देवघर के पुरनदाहा स्थित चंद्रवंशी चौक बायपास रोड पर आज चंद्रवंशी समाज द्वारा अपने आराध्य देवता मगध नरेश महाराज जरासंध की 5228वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। पूरे क्षेत्र में उल्लास और भक्ति का माहौल देखने को मिला। समाज के युवाओं और वरिष्ठ सदस्यों ने एक साथ मिलकर आयोजन को यादगार बना दिया। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक विधि-विधान और पूजा-अर्चना के साथ हुई। समाज के लोगों ने महाराज जरासंध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलन किया। उसके बाद भजन-कीर्तन और समाजिक एकता पर आधारित कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।
इस अवसर पर चंद्रवंशी समाज युवा जिला अध्यक्ष राहुल चंद्रवंशी, चन्दन चंद्रवंशी, कुंदन वर्मा, अमित चंद्रवंशी, ध्रुव चंद्रवंशी, बाबूलाल रवानी, मुकेश वर्मा, नारायण वर्मा, राजेश वर्मा, बंटी वर्मा, शिवम वर्मा, राहुल वर्मा सहित बड़ी संख्या में समाज के सदस्य उपस्थित थे। सभी ने अपने आराध्य देव महाराज जरासंध से समाज के सभी लोगों के लिए सुख, शांति, समृद्धि और एकता की कामना की।
समाजिक एकता का प्रतीक बना आयोजन
आयोजन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि महाराज जरासंध न केवल एक महान योद्धा थे बल्कि समाजिक संगठन और न्यायप्रियता के प्रतीक भी थे। उनके आदर्श आज भी समाज को मार्गदर्शन देते हैं।
युवा जिला अध्यक्ष राहुल चंद्रवंशी ने कहा,
“हमारा समाज तभी प्रगति करेगा जब हम अपने पूर्वजों के आदर्शों पर चलेंगे। महाराज जरासंध की वीरता और न्यायप्रियता हम सभी के लिए प्रेरणा है।”
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य सदस्यों ने भी कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में एकता और भाईचारे की भावना मजबूत होती है। यह सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता और सामाजिक पहचान का उत्सव है।
भोग और प्रसाद वितरण से गूंजा वातावरण
पूजा-अर्चना के पश्चात सभी श्रद्धालुओं के बीच भोग और प्रसाद वितरण किया गया। लोग प्रसाद ग्रहण करने के लिए बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। समाज की महिलाओं ने भी भक्ति गीत गाए और आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
स्थानीय लोगों ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि चंद्रवंशी समाज हमेशा सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहा है। ऐसे धार्मिक आयोजनों से नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास से जोड़ने का अवसर मिलता है।
महाराज जरासंध का इतिहास और प्रेरणा
महाराज जरासंध प्राचीन मगध साम्राज्य के प्रसिद्ध नरेश थे, जिन्हें वीरता और संगठन के लिए जाना जाता है। वे महाभारत काल के एक प्रमुख योद्धा थे जिन्होंने अपने साम्राज्य में धर्म और न्याय की स्थापना की। चंद्रवंशी समाज उन्हें अपने आराध्य देव के रूप में पूजता है और हर वर्ष उनकी जयंती बड़े श्रद्धा और उत्साह से मनाई जाती है।
सामाजिक उत्थान की दिशा में कदम
इस जयंती कार्यक्रम के दौरान युवाओं ने समाज में शिक्षा, रोजगार और एकता को लेकर कई सकारात्मक सुझाव रखे। समाज के वरिष्ठ सदस्यों ने आश्वासन दिया कि भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे ताकि समाज में जागरूकता और सहयोग की भावना बनी रहे।
समाज के नेताओं ने क्या कहा
चंदन चंद्रवंशी ने कहा कि हमें अपने आराध्य के आदर्शों पर चलकर समाज को मजबूत बनाना चाहिए।
कुंदन वर्मा ने बताया कि आने वाले वर्षों में समाज को शिक्षित और संगठित करने की दिशा में कई अभियान चलाए जाएंगे।
अमित चंद्रवंशी ने कहा कि युवाओं की सक्रिय भागीदारी समाज को नई दिशा दे सकती है।
एकता और संस्कृति का संदेश
कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रार्थना और जयघोष “जय जरासंध महाराज” के साथ हुआ।
पूरा वातावरण भक्ति, एकता और सांस्कृतिक गौरव से ओतप्रोत रहा।
यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव था, बल्कि समाज के सामूहिक प्रयास, एकता, और गौरवशाली परंपरा का प्रतीक बन गया।
