
पुणे में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा तोड़े जाने पर बवाल, दो गुटों के बीच हिंसक झड़प
पुणे (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र के पुणे जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ की घटना के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया है। इस कृत्य के विरोध में दो समुदायों के बीच झड़प हुई, जिसमें कई लोग घायल हुए और पुलिस को हालात काबू में लाने के लिए भारी सुरक्षा बल तैनात करना पड़ा।
क्या है मामला?
घटना पुणे जिले के एक उपनगर की बताई जा रही है, जहां स्थानीय निवासियों ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त पाया। इसके बाद गुस्साए लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रतिमा की हालत देखकर यह संदेह जताया गया कि इसे जानबूझकर नुकसान पहुंचाया गया है।
हिंदू संगठनों का कहना है कि यह कार्य सुनियोजित साजिश के तहत किया गया है, ताकि सामाजिक सौहार्द बिगाड़ा जा सके। उनका आरोप है कि “यह न केवल महाराष्ट्र के गौरव पर हमला है, बल्कि सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश भी है।”
बढ़ता आक्रोश और प्रदर्शन
जैसे ही घटना की जानकारी फैली, स्थानीय संगठनों और नागरिकों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। “छत्रपति शिवाजी महाराज अमर रहें” के नारे गूंजने लगे और दोषियों को फांसी देने की मांग उठी।
प्रदर्शन के दौरान दो गुटों के बीच हिंसक झड़प हुई। कई जगहों पर पथराव और तोड़फोड़ की खबरें सामने आईं। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
पुणे पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रतिमा के पास से मिले CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं। जिला प्रशासन ने अपील की है कि लोग अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें।
पुलिस आयुक्त ने बताया, “जिन लोगों ने इस कृत्य को अंजाम दिया है, उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। कानून अपने हाथ में लेने की इजाज़त किसी को नहीं है।”
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि “छत्रपति शिवाजी महाराज हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। उनकी प्रतिमा को नुकसान पहुंचाना असहनीय है।”
पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। कई संगठनों ने सोशल मीडिया पर #JusticeForShivaji और #ProtectOurIcons जैसे ट्रेंड चलाए हैं।
इतिहास में शिवाजी महाराज का महत्व
छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे, बल्कि वे भारत के महानतम राष्ट्रनायकों में से एक माने जाते हैं। उनका जीवन और संघर्ष आज भी लोगों को प्रेरणा देता है। महाराष्ट्र की जनभावनाएं उनसे गहराई से जुड़ी हैं। उनकी प्रतिमा के साथ की गई कोई भी छेड़छाड़ आम जनता को भावनात्मक रूप से आहत करती है।
जानबूझकर उकसावे की कोशिश?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में उन्माद फैलाने के लिए की जाती हैं। सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाना इसका प्रमुख उद्देश्य होता है। यदि ऐसा कृत्य जानबूझकर किया गया है, तो यह गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है और ऐसे दोषियों को सख्त सज़ा मिलनी चाहिए।
आम जनता की मांग
घटना के बाद आम लोगों में रोष है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, हर जगह एक ही मांग उठ रही है – “दोषियों को सख्त से सख्त सज़ा दी जाए।”
लोगों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं, जिससे समाज में अस्थिरता आएगी।
शांति बनाए रखने की अपील
हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन और सामाजिक संगठनों ने नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की है। सभी से अनुरोध किया गया है कि वे अफवाहों से बचें और केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही जानकारी लें।
छत्रपति शिवाजी महाराज केवल महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे भारत के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उनकी प्रतिमा को नुकसान पहुंचाना न केवल ऐतिहासिक विरासत का अपमान है, बल्कि समाज की एकता पर भी आघात है।
यदि इस घटना के पीछे कोई साजिश है, तो उसे बेनकाब कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी हरकत करने से पहले सौ बार सोचे।