकारों की राय
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की लापरवाही आपराधिक श्रेणी में आती है। यदि जांच में पुष्टि हो जाती है कि फॉगिंग में इस्तेमाल रसायन जहरीला था और सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया, तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि फॉगिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन अगर बंद कमरों में रह जाएं और उचित वेंटिलेशन न हो, तो वे बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। इससे सांस संबंधी रोग, त्वचा पर जलन, आंखों में इरिटेशन और यहां तक कि जान का खतरा भी हो सकता है।
बुलंदशहर के कनौना इंटर कॉलेज में हुई यह घटना एक बार फिर सवाल खड़े करती है कि क्या स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सावधानी बरती जा रही है? यह मामला सिर्फ एक हादसा नहीं बल्कि सिस्टम की लापरवाही को उजागर करता है। अब यह देखना अहम होगा कि जांच रिपोर्ट क्या कहती है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।