
CBSE Board: देशभर में हैं 30 हजार से ज्यादा स्कूल, मातृभाषा में कैसे होगी पढ़ाई? सामने आएंगी कई चुनौतियां।
CBSE बोर्ड से जुड़े स्कूलों में अब शिक्षा मातृभाषा में देने की तैयारी की जा रही है। शिक्षा मंत्रालय की यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत की जा रही है, लेकिन देशभर में फैले 30 हजार से ज्यादा CBSE स्कूलों के लिए यह कदम आसान नहीं होगा।
CBSE बोर्ड से संबद्ध स्कूल न सिर्फ भारत के अलग-अलग राज्यों में हैं, बल्कि विदेशों में भी फैले हुए हैं। ऐसे में मातृभाषा में पढ़ाई शुरू करना स्कूलों, शिक्षकों और स्टूडेंट्स के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
शिक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, कई राज्यों में CBSE स्कूलों में हिंदी या अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाएं नहीं पढ़ाई जातीं। अगर मातृभाषा में पढ़ाई अनिवार्य होती है, तो न केवल स्थानीय भाषा के शिक्षक तैयार करने होंगे, बल्कि किताबों और स्टडी मटीरियल्स का भी दोबारा निर्माण करना होगा।
चुनौतियां:
एक ही स्कूल में कई भाषाओं की ज़रूरत हो सकती है, जिससे शिक्षण व्यवस्था जटिल हो जाएगी।
शिक्षकों की ट्रेनिंग, पाठ्यक्रम में बदलाव और भाषा आधारित परीक्षा प्रणाली को नए सिरे से तैयार करना पड़ेगा।
महानगरों और मल्टी-लिंगुअल क्षेत्रों में मातृभाषा की पहचान करना भी मुश्किल होगा।
सरकारी प्रयास:
शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि छात्रों को मातृभाषा में पढ़ाई से बेहतर समझ विकसित होगी और उनकी बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होगी। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए राज्यों के साथ मिलकर कार्य योजना तैयार की जा रही है।