
बुलंदशहर/उत्तर प्रदेश। चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) धीरज कंसल ने एक अत्यंत चौंकाने वाले और असामान्य तरीके से अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। पुलिस के अनुसार, धीरज ने अपने मुंह में हीलियम गैस भरकर आत्महत्या की। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि धीरज ने जो सुसाइड नोट छोड़ा है, उसमें आत्महत्या की जो वजह बताई गई है, वह पुलिस और परिजनों के लिए बेहद हैरान करने वाली है।
धीरज कंसल एक होनहार चार्टर्ड अकाउंटेंट थे और अपने पेशे में अच्छी प्रतिष्ठा रखते थे। उनकी उम्र करीब 40 वर्ष बताई जा रही है। वह कई वर्षों से फाइनेंस सेक्टर में काम कर रहे थे और पिछले कुछ समय से तनावग्रस्त नजर आ रहे थे। लेकिन किसी को भी यह अंदेशा नहीं था कि वह इस तरह का कदम उठा लेंगे।
घटना का विवरण
पुलिस के मुताबिक, घटना बुलंदशहर जिले के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र की है। धीरज कंसल अपने घर में अकेले थे। जब परिवार के अन्य सदस्य वापस लौटे, तो उन्होंने कमरे का दरवाज़ा बंद पाया। कई बार दरवाजा खटखटाने के बाद जब कोई जवाब नहीं मिला, तो दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे। वहां का दृश्य देखकर सभी स्तब्ध रह गए। धीरज कंसल का शव फर्श पर पड़ा था और पास ही एक हीलियम गैस का सिलेंडर रखा हुआ था।
पुलिस ने जब कमरे की तलाशी ली तो एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें उन्होंने आत्महत्या की वजह का ज़िक्र किया था।
सुसाइड नोट में लिखी गई बातों ने चौंकाया
सुसाइड नोट में लिखा था कि –
“मैं अब इस दुनिया में नहीं रहना चाहता, क्योंकि मुझे जीवन अब बोझ लगने लगा है। मैं हर दिन एक जैसे जीवन से ऊब चुका हूं। लोग मुझसे बहुत अपेक्षाएं रखते हैं, और मैं हर दिन एक नई दौड़ में फंसा हुआ महसूस करता हूं। मुझे यह सब अब थकाने लगा है। मैं हमेशा सोचता था कि आत्महत्या का तरीका ऐसा होना चाहिए जो तकलीफदेह न हो, इसलिए हीलियम गैस का चयन किया।”
इस नोट में उन्होंने यह भी लिखा कि –
“मैं किसी से नाराज़ नहीं हूं। न ही किसी को दोष देना चाहता हूं। कृपया मेरे फैसले को समझें और माफ करें।”
धीरज ने सुसाइड नोट में अपने परिवार से माफी मांगी है और कहा है कि उन्होंने हमेशा कोशिश की कि वह एक अच्छा बेटा, पति और पिता बनें, लेकिन अब उनके अंदर लड़ने की शक्ति नहीं बची है।
क्या है हीलियम गैस से आत्महत्या का तरीका?
हीलियम एक रंगहीन और गंधहीन गैस होती है जो हवा से हल्की होती है। सामान्यत: इसका प्रयोग गुब्बारे भरने या प्रयोगशालाओं में किया जाता है। कुछ आत्महत्या के मामलों में यह देखा गया है कि लोग प्लास्टिक बैग में हीलियम भरकर उसका उपयोग करते हैं, जिससे ऑक्सीजन की कमी के चलते व्यक्ति की मौत हो जाती है। यह एक शांत और तेज़ तरीका माना जाता है, जिसकी वजह से यह कुछ देशों में आत्महत्या के ‘क्लीन मेथड’ के रूप में जाना जाने लगा है।
मनोवैज्ञानिकों की राय
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यह घटना एक चेतावनी है कि मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने की जरूरत है। धीरज कंसल की तरह कई लोग तनाव, अवसाद और सामाजिक दबाव के कारण अंदर ही अंदर टूटते रहते हैं, लेकिन समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी होने के कारण वे मदद नहीं मांगते।
एक काउंसलर ने बताया कि –
“समाज को यह समझना होगा कि मानसिक बीमारी भी एक बीमारी है, जैसे डायबिटीज या ब्लड प्रेशर। यदि कोई उदास या परेशान है, तो उसे ‘कमजोर’ कहकर नजरअंदाज करना सही नहीं है। उसे सहायता और सहानुभूति की ज़रूरत है।”
परिजनों की हालत खराब
धीरज की इस आत्महत्या से परिवार में कोहराम मच गया है। पत्नी और बच्चे गहरे सदमे में हैं। पिता ने रोते हुए बताया कि –
“धीरज कभी किसी बात को लेकर हमसे परेशान नहीं दिखता था। हमेशा शांत रहता था। कभी यह अंदाज़ा नहीं था कि वह अंदर ही अंदर इतना कुछ झेल रहा है।”
पुलिस की कार्रवाई
फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। साथ ही हीलियम गैस सिलेंडर कहां से और कैसे लाया गया, इस पर भी जांच की जा रही है।
यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा उतना ही गंभीर है जितना कि कोई भी शारीरिक रोग। यदि समय रहते व्यक्ति की बात सुनी जाए और उसे उचित सहायता मिले, तो शायद कई ज़िंदगियां बचाई जा सकती हैं। धीरज कंसल की आत्महत्या समाज को एक गहरा संदेश देती है – सुनें, समझें और संवेदनशील बनें।