
छत्तीसगढ़: मिड-डे मील में घुला जहर! कुत्ते ने किया दूषित, 78 बच्चों को लगवानी पड़ी एंटी-रेबीज वैक्सीन
रायपुर/कांकेर। छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में बच्चों को पोषण और स्वास्थ्य देने के उद्देश्य से चलाई जा रही मिड-डे मील योजना इस बार लापरवाही का शिकार हो गई है। कांकेर जिले के एक प्राथमिक स्कूल में परोसे गए भोजन को आवारा कुत्ते ने दूषित कर दिया, लेकिन उसके बावजूद उसी भोजन को बच्चों को परोस दिया गया। जब इस शर्मनाक घटना की जानकारी सामने आई, तो एहतियातन 78 छात्रों को एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई। इस घटना ने राज्य में मिड-डे मील की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना कांकेर जिले के नरहरपुर विकासखंड के अंतर्गत एक शासकीय प्राथमिक स्कूल की है, जहां नियमित रूप से बच्चों को मिड-डे मील दिया जाता है। लेकिन 31 जुलाई को खाना तैयार होने के बाद भोजन को थोड़ी देर के लिए खुले में रखा गया। इसी दौरान एक आवारा कुत्ता रसोई में घुस गया और खाने को चाट गया।
चश्मदीदों के मुताबिक, इस बात की जानकारी होने के बावजूद स्कूल प्रशासन ने खाने को नष्ट नहीं किया, बल्कि बच्चों को परोस दिया। इस लापरवाही का खामियाजा बच्चों को उठाना पड़ा।
बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर सामने आई सच्चाई
घटना के कुछ घंटों बाद ही कई बच्चों को घबराहट, जी मिचलाना और उल्टी जैसी शिकायतें होने लगीं। जब जांच की गई, तो खुलासा हुआ कि खाना दूषित था और कुत्ते द्वारा चाटा गया भोजन ही छात्रों को परोसा गया था। मामला जैसे ही जिला प्रशासन तक पहुंचा, तो तुरंत हरकत में आते हुए 78 बच्चों को अस्पताल ले जाकर एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई।
प्रशासन और शिक्षा विभाग में हड़कंप
घटना की खबर मिलते ही शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। जिला कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से एक जांच समिति गठित कर दी है। साथ ही स्कूल के प्रधानाध्यापक और रसोइया को निलंबित कर दिया गया है।
कलेक्टर के निर्देशानुसार मिड-डे मील की व्यवस्था की समीक्षा के लिए विशेष निरीक्षण दल भी गठित किया गया है, जो जिले के अन्य स्कूलों का भी निरीक्षण करेगा और रिपोर्ट सौंपेगा।
गुस्से में अभिभावक, उठी कार्रवाई की मांग
जैसे ही अभिभावकों को घटना की जानकारी मिली, वे स्कूल पहुंचकर जमकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। अभिभावकों का कहना है कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि बच्चों की जान से खिलवाड़ है।
एक अभिभावक ने कहा –
> “हम अपने बच्चों को पढ़ने भेजते हैं, न कि जान जोखिम में डालने। प्रशासन को ऐसी लापरवाही करने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
शिक्षा विभाग की सफाई
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। विभाग ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि मिड-डे मील की निगरानी में कोई भी कोताही न हो।
राज्य स्तर पर भी मिड-डे मील व्यवस्था की पुन: समीक्षा की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
सवालों के घेरे में मिड-डे मील योजना की सुरक्षा
यह घटना मिड-डे मील योजना की सुरक्षा और निगरानी पर गंभीर सवाल उठाती है। जब तक स्कूलों में भोजन की गुणवत्ता और उसकी सफाई पर सख्त निगरानी नहीं होगी, तब तक इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि:
भोजन तैयार होने के बाद उसे ढककर सुरक्षित स्थान पर रखा जाना चाहिए।
रसोई और भोजन स्थल पर पशु-पक्षियों की पहुंच को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
भोजन परोसने से पहले गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए।
बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं
छत्तीसगढ़ के इस मामले ने पूरे देश में मिड-डे मील योजना की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की बड़ी संख्या गरीब और मध्यम वर्ग से आती है। उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर प्रशासन की जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है।