जनगणना 2027: केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना, 1 मार्च की आधी रात होगी जनगणना की आधार तारीख।

जनगणना 2027: केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना, 1 मार्च की आधी रात होगी जनगणना की आधार तारीख।

नई दिल्ली। देश की अगली राष्ट्रीय जनगणना अब वर्ष 2027 में कराई जाएगी। केंद्र सरकार ने इस संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना जारी कर दी है, जिसमें जनगणना की प्रक्रिया और तिथि से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गई है।

अधिसूचना के अनुसार, भारत की जनगणना 2027 के लिए 1 मार्च 2027 की आधी रात को जनगणना की आधार तारीख (Reference Date) माना जाएगा। यानी इस तिथि और समय को आधार मानकर देशभर की जनसंख्या, परिवारों, शिक्षा, रोजगार, आवास, और सामाजिक स्थिति से जुड़ी विस्तृत जानकारी एकत्र की जाएगी।

जनगणना की अहमियत
जनगणना देश की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण डेटा संग्रह प्रक्रिया होती है, जो हर 10 वर्षों में एक बार कराई जाती है। इससे सरकार को यह समझने में मदद मिलती है कि देश में कितनी जनसंख्या है, किस इलाके में कितने लोग रहते हैं, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कैसी है और किन क्षेत्रों में योजनाएं बनाकर लागू करनी हैं।

कोविड के कारण टली थी 2021 की जनगणना
गौरतलब है कि भारत में पिछली जनगणना 2011 में कराई गई थी। 2021 में प्रस्तावित जनगणना कोविड-19 महामारी के चलते स्थगित कर दी गई थी, जिससे देश में एक दशक से अधिक समय तक जनगणना प्रक्रिया नहीं हो सकी। अब 2027 में यह आंकड़ा संग्रह फिर से किया जाएगा।

डिजिटल जनगणना की भी संभावना
सरकार की ओर से यह भी संकेत दिए गए हैं कि इस बार जनगणना में डिजिटल तकनीकों का प्रयोग हो सकता है। मोबाइल ऐप, टैबलेट और ऑनलाइन डेटा एंट्री के माध्यम से प्रक्रिया को और भी तेज, पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की योजना पर काम चल रहा है।

क्या होगा जनगणना का प्रोसेस?

पहला चरण: घर-घर जाकर गणना (House Listing), जिसमें मकान की स्थिति, सुविधाएं, जल स्रोत आदि की जानकारी ली जाएगी।

दूसरा चरण: जनसंख्या गणना, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के नाम, उम्र, लिंग, धर्म, शिक्षा, रोजगार, भाषा, विवाह, विकलांगता आदि से जुड़ी जानकारी दर्ज की जाएगी।

दोनों चरणों में प्रशिक्षित गणनाकर्मी डोर-टू-डोर जाकर जानकारी एकत्र करेंगे।

सरकार का उद्देश्य
जनगणना के माध्यम से भारत सरकार आने वाले वर्षों के लिए नीतियों, योजनाओं और संसाधनों के न्यायसंगत वितरण की नींव रखती है। यह डेटा राज्यों को उनकी आबादी के हिसाब से केंद्र से मिलने वाले आर्थिक सहयोग और संसाधनों की योजना बनाने में भी मदद करता है।

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